22 मार्च 2020 को भारत ने पहली बार जनता कर्फ्यू का अनुभव किया, जो कोविड-19 के बढ़ते खतरे के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित किया गया था। यह कर्फ्यू सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक लागू रहा। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य था कि लोग घरों में रहें और संक्रमण के फैलाव को रोका जा सके।
लेकिन जनता कर्फ्यू सिर्फ एक झलक थी। इसके तुरंत बाद, 24 मार्च 2020 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए 25 मार्च से 21 दिनों के लिए संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की।
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लॉकडाउन के चार चरणों की कहानी
लॉकडाउन की शुरुआत 25 मार्च से हुई और इसे कई चरणों में बढ़ाया गया:
1. पहला चरण (25 मार्च - 14 अप्रैल 2020)
सभी सार्वजनिक परिवहन सेवाएं ठप हो गईं।
केवल आवश्यक सेवाओं को अनुमति दी गई।
दफ्तर, स्कूल, मॉल और बाजार पूरी तरह बंद रहे।
2. दूसरा चरण (15 अप्रैल - 3 मई 2020)
कुछ छूट दी गई, लेकिन हॉटस्पॉट क्षेत्रों में सख्ती जारी रही।
ग्रामीण क्षेत्रों में खेती से जुड़े कामों को अनुमति मिली।
3. तीसरा चरण (4 मई - 17 मई 2020)
देश को तीन जोन में बांटा गया: रेड, ऑरेंज और ग्रीन।
ग्रीन और ऑरेंज जोन में कुछ आर्थिक गतिविधियां शुरू हुईं।
4. चौथा चरण (18 मई - 31 मई 2020)
राज्यों को लॉकडाउन नियमों को तय करने की अधिक छूट दी गई।
धीरे-धीरे परिवहन और अन्य सेवाएं बहाल होने लगीं।
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लॉकडाउन का असर: सकारात्मक और नकारात्मक पहलू
सकारात्मक प्रभाव:
✅ संक्रमण के फैलाव को धीमा किया गया।
✅ हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने का समय मिला।
✅ पर्यावरण में सुधार देखने को मिला।
नकारात्मक प्रभाव:
❌ लाखों लोग बेरोजगार हो गए।
❌ प्रवासी मजदूरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
❌ अर्थव्यवस्था को जबरदस्त झटका लगा।
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क्या 22 मार्च को ही लॉकडाउन शुरू हुआ था?
तकनीकी रूप से 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू था, जो एक दिन का था। लेकिन इसे ही लॉकडाउन का शुरुआती संकेत माना जा सकता है, क्योंकि इसके दो दिन बाद ही 24 मार्च को 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई थी।
22 मार्च 2020 का दिन भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ था, जब पूरा देश पहली बार घरों में कैद हो गया और कोविड-19 महामारी से लड़ने की शुरुआत हुई।
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