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अश्विनी नवरात्र 2019 में मां भगवती आगमन गजरुढा(हाथी) , वाहन से कर रही है : पंकज झा शास्त्री

राजेश कुमार वर्मा 

दरभंगा/मधुबनी,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । अश्विनी नवरात्र 2019 में मां भगवती  आगमन गजरुढा (हाथी) , वाहन से कर रही है जबकि गमन का वाहन मुर्गा है। वैसे तो माता का मुख्य वाहन सिंह है। शास्त्रों के अनुसार जब माता नवरात्र में पृथ्वी लोक पर आती है तो दिन के अनुसार आगमन और गमन के लिए वाहन निर्धारित होता है। इस बार अश्विनी शुक्ल पक्ष के नवरात्र 29/9/2019 से प्रारम्भ हो रहे नवरात्र में मां रविवार को आएगी और गमन 8/10/2019 मंगलवार को है।
वाहन के अनुसार ही फलादेश किया जाता है।
वर्ष भर में चार नवरात्र होते है। जिसमें नवरात्र से लेकर अगले नवरात्र तक का फलादेश होता है जैसे आश्विन नवरात्र से माघी नवरात्र तक का फलादेश होता है परन्तु कुछ विद्वानों द्वारा वर्ष भर का फलादेश माना जाता है।
माता का गजरूढ़ा पर आगमन फल वृष्टि प्रद है। कहीं कहीं भारी से भारी वर्षा होने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता। वृष्टि से अन्न हानि संभव है। पश्चिमी क्षेत्र में जलाधिक्ता और पूर्वी में कमी हो सकती है। कई जगह और कई क्षेत्रों में अति शुभ के संकेत है।
माता के मुर्गा पर गमन कई क्षेत्रों में शुभ के संकेत नही है। आपसी विवादों में वृद्धि होगी, कहीं कहीं सांप्रदायिक उपद्रव भी हो सकते है। बाजार में कारोबारी की स्थिति मंदा रहेगा। लोगों में मानसिक उग्रता में वृद्धि हो सकती है। जनजीवन आघात-प्रघात से चिंतनीय होने की संभावना है।
 हालांकि उपरोक्त फलादेश में विद्वानों के मत में अंतर हो सकता है।
नवरात्रि पर्व तो अपने स्वरूप को लघुतम से विराट की ओर ले जाने की प्रक्रिया है क्योंकि भगवती के स्वरूप में ही सबकुछ विद्यमान है। इसलिए मां शक्ति के विभिन्न स्वरूपों की साधना आराधना, पूजा, श्रवण, कथा, भजन कीर्तन उल्लास पूर्वक संपन्न किया जाता है। शक्ति उपासना का तात्पर्य है, प्राकृतिक स्वभाव अर्थात निद्रा, आलस्य, तृष्णा, कामवासना, भ्रांति, अज्ञान, मोह, क्रोध, काम पर विजय कैसे प्राप्त किया जाय? महिषासुर रूपी राक्षस क्रोध का प्रतीक है, रक्त बीज रूपी राक्षस काम का प्रतीक है, जितना इसको मिटाने का प्रयास करते है, वह पुनः जागृत हो जाता है। उपरोक्त सारे दुर्गुणों को अर्थात अविद्या को नाश करने के लिए शक्ति के गुण सद्बुद्धि, बोध, लज्जा, पुष्टि, तुष्टि, शांति, श्रद्धा, कांति, सद्वृती, धृति, उत्तम स्फूर्ति, दया परोपकार आदि गुणों का विकास आवश्यक है। मां ममता मयी होती है करुणा मयी होती है।
घट स्थापन मुहूर्त में करने से अति शुभ माना गया है।
घट स्थापन शुभ मुहूर्त प्रातः 06:16 से 10:30 तक।
इसके बाद दिन के 01:31 से 4:30 तक।
वैसे समय अभाव में इस दिन आप घट स्थापन कभी भी कर सकते है कारण नवरात्र का समय सिद्धि का होता है और इस समय दशो दिशा के दशो दरवाजा खुला रहता है।
प्रतिपदा तिथि आरंभ 28 सितंबर2019 शनिवार को रात्रि 12:29 के बाद।
प्रतिपदा तिथि समाप्त 29 सितंबर 2019 रविवार, रात्रि 10:11 बजे तक।
29 सितंबर को हस्त नक्षत्र रात्रि 09:52 तक इसके बाद चित्रा नक्षत्र।
दिन का अर्ध प्रहर10:33 से 01:30 बजे तक।
योग ब्रम्हा, चंद्रमा की राशि कन्या।
सूर्योदय प्रातः 06:04 बजे, सूर्यास्त संध्या 05:56 बजे।
नोट-उपरोक्त समय सारणी में अपने अपने क्षेत्रीय पंचाग अनुसार कुछ अंतर हो सकता है। पंकज झा शास्त्री

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