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इंद्रधनुष गोल होता है, लेकिन हमें केवल आधा ही क्यों दिखाई देता है?

रोहित कुमार सोनू 

इंद्रधनुष प्रकृति की सबसे खूबसूरत घटनाओं में से एक है। जब भी बारिश के बाद आसमान में इंद्रधनुष बनता है, तो यह देखने में एक अर्धवृत्ताकार आकृति का लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तव में इंद्रधनुष पूर्ण रूप से गोल होता है? फिर भी हमें इसका सिर्फ आधा हिस्सा ही क्यों दिखाई देता है? इस लेख में हम इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण को विस्तार से समझेंगे।


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इंद्रधनुष कैसे बनता है?

इंद्रधनुष तब बनता है जब सूर्य की रोशनी बारिश की बूंदों में प्रवेश करती है और उसके भीतर परावर्तित (Reflection), अपवर्तित (Refraction) और प्रकीर्णित (Dispersion) होती है। इस प्रक्रिया के दौरान सूर्य की सफेद रोशनी अलग-अलग रंगों में बंट जाती है, जिससे सात रंगों का इंद्रधनुष बनता है।


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इंद्रधनुष वास्तव में गोल क्यों होता है?

वैज्ञानिक दृष्टि से इंद्रधनुष कोई आर्च (Arch) नहीं, बल्कि एक पूर्ण वृत्त (Circle) होता है। जल की बूंदों में जब सूर्य का प्रकाश 42° के कोण पर परावर्तित और अपवर्तित होता है, तो यह चारों दिशाओं में रंगीन प्रकाश फैलाता है। यदि कोई व्यक्ति सही स्थिति में हो, तो उसे एक संपूर्ण वृत्ताकार इंद्रधनुष देखने को मिल सकता है।


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फिर हमें आधा इंद्रधनुष ही क्यों दिखता है?

1. क्षितिज की सीमा:
जब हम ज़मीन पर होते हैं, तो हमारा दृष्टि क्षेत्र क्षितिज तक सीमित रहता है। क्षितिज के नीचे के हिस्से में कोई जल बूंदें नहीं होतीं, इसलिए इंद्रधनुष का नीचे का भाग हमें दिखाई नहीं देता।


2. प्रकाश के परावर्तन का कोण:
इंद्रधनुष बनने के लिए सूर्य का कोण महत्वपूर्ण होता है। आमतौर पर जब सूर्य क्षितिज से 42° से अधिक ऊपर होता है, तो इंद्रधनुष नहीं बनता।


3. ऊँचाई का प्रभाव:
यदि हम किसी ऊँचाई, जैसे पहाड़ की चोटी या हवाई जहाज में हों, तो इंद्रधनुष को पूर्ण रूप से गोल देखा जा सकता है, क्योंकि वहाँ हमें क्षितिज की बाधा नहीं होती।




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क्या कभी पूरा गोल इंद्रधनुष देखा जा सकता है?

हाँ, अगर कोई व्यक्ति किसी ऊँची जगह से, जैसे कि पहाड़, गगनचुंबी इमारत या हवाई जहाज से इंद्रधनुष देखे, तो उसे पूरा गोल इंद्रधनुष नजर आ सकता है। कई वैज्ञानिक और फोटोग्राफर ऊँचाई से इंद्रधनुष के पूर्ण गोल रूप को कैमरे में कैद कर चुके हैं।

इंद्रधनुष वास्तव में एक गोल आकृति होती है, लेकिन पृथ्वी पर हमारी स्थिति और क्षितिज की सीमा के कारण हमें इसका सिर्फ आधा हिस्सा ही दिखाई देता है। यदि आप कभी ऊँचाई से इंद्रधनुष देखने का मौका पाएं, तो यह अनुभव निश्चित रूप से अविस्मरणीय होगा।

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