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होली और साहित्य: जब कवियों ने रंगों को शब्दों में ढाला

रोहित कुमार सोनू 

होली सिर्फ रंगों और मस्ती का त्योहार नहीं है, बल्कि यह साहित्य, संगीत और काव्य में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारतीय कवियों ने इस रंगों के पर्व को अपने शब्दों में बखूबी सजाया है। भक्तिकाल से लेकर आधुनिक साहित्य तक, होली पर लिखी गई कविताएं, लोकगीत और दोहे आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। आइए जानते हैं कुछ प्रसिद्ध कवियों द्वारा रचित होली से जुड़े साहित्यिक रंगों के बारे में।

1. सूरदास की होली – श्रीकृष्ण की रासलीला

भक्तिकाल के कवि सूरदास ने अपनी कविताओं में कृष्ण और गोपियों की होली का खूबसूरत वर्णन किया है। उनकी रचनाओं में ब्रज की होली के अलौकिक रंग झलकते हैं।

उदाहरण:
"खेलत ह‍‌रि संग सकल ग्वाल, गावत गावत बृजबाल।"
(कृष्ण गोपियों और ग्वालों के संग होली खेल रहे हैं, हर ओर उल्लास है।)

2. कबीर की होली – रंगों में आध्यात्मिकता

संत कबीरदास ने होली को सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक माना। उनके लिए होली भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान का संदेश देती है।

उदाहरण:
"अहमद खेले होरी, राम खेले होरी,
सब जग खेले होरी रे।"
(हर धर्म और हर जाति के लोग होली खेलते हैं, यह प्रेम और एकता का त्योहार है।)

3. रसखान की होली – कृष्ण प्रेम की अभिव्यक्ति

मुस्लिम भक्त कवि रसखान ने कृष्ण की होली का बेहद मनमोहक चित्रण किया है। उनके काव्य में ब्रज की चहल-पहल और राधा-कृष्ण की प्रेमपूर्ण होली देखने को मिलती है।

उदाहरण:
"बरसाने में औंधे परे हैं,
सखा सब स्यामल सँग खेलत फाग।"
(बरसाने में कृष्ण और उनके सखा फाग (होली) खेलते हुए आनंद में मग्न हैं।)

4. बिहारी की होली – श्रृंगार रस से भरपूर

बिहारी ने अपनी दोहावली में होली के रंगों को प्रेम और श्रृंगार रस में पिरोया है।

उदाहरण:
"फागुन के दिन चार रे, धूम मचाई होरी।"
(फागुन के कुछ ही दिन होते हैं, इसलिए पूरे आनंद के साथ होली खेलो।)

5. रहीम की होली – रंगों में नैतिकता का संदेश

रहीम ने होली के रंगों को आपसी प्रेम और रिश्तों में मिठास के प्रतीक के रूप में देखा।

उदाहरण:
"रहिमन रंग रंगी सब, चाहे जहां लगाय।
रंग न रहिहै दूज का, जो रंग रहा सहाय।"
(सच्चे प्रेम का रंग कभी फीका नहीं पड़ता, जैसे होली के असली रंग आत्मा में बस जाते हैं।)

6. अमीर खुसरो की होली – सूफी परंपरा में रंगों का जादू

सूफी संत अमीर खुसरो ने होली पर कई सुंदर कविताएं लिखीं, जिनमें ईश्वर प्रेम की गहराई झलकती है।

उदाहरण:
"आज रंग है री, माँ रंग है री।"
(आज का दिन रंगों से भरा है, यह ईश्वर के प्रेम में रंग जाने का अवसर है।)

7. महादेवी वर्मा की होली – संवेदनशीलता और सौंदर्य

आधुनिक युग की प्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा ने होली को संवेदनशीलता और सौंदर्य के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया।

उदाहरण:
"रंगों में भीग रही मेरी छाया,
गुनगुनी धूप में घुली होली आई।"

8. हरिवंश राय बच्चन की होली – उमंग और उत्साह का रंग

हरिवंश राय बच्चन की कविताओं में होली का जोश और मस्ती देखते ही बनती है।

उदाहरण:
"खुशियों के रंग बिखेरे हैं,
आज रंग बरसे, भीगे चुनर वाली।"

9. सुभद्रा कुमारी चौहान की होली – देशभक्ति का रंग

स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना सुभद्रा कुमारी चौहान ने होली को देशभक्ति से जोड़ा और रंगों के माध्यम से आजादी का संदेश दिया।

उदाहरण:
"रंगों में देशभक्ति की स्याही,
वीरों ने होली रची भाई।"

10. गुलजार की होली – आधुनिक कविताओं में रंगों की मिठास

आधुनिक कवि गुलजार ने भी होली को नए अंदाज में प्रस्तुत किया, जिसमें नॉस्टेल्जिया और भावनाओं का मिश्रण दिखता है।

उदाहरण:
"भीनी-भीनी खुशबू रंगों की,
भीग गया हर रेशे-रेशे में।"



भारतीय साहित्य में होली के रंगों का अद्भुत चित्रण हुआ है। कृष्ण की रासलीला से लेकर सूफी प्रेम तक, श्रृंगार से लेकर देशभक्ति तक, हर रंग और हर भावना को कवियों ने खूबसूरती से अपनी रचनाओं में उकेरा है।

ऐसे ही साहित्यिक और सांस्कृतिक रंगों से जुड़ी खबरों के लिए जुड़े रहें Mithila Hindi News के साथ!


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