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समस्तीपुर रेल मंडल के रेल अधिकारियों की लापरवाही से कभी भी घट सकती है भीषण रेल हादसा

राजेश कुमार वर्मा





पूर्व मध्य रेल समस्तीपुर मंडल में अधिकारियों एंव कर्मचारियों द्वारा रेल परिचालन में भ्रष्टाचार के साथ ही लापरवाही एंव कार्य में कर्तव्य हीनता बरतने का समाचार प्राप्त हुआ है।बताया जाता है. कि समस्तीपुर मंडल मुख्यालय में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों के कारण रेल में किसी क्षण भीषण हादसा होने कि संभावना बनी रहती है।वैसे ही जिन अधिकारियों की यहां पदस्थापना होती है ।वह यहां से जाना नहीं चाहता है ।क्योंकि यहां के भोले भाले तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी या तो दलित या पिछड़ा वर्ग समुदाय से आते हैं। समस्तीपुर मंडल के अधिकाश ट्रेनों में कर्मचारियों के अलावे  कनीय अधिकारियों पर वरिष्ठ अधिकारी का दबाव बना रहता है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जयनगर से नई दिल्ली जाने वाली ट्रेन संख्या 12561 एवं 12562 में विद्युत एस्कॉर्ट  कर्मचारी नियमानुसार पावर कार में 3 ,1 आयल इंजन फिटर (ओ. आई .एफ) तथा दो सहायक एक एसईसीआई (एयर  कंडीशन कोच फिटर )एवं एक सहायक कर्मचारी इसके अलावा स्लीपर तथा सामान्य कोच के लिए 1 फीट एवं एक सहायक होना चाहिए भाईकम एसीपी के ठीक करने के लिए एक मैकेनिक फिटर एवं एक सहायक की होना अनिवार्य है. परंतु इतने कर्मचारियों के जगह पर  1 साल से मात्र तीन कर्मचारियों से ही स्वतंत्रा सेनानी जयनगर से नई दिल्ली में काम किए जाने की सूचना है।जिस कारण कर्मी की तबीयत ड्यूटी के क्रम में खराब होने की सूचना है।कई बार ऐसा देखा गया है कि प्रमुख ट्रेनों में समस्तीपुर मंडल में अधिकारियों के दबाव के कारण बेड रोल की कार्यभार एसईसी आई को दबाव देकर जबरन देने के कारण ट्रेनों यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. नियमानुसार कर्मचारियों को ड्यूटी में तैनात नहीं किए जाने से यात्रियों में असुरक्षा महसूस करते हैं । जानकारी के मुताबिक स्वतंत्रता सेनानी ,गरीब रथ ,उधना एक्सप्रेस ,जनसाधारण समेत कई महत्वपूर्ण ट्रेनों के पावर भान एवं जनरेटर भान की हालत काफी नाजुक है,तथा जनरेटर भान का सिस्टम बाईपास है। जो पावर भान में इंजन एवं अल्टरनेटर में आग लगने के बाद भी शॉट  डाउन नहीं हो सकता है ।जिस कारण कई समस्तीपुर मंडल के महत्वपूर्ण ट्रेनों में आग की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. मिली जानकारी एवं ट्रेनों में संवाददाता के द्वारा यात्रा के क्रम में कई यात्रियों एवं कर्मी के  बीच नॉक झोक होते देखे जाने पर कर्मचारियों ने बताया कि इस तरह की शिकायत अधिकारियों को की जाती है ,कभी-कभी ए  सी  सी  आई एवं अन्य कर्मचारियों  ड्यूटी में असमर्थ जाहिर करने पर इन कर्मियों को निलंबित कर इनाम दिए जाते हैं। इस बीच कई हादसा समस्तीपुर मंडल रेल में होने बाद भी अधिकारी अपनी हरकतों से बाज नहीं आते हैं ।जानकारी के मुताबिक एलएचबी का नए कोच जब से पूर्व मध्य रेल समस्तीपुर को मिला है उसके बाद से महाप्रबंधक से लेकर  रेल मंत्री तक को पैंट्री कार के संवेदक से लाखों रुपए महीने में अवैध लिए जाने की भी चर्चा है। इस एवज मे पैंट्री कार में जनरेटर से  सप्लाई की जाने वाली विद्युत से खाना तैयार की जाती है यह भी अवैध है । जानकारी के मुताबिक समोसा मशीन अलग से लगाकर समोसा एवं खाने-पीने की समान तैयार की जाती है ।इस एवज में सीनियर अधिकारी किस हालत में मौन है ।इस कारण ट्रेनो में आग लगने की संभावना भी बनी रहती है । सूचना के मुताबिक 20 अप्रैल को सीनियर अधिकारियों की  गलत आदेश नहीं माने जाने पर स्वतंत्रा सेनानी 12561 के तीन कर्मी को टेलीफोन एवं मोबाइल पर निलंबन किए जानेसे  यात्रियों एवं कर्मचारियों में आक्रोश देखा गया है ।बताया जाता है कि अधिकारी द्वारा अपने बीवी बच्चों एवं बंगला की देखभाल के लिए भी बंगला पर 2,3 कर्मी को रखा जाता है। जिसका विरोध समाचार पत्रों में आने के बाद सल्टा लिया गया  है। लेकिन वाशिंग फीट एवं एस्कॉर्ट  कर्मचारियों को ड्यूटी रोस्टर  जारी किए जाते हैं ।परंतु किसी समक्ष व्यक्तियों या अधिकारियों का हस्ताक्षर नहीं होते हैं और ना ही मेमो या  पत्रांक दिनांक होते हैं ।इस बात से स्पष्ट है कि मंडल में कोई नियम कानून नहीं है। अगर मंडल के ट्रेनों में आग लगी या दुर्घटना हुई तो इसके जिम्मेदार मंडल से लेकर रेल मंत्रालय की होगी। यह है कि 3 साल पूर्व जयनगर से गरीब रथ खुलते ही मोबाइल पर प्रशासनिक आदेशानुसार अमित कुमार सहायक हेल्पर  गरीब रथ के छत पर कार्य कर रहे थे कि पेड़ से टकराने से नीचे गिरने और मंडल रेल प्रबंधक मधुबनी  रेलवे स्टेशन के निरीक्षण कर रहे थे।। घटना की जानकारी मिलते निरीक्षण छोड़ समस्तीपुर मुख्यालय वापस आएं गये। मौके पर वरिष्ठ मंडल के अधिकारी नही पहुंचे. समय रहते अगर उस कर्मचारी का इलाज हो जाता तो कर्मचारी को बचाया जा सकता था परंतु  इलाज के अलावा 3 दिनों  तक कर्मी अपने पास से सहयोग का इलाज कराया परंतु रेल अधिकारी एक ख्वाब दिखाने भी नहीं गया  जिस कारण  अमित कुमार  इस दुनिया से चल बसे बस तीन दिन तक रेलकमी  सहयोगी ने अपना अपना सहयोग देकर निजी क्लिनिक में इलाज कराया परंतु रेल प्रशासन मौन रहा है। तत्कालीन मंडल रेल प्रबंधक समेत कई अधिकारियों के संदिग्ध आचरण के कारण बेचारे अमित के परिवार आज ठोकर खा रहे हैं।

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