संवाद
गर्मी की दस्तक के साथ ही बिहार के जलाशयों की हालत बिगड़ती जा रही है। जलाशयों में तेजी से पानी घट रहा है, जिससे राज्य में संभावित जल संकट की चिंता बढ़ गई है। केन्द्रीय जल आयोग (CWC) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के जलाशयों में केवल 19% पानी शेष रह गया है, जो बीते वर्षों की तुलना में काफी कम है।
पूर्वी क्षेत्र के राज्यों में जल संकट सबसे गंभीर
आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के पूर्वी क्षेत्र—जिसमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम शामिल हैं—की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है। इन राज्यों के जलाशयों में पानी की उपलब्धता पिछले साल की तुलना में और कम हो गई है। रिपोर्ट बताती है कि जलाशयों में पानी की यह गिरावट तेजी से बढ़ते तापमान, कम बारिश और बढ़ते जल दोहन के कारण हो रही है।
बिहार के जलाशयों की हालत क्यों बिगड़ रही है?
विशेषज्ञों के अनुसार, बिहार के जलाशयों में पानी घटने के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
1. कम बारिश – इस बार मानसून में सामान्य से कम वर्षा हुई, जिससे जलाशयों में जलभराव कम हुआ।
2. भूजल का अत्यधिक दोहन – खेती और घरेलू उपयोग के लिए लगातार भूजल निकासी से जल स्तर नीचे जा रहा है।
3. गर्मी का प्रभाव – मार्च के शुरुआती दिनों से ही तापमान बढ़ रहा है, जिससे जलाशयों का पानी तेजी से वाष्पित हो रहा है।
4. अतिक्रमण और अवैध कब्जे – जल स्रोतों के किनारे अतिक्रमण से जल संरक्षण प्रभावित हो रहा है।
बिहार के प्रमुख जलाशयों की वर्तमान स्थिति
बिहार के प्रमुख जलाशयों—कटरिया जलाशय, इंद्रपुरी जलाशय और गंडक बैराज—की जलस्तर स्थिति भी चिंताजनक है। इन जलाशयों में जलस्तर औसतन 20% से भी कम रह गया है। यदि गर्मी इसी गति से बढ़ती रही और बारिश कम हुई, तो आने वाले महीनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।
जल संकट से निपटने के लिए क्या कदम उठाने की जरूरत है?
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो बिहार को इस साल भयंकर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को निम्नलिखित उपाय करने की जरूरत है:
वॉटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देना – घरों और कृषि क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
भूजल रिचार्जिंग के उपाय – सूखते जल स्रोतों को फिर से भरने के लिए कृत्रिम भूजल पुनर्भरण तकनीकों को अपनाना चाहिए।
सार्वजनिक जागरूकता अभियान – लोगों को जल संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना जरूरी है।
जलाशयों की सफाई और संरक्षण – गाद भराव और अतिक्रमण को रोककर जलाशयों की जल धारण क्षमता बढ़ाई जा सकती है।
निष्कर्ष
बिहार में जल संकट गहराता जा रहा है, और अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आने वाले महीनों में स्थिति और भयावह हो सकती है। जल संरक्षण के उपाय अपनाकर ही इस संकट से बचा जा सकता है।
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