केशव कुमार ठाकुर
एक तरफ राज्य सरकार का नारा है कि सब पढ़े और सब बढ़ें, तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों को देखकर तो कतई ऐसा नहीं कहा जा सकता कि ऐसे माहौल में कभी शिक्षा का स्तर सुधर भी सकता है. कुछ यही हाल है सुरसंड प्रखंड स्थित जवाहि गांव के प्राथमिक विद्यालय अंहारी पोखर जवाहि(जवाहिरपुर) का है, जहां अनियमितता और भ्रष्टाचार इस कदर फैली हुई है कि, सूबे की सुशासन के शिक्षा व्यवस्था पर कालिख पोत्ती नजर आ रही है।
सुरसंड प्रखंड मुख्यालय से महज चंद किलोमीटर के फासले पर स्थित प्राथमिक विद्यालय अंहारी पोखर जवाहि (जवाहिरपुर) में शिक्षा का स्तर काफी गिरा हुआ है. विद्यालय का व्यवस्था जहां जर्जर स्थिति में है, तो वहीं विद्यालय में तैनात प्राधानाचार्या और शिक्षको की तो बात ही निराली है.
जी हाँ आपको बता दें कि प्रधानाचार्य से कुछ सवाल पुछा गया तो जवाब सुनकर हैरान हो जाएँगे
को देश के राष्ट्रपति का नाम भी नहीं मालूम, जब उनसे पूछा गया कि वर्तमान शिक्षा मंत्री कौन है :-न मालूम। देश के राष्ट्रपति कौन हैं:- न मालूम ।प्रथम लोक चुनाव कब हुआ :- न मालूम। क्लास 5 के बच्चों को मैथ पढ़ाने वाले शिक्षक को प्रतिशत और स्थानीयमान निकालने नहीं आता।
जब उनसे छोटे छोटे कुछ सवाल पूछे गए तो वे हक्के बक्के रह गए। प्रधानाध्यापक देवेंद्र राय की योग्यता जो भी हो कार्यकुशलता एक पीयून के लायक भी नहीं प्रश्न पूछने से प्रतीत होता है। वही प्रधानाध्यापक रोजाना मनमानी समय पर आते हैं वह अभिभावकों को खुलकर कहते हैं जो करना है कर लीजिए। कक्षा एक से पांच तक के सभी बच्चों को ये एक साथ एक ही कमरे में पढ़ाते हैं, वहीं आजादी के 71 वर्ष बाद भी बच्चे जमीन पर बैठने को मजबूर हैं।
वहीं विद्यालय के परिसर में एक चापाकल है जो काफी खराब हालत में है। जो चापाकल वर्षो से खुद प्यासी हैं वो भला बच्चों का कैसे प्याश बुझाएगी, बच्चों की प्यास बुझे या ना बुझे लेकिन शिक्षको की प्यास बुझ रही है। वही विद्यालय में दो शौचालय है उसका भी हालत दयनीय है शौचालय पूरी तरह धवस्त हैं।
सरकारी स्कूलों की शिक्षा पर तो शुरू से ही सवाल उठते आ रहे हैं. प्रदेश में सरकारें आई और चली गई, सबने बहुत प्रयास किए कि शिक्षा का स्तर सुधरे पर इसकी जमीनी हकीकत तो यही है कि आज भी हमारे प्रदेश में वही सालों पुराना शिक्षा का स्तर है. अब जरूरत है सरकार को ये सोचने की कि जो कदम उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उठाए हैं उनसे कोई फर्क पढ़ा भी या नहीं
एक तरफ राज्य सरकार का नारा है कि सब पढ़े और सब बढ़ें, तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों को देखकर तो कतई ऐसा नहीं कहा जा सकता कि ऐसे माहौल में कभी शिक्षा का स्तर सुधर भी सकता है. कुछ यही हाल है सुरसंड प्रखंड स्थित जवाहि गांव के प्राथमिक विद्यालय अंहारी पोखर जवाहि(जवाहिरपुर) का है, जहां अनियमितता और भ्रष्टाचार इस कदर फैली हुई है कि, सूबे की सुशासन के शिक्षा व्यवस्था पर कालिख पोत्ती नजर आ रही है।
सुरसंड प्रखंड मुख्यालय से महज चंद किलोमीटर के फासले पर स्थित प्राथमिक विद्यालय अंहारी पोखर जवाहि (जवाहिरपुर) में शिक्षा का स्तर काफी गिरा हुआ है. विद्यालय का व्यवस्था जहां जर्जर स्थिति में है, तो वहीं विद्यालय में तैनात प्राधानाचार्या और शिक्षको की तो बात ही निराली है.
जी हाँ आपको बता दें कि प्रधानाचार्य से कुछ सवाल पुछा गया तो जवाब सुनकर हैरान हो जाएँगे
को देश के राष्ट्रपति का नाम भी नहीं मालूम, जब उनसे पूछा गया कि वर्तमान शिक्षा मंत्री कौन है :-न मालूम। देश के राष्ट्रपति कौन हैं:- न मालूम ।प्रथम लोक चुनाव कब हुआ :- न मालूम। क्लास 5 के बच्चों को मैथ पढ़ाने वाले शिक्षक को प्रतिशत और स्थानीयमान निकालने नहीं आता।
जब उनसे छोटे छोटे कुछ सवाल पूछे गए तो वे हक्के बक्के रह गए। प्रधानाध्यापक देवेंद्र राय की योग्यता जो भी हो कार्यकुशलता एक पीयून के लायक भी नहीं प्रश्न पूछने से प्रतीत होता है। वही प्रधानाध्यापक रोजाना मनमानी समय पर आते हैं वह अभिभावकों को खुलकर कहते हैं जो करना है कर लीजिए। कक्षा एक से पांच तक के सभी बच्चों को ये एक साथ एक ही कमरे में पढ़ाते हैं, वहीं आजादी के 71 वर्ष बाद भी बच्चे जमीन पर बैठने को मजबूर हैं।
वहीं विद्यालय के परिसर में एक चापाकल है जो काफी खराब हालत में है। जो चापाकल वर्षो से खुद प्यासी हैं वो भला बच्चों का कैसे प्याश बुझाएगी, बच्चों की प्यास बुझे या ना बुझे लेकिन शिक्षको की प्यास बुझ रही है। वही विद्यालय में दो शौचालय है उसका भी हालत दयनीय है शौचालय पूरी तरह धवस्त हैं।
सरकारी स्कूलों की शिक्षा पर तो शुरू से ही सवाल उठते आ रहे हैं. प्रदेश में सरकारें आई और चली गई, सबने बहुत प्रयास किए कि शिक्षा का स्तर सुधरे पर इसकी जमीनी हकीकत तो यही है कि आज भी हमारे प्रदेश में वही सालों पुराना शिक्षा का स्तर है. अब जरूरत है सरकार को ये सोचने की कि जो कदम उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उठाए हैं उनसे कोई फर्क पढ़ा भी या नहीं