क्या कहते हैं - - - - - - -
सीतामढ़ी के पिपरा खुर्द गाँव,परिहार के रहनेवाले हैं डॉ.अमित कुमार । मृदु स्वभाव और बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ.अमित कुमार हमेशा दूसरों की सेवा के लिए तैयार रहते हैं । वर्तमान में पटना में खुद की क्लीनिक है वो इस स्कूल के 1989-93 के छात्र हैं वो स्कूल के हालात को देखते हुए बोले कि जब मैं स्कूल के छात्र हुआ करता था तो यह स्कूल शिक्षा के लिए जाना जाता था 1989 में भुकंप के बाद स्कूल विरान हो गया उन्होंने बताया कभी इस विद्यालय में की भारी संख्या मौजूद रहती थी टेस्ट देकर नामांकन लेना परता था।जहाँ पूरे विद्यालय में छात्र के चहल-पहल ,खेलकूद आदि देखने को मिला करती थी।
एल एम हाई स्कूल के छात्र राहुल कुमार जो सिंगापुर में कार्यरत हैं उन्होंने बताया कि कभी रहता था छात्र की भरमार
वर्ष 2004 के आसपास इस विद्यालय में 300 से 400 छात्र अध्ययन करते थे। संस्कार और सभ्यता सिखाने के लिए इस महाविद्यालय को जाना जाता था।विद्या अध्ययन से पूर्व शिष्यों के द्वारा प्रात: बेला में स्नान कर उदयमान सूर्य देवता को अर्घ्य देकर माता सरस्वती की वंदना की जाती थी। परंतु अब विद्यालय में खामोशी ही सुनाई देती है
पुपरी के नेता पप्पू मुरारी शिवहरे ने बताया कि खंडहर में तब्दील स्कूल के सामने अतिक्रमण और स्कूल प्रशासन के गलत नीतियों के कारण ये समस्या उत्पन्न हुआ है वो कहते हैं कि ताज्जुब की बात तो यह है कि इतना सब होने के बाबजूद भी स्कूल प्रशासन मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रही है। यकीनन स्कूल में अध्ययनरत छात्र का भविष्य अंधकारमय बनता जा रहा है।
इस स्कूल के छात्र जो ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में छात्र संघ के सदस्य हैं अनुप आनंद मोनू ने बताया कि खंडहर प्रशासनिक उदासीनता का स्पष्ट उदाहरण है जो अपने अतीत की याद दिलाकर आज अपनी बदहाली की दास्तां बयां कर रहा है।
सेवानिवृत स्वर्गीय अर्जुन दीवेड्डी के घर वाले का कहना है कि विद्यालय की इस दुर्गति को देखकर आंखों में आंसू आ जाते हैं।वहीं दिल्ली में कार्यरत अभय कुमार का कहना है कि पहले यहां काफी संख्या में भीड़ रहती थी लेकिन जब सुनते हैं स्कूल के बारे में तो दुखी हो जाते हैं।
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