रोहित कुमार सोनू
गर्मियों के सीजन में आम के बाद अगर कोई मौसमी फल सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है तो वह है लीची. और जब हम लीची की बात करते हैं तो भला बिहार के मुजफ्फरपुर को कैसे भूल सकते हैं. मुजफ्फरपुर बिहार ही नहीं पूरे विश्व में लीची को लेकर मशहूर है. यहां की लीची देश-दुनिया के लगभग सभी भागों में पाई जाती है. गर्मी के महीनों में लोगों के खास पसंदीदा फल में लीची सबसे प्रचलित है. जिसे हर राज्य के लोग बड़े चाव से खाते हैं.मुजफ्फरपुर से हर साल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को हर साल शाही लीची भेजी जाती है. यह वर्षों की परंपरा है जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को मुजफ्फरपुर की लीची भेजी जाती है. जानकारी के मुताबिक बोचहां के पटियासा के बाग से चुनी हुई लीची तोड़ी जाती है जिसे विशेष वैन से दिल्ली भेजी जाती है. खास पैकिंग में भेजी जाती हैं लीची राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिये वैन में विशेष तौर पर लीची पैक की जाती है. दिल्ली पहुंचने तक उनकी ताजगी बनी रहे इसलिये तापमान का ख्याल रखा जाता है.आपको बताते चलें की जुन से सितम्बर के महीने में अपनी अलग पहचान और स्वाद से लोगों की पहली पसंद बनने वाली लीची का पेड़ सदाबहार होता है. जिसकी ऊंचाई मध्यम होती है. पूर्णतः पकने के बाद लीची का रंग गुलाबी और लाल हो जाता है. लीची के अंदर दूधिया सफेद भाग विटामिन सी से युक्त होता है.मुजफ्फरपुर में दो तरह की लीची पैदा होती है. जिसमें शाही लीची सबसे मशहूर है. शाही लीची की सबसे बड़ी खासियत यह है कि चाइना लीची के मुकाबले काफी बड़ी होती है और सबसे पहले पककर तैयार हो जाती है. हालांकि गर्म हवाओं और नमी नहीं होने के कारण शाही लीची का फल अकसर फट जाता है. ऐसे में वो चाइना लीची के आकार से थोड़ा छोटा होता है. वहीं चायना लीची मे फल फटने का खतरा नहीं रहता है. आम के महीने में चाइना लीची पूर्णतः पककर तैयार होती है. यह शाही लीची के मुकाबले अत्यधिक मीठी होती है.