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छठ पर मिथिलांचल की याद आती है

 एग्जाम या प्रफेशनल जिम्मेदारी की वजह से मिथिलांचल  से जुड़े कई युवा छठ त्योहार मनाने घर नहीं जा सके। साथ ही कई युवा अब दिल्ली में ही छठ का त्योहार मनाते हैं। हालांकि इन युवाओं को आज भी मिथिला  में मनाए गए छठ की याद सताती है। इन्हीं युवाओं से बातकर छठ की तैयारियों के बारे में जाना रोहित कुमार सोनू  ,  मुन्ना कुमार   ने...

घर की बात ही अलग है अंकुर विहार में रहने वाले अंकित झा  ने कहा कि इंजीनियर  की तैयारियों की वजह से वह इस बार छठ पर घर नहीं जा रहे हैं।  उन्होंने कहा कि दिल्ली में भी अब छठ त्योहार भव्य तरीके से मनाया जाने लगा है, लेकिन त्योहार पर अपनों का साथ न मिले तो वह बात नहीं आ पाती है। त्योहार के रस्म तो कहीं रहकर भी पूरे हो जाते हैं, लेकिन घर वाली फिलिंग नहीं आ पाती है। 

मिथिलांचल  को याद करने का एक  आंचल  बताती हैं कि उनका परिवार कई साल से दिल्ली में ही छठ मनाता है। उनका कहना है कि छठ का त्योहार मिथिलांचल  से जुड़े अपने रिश्तों को याद करने का मौका देता है। उनके मम्मी-पापा मिथिलांचल  में मनाए गए छठ की यादों को उनके साथ शेयर करते हैं और बताते हैं कि  मिथिलांचल के लोगों की इस त्योहार के प्रति कितनी आस्था है। आस्था के बारे में बताते हुए आंचल  कहती है कि उन्होंने सुना है कि मिथिलांचल  में कई लोग सैंकड़ों किमी दूर तक नंगे पैर छठ में डाला उठाकर लाते हैं। उन्होंने दिल्ली में ऐसा करते हुए किसी को नहीं देखा। घर में छठ की तैयारी शुरू हो गई है। हम भीड़ की वजह से घाट नहीं जाते इसलिए छत पर ही छोटा सा तालाब मना पूजा करते हैं। पूजा करने वाली जगह को भी सजा दिया गया है। यहां भी हम वही तैयारियां करते हैं जैसे मिथिलांचल  में की जाती है।

ठेकुए के लिए करना होगा इंतजार

घर नहीं जा पाए  रमण पाठक ने बताया कि वह पिछले साल तक मिथिलांचल  के  पुपरी (पूरा गांव)  स्थित अपने घर पर छठ मनाते थे। उन्हें छठ के दौरान बनने वाला ठेकुआ काफी पसंद है। पहले तो वह छठ के दौरान सुबह का अर्घ्य देते ही ठेकुए और गन्ना खाने लगते थे, हालांकि इस बार अपने रिश्तेदारों के वापस लौटने का इंतजार करना होगा। उन्होंने बताया कि अब उन्हें ठेकुए के लिए सप्ताहभर से ज्यादा इंतजार करना होगा।

एग्जाम की वजह से मैं घर नहीं जा पाई। वहां के माहौल को काफी मिस कर रही हूं। छठ पर मेरे सारे परिवार वाले इकट्ठा होते हैं, ऐसे में उनसे दूर रहने से पढ़ाई में भी मन नहीं लग रहा। कजीन नहाए-खाए से ही तैयारियों की फोटोज वट्सऐप करके तंग करने लगे हैं। - अनामिका (जामिया मिलिया इस्लामिया ) 
मैं बड़ी मम्मी के यहां छठ मनाने जाती हूं। इस त्योहार पर हम बच्चे जमकर मस्ती करते हैं, खाने के मामले में इस त्योहार की बात ही अलग है। खरना पर बनने वाली खीर मुझे काफी पसंद है। मेरे रिश्तेदार छठ पर बिहार को काफी मिस करते हैं। काश मैं भी कभी वहां का छठ देख पाऊं। 

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