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पुपरी के मलपुआ का बदलता स्वाद: क्या पुरानी मिठास खो गई?

रोहित कुमार सोनू 

बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित पुपरी कभी अपने खास मलपुआ के लिए जाना जाता था, और इसमें भी फागूलाल के मलपुआ की एक अलग ही पहचान थी। पुराने समय में यह मलपुआ अपनी खास मिठास, मुलायम बनावट और देसी घी की खुशबू के लिए मशहूर था। लेकिन अब कई लोग यह महसूस कर रहे हैं कि पुपरी के मलपुआ में वह बात नहीं रही जो पहले हुआ करती थी।

क्या बदला है मलपुआ में?

1. घी की जगह तेल का उपयोग – पहले मलपुआ देसी घी में तला जाता था, जिससे इसका स्वाद और सुगंध लाजवाब होती थी, लेकिन अब कई दुकानों पर रिफाइंड तेल का इस्तेमाल होने लगा है।


2. मावा और दूध की गुणवत्ता में गिरावट – पहले शुद्ध मावा और दूध से मलपुआ बनाया जाता था, लेकिन अब मिलावटी सामग्री का ज्यादा उपयोग होने लगा है।


3. पुरानी विधि का अभाव – पहले धीमी आंच पर तले जाने के कारण मलपुआ का स्वाद और टेक्सचर अलग होता था, लेकिन अब इसे जल्दी बनाने के लिए तकनीकों में बदलाव किया जा रहा है।


4. मांग बढ़ी, पर गुणवत्ता घटी – पहले फागूलाल जैसे पारंपरिक हलवाई सीमित मात्रा में मलपुआ बनाते थे, लेकिन अब ज्यादा बिक्री के कारण क्वालिटी से ज्यादा मात्रा पर ध्यान दिया जाने लगा है।



क्या फागूलाल की दुकान अब भी है?

फागूलाल का मलपुआ कभी पुपरी की पहचान हुआ करता था। अगर उनकी दुकान अब भी चल रही है, तो हो सकता है कि पारंपरिक स्वाद अब भी वहां मिले। लेकिन अगर नई पीढ़ी ने तरीके बदल दिए हैं, तो पुरानी मिठास लौट पाना मुश्किल है।

क्या पुराने स्वाद को वापस लाया जा सकता है?

अगर लोग फिर से शुद्धता और पारंपरिक विधि की मांग करें, तो शायद हलवाई फिर से देसी घी और असली सामग्री का उपयोग करने लगें।

बिहार के पारंपरिक व्यंजनों से जुड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहिए मिथिला हिन्दी न्यूज।


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