संवाद
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कोई नया विषय नहीं है। दोनों देशों के बीच कई बार युद्ध और सैन्य झड़पें हो चुकी हैं। ऐसे में अगर भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होता है तो सवाल उठता है कि वैश्विक स्तर पर कौन-सा देश किसका समर्थन करेगा? मौजूदा भू-राजनीतिक हालात के आधार पर इसका विश्लेषण किया जा सकता है।
भारत के समर्थन में कौन?
अमेरिका:
आज के दौर में अमेरिका और भारत के बीच रक्षा, व्यापार और रणनीतिक साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है। भारत को चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए अमेरिका एक महत्वपूर्ण साथी मानता है। ऐसे में युद्ध की स्थिति में अमेरिका कूटनीतिक और रक्षा आपूर्ति के स्तर पर भारत का समर्थन कर सकता है।
रूस:
भारत और रूस के बीच दशकों पुराने घनिष्ठ संबंध हैं। रूस ने हमेशा भारत को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति की है। हालांकि हाल के वर्षों में रूस और पाकिस्तान के बीच भी रिश्ते सुधरे हैं, फिर भी भारत के प्रति रूस का झुकाव अधिक रहने की संभावना है।
फ्रांस:
फ्रांस और भारत के बीच रक्षा सहयोग (जैसे राफेल लड़ाकू विमान डील) गहरा है। फ्रांस भारत का समर्थन कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर कर सकता है।
इजराइल:
भारत और इजराइल के बीच गहरी रक्षा साझेदारी है। ड्रोन, मिसाइल सिस्टम और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में इजराइल भारत का प्रमुख सहयोगी है। युद्ध की स्थिति में इजराइल से भारत को तकनीकी और खुफिया समर्थन मिलने की संभावना है।
ऑस्ट्रेलिया और जापान:
भारत के साथ QUAD (Quadrilateral Security Dialogue) का हिस्सा होने के कारण ये दोनों देश भारत का कूटनीतिक समर्थन कर सकते हैं, हालांकि सीधे सैन्य हस्तक्षेप से बचने की कोशिश करेंगे।
पाकिस्तान के समर्थन में कौन?
चीन:
चीन और पाकिस्तान की दोस्ती को अक्सर 'आयरन ब्रदरहुड' कहा जाता है। चीन, पाकिस्तान का सबसे बड़ा सैन्य और आर्थिक सहयोगी है। युद्ध की स्थिति में चीन पाकिस्तान को हथियार, तकनीक और कूटनीतिक समर्थन प्रदान कर सकता है। हालांकि, चीन खुद सीधे युद्ध में उतरने से बचेगा ताकि वैश्विक स्तर पर उसकी छवि प्रभावित न हो।
तुर्की:
तुर्की, खासकर कश्मीर मुद्दे पर, पाकिस्तान का खुला समर्थन करता रहा है। तुर्की युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान के पक्ष में कूटनीतिक रूप से खड़ा रह सकता है।
सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देश:
पारंपरिक रूप से सऊदी अरब और यूएई पाकिस्तान के आर्थिक सहयोगी रहे हैं। हालांकि, भारत के साथ भी इनके हाल के वर्षों में व्यापारिक और राजनीतिक संबंध मजबूत हुए हैं। इसलिए युद्ध की स्थिति में ये देश तटस्थ रहने की कोशिश कर सकते हैं या मानवीय सहायता तक सीमित रह सकते हैं।
तटस्थ और मध्यस्थ भूमिका निभाने वाले देश:
यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र, और स्विट्ज़रलैंड जैसे देश युद्ध रोकने और शांति बहाली की कोशिश करेंगे।
ईरान दोनों देशों के साथ अपने रिश्ते संभालने की कोशिश करेगा और शायद किसी एक पक्ष का खुला समर्थन न करे।
अफगानिस्तान (विशेषकर तालिबान शासन में) का रुख पाकिस्तान की ओर झुका हो सकता है, लेकिन वह भी सीधे हस्तक्षेप से बचेगा।
आज के दौर में कोई भी देश खुलकर युद्ध में कूदने से बचेगा। अधिकतर देश कूटनीतिक समर्थन, हथियार आपूर्ति, आर्थिक सहायता या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समर्थन के माध्यम से ही भूमिका निभाएंगे। युद्ध की स्थिति में भारत को अधिक वैश्विक समर्थन मिलने की संभावना है, लेकिन क्षेत्रीय समीकरणों के चलते पाकिस्तान को भी कुछ देशों का समर्थन मिल सकता है।
कुल मिलाकर, दुनिया युद्ध से अधिक शांति और स्थिरता की ओर देख रही है।
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