जांच के क्रम में सरकारी भूमि को छोड़कर जो भी रैयती भूमि की जमाबंदी काफी अरसे से लॉक है
उसको सीओ द्वारा अनलॉक करने की कार्रवाई की जाएगी.विभागीय समीक्षा में पाया गया कि लंबे वक्त से यह प्रक्रिया जारी रहने के बावजूद डिजिटाइजेशन के दौरान छूटी हुई जमाबंदी की वैधता की जांच उसे लॉक/अनलॉक करने की कार्रवाई नहीं की जा रही है. विभागीय बैठकों में भूमि सुधार उप समाहर्ताओं द्वारा बताया गया कि रैयती भूमि के जमाबंदी सृजन का साक्ष्य अंचलों द्वारा उपलब्ध नहीं कराए जाने के वजह से उन्हें फैसला लेने में परेशानी हो रही है. पहले भी इस संबंध में एक पत्र चकबंदी निदेशक द्वारा सभी जिला पदाधिकारियों को लिखा गया था. पत्र में कहा गया कि लॉक जमाबंदी की जांच के क्रम में रैयती भूमि का मामला पाया जाता है तो उसे अनलॉक करने की कार्रवाई करके उसकी सूची मौजावार पोर्टल पर प्रदर्शित की जाए.डिजिटाइजेशन के क्रम में कुछ जमाबंदियों रैयतों के नाम, खाता, खेसरा, रकवा एवं लगान से संबंधित विवरणों में अशुद्धियां रह गई थीं. अनेक रैयतों की जमाबंदी भी ऑनलाइन नहीं की जा सकी थी. बाद में शिकायत मिली कि अंचलों में ऐसी छूटी जमाबंदियों को गलत तरीके से पंजी-2 में जमाबंदी कायम कर दिया गया और फिर उसे ऑनलाइन कर दिया गया. इस तरह की 9.65 लाख जमाबंदियों को छूटा हुआ बताकर ऑनलाइन कर दिया गया था.राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने बोला कि लगभग 10 लाख जमाबंदियों को संदेहास्पद पाया गया था. जांच में तेजी लाने के लिए इस काम को भूमि सुधार उप समाहर्ताओं से लेकर अंचल अधिकारियों को दिया गया है. साथ ही उन्हें रैयती भूमि की जांच कर उन जमाबंदियों को शीघ्र अनलॉक करने का आदेश दिया गया है ताकि आमलोगों को दाखिल-खारिज के काम में कोई असुविधा न हो.