राजेश कुमार वर्मा
पटना, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) ।
सितम्बर 2019 माह के प्रत्येक रविवार मगही साहित्य को समर्पित, वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार, अधिवक्ता, दस्तक प्रभात समाचार पत्र के सम्पादक, फिल्म निर्माता, निर्देशक, प्रभात वर्मा के लिए यह सुखद एहसास रहा कि उन्हें हर हफ्ते सितम्बर माह के पहले रविवार 8 सितम्बर को वंगाल के कोलकता के शरद हाॅल में,मगही मगध नागरिक संघ द्वारा आयोजित समारोह में सांसद चन्देश्वर प्रसाद के हाथो मगही फिल्म निर्देशक के रुप में सम्मानित किया गया, तो दूसरे रविवार 15 को नेपाल के विराट नगर में आयोजित दो दिवसीय दोसर अन्तरराष्ट्रीय मगही भाषा सम्मेलन में मगही विकास के लिये नेपाल के विकास मंत्री जीमन्त धीमरे के कर कमलो से मगही सेवी सम्मान से सम्मानित किया गया और तिसरे रविवार को भागलपुर के तिलका मांझी विश्व विद्यालय में अंतरराष्ट्रीय ख्यात प्राप्त गांधीवादी विचारक प्रो० रामजी सिंह ने मगही भाषा का राष्ट्रीय सम्मान दिया।
ज्ञात हो कि श्री वर्मा ने 1972 में पहली बार तबके दैनिक प्रदीप में सम्पादक के नाम पत्र से जो अपने लेखन की शुरुआत की तो अब तक रुके नहीं और निरन्तर लिख रहे हैं,इन्होने दर्जनों पुस्तकों की रचना की हैं, कथा कहानियों में श्री वर्मा की खाश पहचान हैं, कविताएं और उपन्यास एक दो ही हैं,हर विषय पर इनकी रचनाएँ,प्रचारित प्रकाशित और आकाशवाणी- दूरदर्शन से प्रसारित होती रही है,ये दोनो ही माध्यमो से एंकर के रुप में भी कई दशक से जुडे है।इसके अलावे दस्तक प्रभात का लोकल टी०भी० चैनल के साथ पोर्टल न्यूज भी है।
1980 के शुरुआती दशक में मगही पुस्तक "विधाता के विधान" लिखकर मातृभाषा मगही की सेवा में अपने को समर्पित करने बाले प्रभात वर्मा ने "करमलेख", "तमाशबीन" जैसे दर्जनों मगही भाषा की पुस्तके लिखी (बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1980 के दशक में ही "विधाता के विधान" पढने के वाद इन्हें चर्चित कथाकार फणीश्वर रेणु जैसे कथाकार की संज्ञा से भी नवाजा है और व्यक्ति गत परिचय के वाद समाज का हीरा भी लिखा है।) मगही में पहली महापुरुषों की जीवनी पर आधारित पुस्तक "बिहार के ई अनमोल रतन" के लिखताहर बनने का गौरव श्री वर्मा को ही जाता है, कलमुंही इनकी चर्चित कहानियों में शामिल है,जो मगही भाषा के पाठ्यक्रम में 1996 से ही पढायी जा रही है, वैसे मगही पाठ्यक्रम में कई कक्षाओं में कई कहानियां शामिल है।
प्रभात फिल्म प्रोडक्शन के वैनर तले 1990 में पहली सामाजिक टेली फिल्म "लिलकहवा" और फीचर फिल्म "विधना नाच नचावे" से मगही भाषा की फिल्म निर्माण का 1960 के दशक वाद जो शिलशिला शुरु हुआ तो कई टी०भी फिल्म,सिरियल और फीचर फिल्म बनने शुरु हो गये है। वैसे श्री वर्मा ने हिन्दी में "साधना", "तन्हाई","कमसुत" लघु फिल्म निर्माण कर भी खाशी प्रशंसा बटोरी हैं,श्री वर्मा राष्ट्रीय मगही भाषा कल्याण परिषद के माधयम से मगही भाषा के विकास और सम्मान के लिये निरन्तर समर्पित हो संघर्षरत हैं।
प्रभात वर्मा ने सामाजिक सांस्कृतिक क्षेत्र में अनेको योगदान कर अपनी खाश पहचान बनायी हुई हैं,लोकहित सेवा संस्थान और भारतीय रेलवे हाॅकर संघ के संस्थापक सचिणव की भूमिका का भी अच्छे और सच्चे रुप से निर्वहन कर लाखो लोगो के दिलो में पैठ बनाने में भी सफल रहे हैं,इन्हें देश प्रदेश के विभिन्न स्थानों से सैैकडों पुरस्कार और सम्मान की प्राप्ति हुई है ।
पटना, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) ।
सितम्बर 2019 माह के प्रत्येक रविवार मगही साहित्य को समर्पित, वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार, अधिवक्ता, दस्तक प्रभात समाचार पत्र के सम्पादक, फिल्म निर्माता, निर्देशक, प्रभात वर्मा के लिए यह सुखद एहसास रहा कि उन्हें हर हफ्ते सितम्बर माह के पहले रविवार 8 सितम्बर को वंगाल के कोलकता के शरद हाॅल में,मगही मगध नागरिक संघ द्वारा आयोजित समारोह में सांसद चन्देश्वर प्रसाद के हाथो मगही फिल्म निर्देशक के रुप में सम्मानित किया गया, तो दूसरे रविवार 15 को नेपाल के विराट नगर में आयोजित दो दिवसीय दोसर अन्तरराष्ट्रीय मगही भाषा सम्मेलन में मगही विकास के लिये नेपाल के विकास मंत्री जीमन्त धीमरे के कर कमलो से मगही सेवी सम्मान से सम्मानित किया गया और तिसरे रविवार को भागलपुर के तिलका मांझी विश्व विद्यालय में अंतरराष्ट्रीय ख्यात प्राप्त गांधीवादी विचारक प्रो० रामजी सिंह ने मगही भाषा का राष्ट्रीय सम्मान दिया।
ज्ञात हो कि श्री वर्मा ने 1972 में पहली बार तबके दैनिक प्रदीप में सम्पादक के नाम पत्र से जो अपने लेखन की शुरुआत की तो अब तक रुके नहीं और निरन्तर लिख रहे हैं,इन्होने दर्जनों पुस्तकों की रचना की हैं, कथा कहानियों में श्री वर्मा की खाश पहचान हैं, कविताएं और उपन्यास एक दो ही हैं,हर विषय पर इनकी रचनाएँ,प्रचारित प्रकाशित और आकाशवाणी- दूरदर्शन से प्रसारित होती रही है,ये दोनो ही माध्यमो से एंकर के रुप में भी कई दशक से जुडे है।इसके अलावे दस्तक प्रभात का लोकल टी०भी० चैनल के साथ पोर्टल न्यूज भी है।
1980 के शुरुआती दशक में मगही पुस्तक "विधाता के विधान" लिखकर मातृभाषा मगही की सेवा में अपने को समर्पित करने बाले प्रभात वर्मा ने "करमलेख", "तमाशबीन" जैसे दर्जनों मगही भाषा की पुस्तके लिखी (बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1980 के दशक में ही "विधाता के विधान" पढने के वाद इन्हें चर्चित कथाकार फणीश्वर रेणु जैसे कथाकार की संज्ञा से भी नवाजा है और व्यक्ति गत परिचय के वाद समाज का हीरा भी लिखा है।) मगही में पहली महापुरुषों की जीवनी पर आधारित पुस्तक "बिहार के ई अनमोल रतन" के लिखताहर बनने का गौरव श्री वर्मा को ही जाता है, कलमुंही इनकी चर्चित कहानियों में शामिल है,जो मगही भाषा के पाठ्यक्रम में 1996 से ही पढायी जा रही है, वैसे मगही पाठ्यक्रम में कई कक्षाओं में कई कहानियां शामिल है।
प्रभात फिल्म प्रोडक्शन के वैनर तले 1990 में पहली सामाजिक टेली फिल्म "लिलकहवा" और फीचर फिल्म "विधना नाच नचावे" से मगही भाषा की फिल्म निर्माण का 1960 के दशक वाद जो शिलशिला शुरु हुआ तो कई टी०भी फिल्म,सिरियल और फीचर फिल्म बनने शुरु हो गये है। वैसे श्री वर्मा ने हिन्दी में "साधना", "तन्हाई","कमसुत" लघु फिल्म निर्माण कर भी खाशी प्रशंसा बटोरी हैं,श्री वर्मा राष्ट्रीय मगही भाषा कल्याण परिषद के माधयम से मगही भाषा के विकास और सम्मान के लिये निरन्तर समर्पित हो संघर्षरत हैं।
प्रभात वर्मा ने सामाजिक सांस्कृतिक क्षेत्र में अनेको योगदान कर अपनी खाश पहचान बनायी हुई हैं,लोकहित सेवा संस्थान और भारतीय रेलवे हाॅकर संघ के संस्थापक सचिणव की भूमिका का भी अच्छे और सच्चे रुप से निर्वहन कर लाखो लोगो के दिलो में पैठ बनाने में भी सफल रहे हैं,इन्हें देश प्रदेश के विभिन्न स्थानों से सैैकडों पुरस्कार और सम्मान की प्राप्ति हुई है ।