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शिक्षकों के औचित्यपूर्ण मांगों के लिए शिक्षक संघ मरते दम तक संघर्ष जारी रखेगा


दर्जनों बेगुनाहों की शहादत बेकार नहीं जाएगी

सुदर्शन कुमार चौधरी 
समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 14 अप्रैल,20 ) ।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सह विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय एवं महासचिव सह पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने राज्य के शिक्षा मंत्री द्वारा आंदोलनकारी हड़ताली शिक्षकों के लिए जारी अपील पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि 45 से अधिक हड़ताली शिक्षकों की जिन्दगी लील लेने वाली सरकार के शिक्षा मंत्री कोरोना संकट मे मानवता की दुहाई दे रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि शिक्षा मंत्री जी को शायद यह पता ही नहीं है कि राज्य के नियोजित शिक्षकों के आकस्मिक निधन पर अनुग्रह अनुदान के तहत 4 लाख रूपये की राशि का दिया जाना पूर्व प्रावधानित है। परन्तु मुआवजे की इस राशि को शिक्षकों के आश्रितों तक पहुंचने की प्रक्रिया काफी जटिल है। अगर इससे इतर मंत्री जी ने मृत शिक्षकों को उक्त अनुदान के अलावे 4 लाख रुपए की राशि देने की घोषणा की है तो वह स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि हम चाणक्य के वंशज है, मानवता की परिभाषा न सिखाएं । हम तो हड़ताल मे रहकर आपके द्वारा किए गए गैरकानूनी दमनात्मक एवं दंडात्मक कारवाइयों को झेलते हुए भी स्वेच्छा से इस कोरोना वैश्विक महामारी मे जन जागरूकता से लेकर कोरेनटाईन सेंटर पर पीड़ित मानवता की सेवा करते हुए अपनी सामाजिक दायित्वों का भलीभांति निर्वहन कर रहे हैं। साथ ही इस विपरीत परिस्थिति में भी मानवहित की रक्षा हेतु इस वैश्विक आपदा में भी हमारे शिक्षकों ने अपने अल्प वेतन में से मुख्यमंत्री राहत कोष में 01 दिन का वेतन देने की घोषणा किया। इस आशय की जानकारी देते हुए बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के सदस्य सह युवा नेता सिद्धार्थ शंकर ने बताया कि आज एक तरफ जहाँ कोरोना आपदा से जिस मानव की कीमती जान बचाने के लिए पूरा विश्व विभिन्न तरह के उपायों को ढूढ़ने में लगा है वहीं सरकार की हठधर्मिता के कारण हमारे 45 से अधिक प्रतिभाशाली राष्ट्रनिर्माताओं की जान जा रही है। क्या एक लोकतांत्रिक राज्य में शिक्षकों को अपने संवैधानिक अधिकार की मांग करना अपराध है। निश्चित रूप से हम शिक्षकों को वर्तमान परिदृश्य की महंगाई और भविष्य की अनिश्चितता से बचने के लिए इसके अलावे कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार इतने शिक्षकों की मृत्यु के बाबजूद भी किसी तरह से संवेदनशील होने का परिचय नही दे रही है। संवेदना के सभी सूत्रों को जो आपने खंडित करने का महापाप किया है आनेवाला भविष्य उसका हिसाब जरूर लेगा । सूबे बिहार के नियोजित शिक्षकों की औचित्यपूर्ण मांगों को लेकर आंदोलन करना हमारा उत्तरदायित्व है । मुझे भी अपने शिक्षकों के वाजिब अधिकारों के लिए ससमय फैसला लेने आता है। हम एक हैं,अडिग हैं ,अखंडित हैं और सांगठनिक रूप से अनुशासित एवं एकताबद्ध हैं।और अंत में यही कहूंगा कि सरकार के ऐसे सभी कुचक्रों के साथ साथ दर्जनों बेगुनाहों की शहादत का मुहतोड़ जबाब देने के लिए हमारे सभी आंदोलनकारी जाबांज सिपाही दृढसंकल्पित हैं। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सुदर्शन कुमार चौधरी की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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