कविता की दुनिया में पुपरी के राहुल चौधरी का नाम बड़ी तेजी से उभरा है. उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नेशनल यूथ फेस्टिवल में राज्य के प्रतिनिधि बनकर राष्ट्रपति भवन में जाने का मौका मिला। कवि के साथ साथ राहुल चौधरी एक संस्था भी चलाते हैं.राहुल चौधरी ने ग्रामिण क्षेत्रों के गरीब बच्चों में भी एक उज्जवल मिसाल कायम की है उन्होंने तकरीबन 50 से अधिक छात्र छात्राओं को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. जो उनके मेधा का प्रतीक है. ग्रामीण क्षेत्र में पैदा हुए एवं पले-बढ़े राहुल चौधरी एक किसान पिता के पुत्र हैं इनके घर में दूर-दूर तक साहित्य का कोई नाता नहीं था फिर भी राहुल चौधरी ने विषम परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए मिथलाचंल में एक अलग पहचान बनाई है. उनके कविता दो दर्जन से अधिक कविता प्रकाशित हो चुकी है. मिथला वर्णन में भी उनके कविता को जगह दिया गया है. सीतामढ़ी के जिला समहरणालय से प्रकाशित स्मारिका में भी कविता जानकी जन्म भूमि शिर्षक से प्रकाशित हुई है.राहुल चौधरी मिथिला को अपनी जन्म भूमी के रूप में पाकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करतें है मिथलाचंल के लोग काफी सकारात्मक सोच रखते हैं और समय समय पर उचित मार्गदर्शन कराते रहते हैं,
अगर व्यक्ति विशेष का नाम कहे तो यह उचित नहीं होगा ये वो कहते हैं कि की यहाँ के लोग युवाओ को आगे बढ़ाने हेतु सदैव तत्पर रहते हैं. उन्होंने काफी लोगों ने बिना किसी स्वार्थ के मेरा साथ दिया है।
अगर व्यक्ति विशेष का नाम कहे तो यह उचित नहीं होगा ये वो कहते हैं कि की यहाँ के लोग युवाओ को आगे बढ़ाने हेतु सदैव तत्पर रहते हैं. उन्होंने काफी लोगों ने बिना किसी स्वार्थ के मेरा साथ दिया है।
किसी ने क्या खूब कहा है,,
पूत सपूत तो क्या धन सिंचे,और पूत कपूत तो क्या धन सिंचे!!
इस खूबसूरत पंक्तियों को सच साबित किये है राहुल जी!!!
ढेड़ साडी सुभकामनाये, हर कदम पर यूँही कामयाबी मिलते रहे और हम सभी को आपसे कुछ सीखने का मौका मिलता रहे!!धन्यबाद