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उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा पीएलभी के मानदेय भुगतान में किया जा रहा टालमटोल, पीएलभी ने लगाया आरोप


राजेश कुमार वर्मा
समस्तीपुर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा कार्य करवाकर उच्चन्यायालय के आदेश के बावजूद भुगतान नहीं देने का आरोप पीएलभी रामकुमार पासवान सहित मनोज कुमार पासवान, सुधीर कुमार, कमलेश पासवान, राकेश कुमार, महेश राय,प्रभात कुमार सिंह, राम सकल प्रसाद सिंह, सुरेश महतो,विजय लक्ष्मी, अजबलाल पासवान, रंजीत कुमार, प्रदीप राम ,मो० नौशाद ,शिवकांत कुमार राय पीएलभी, इत्यादि ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पदाधिकारी एवं कर्मचारियों पर लगाया है।
पीएलभी रामकुमार पासवान द्वारा मीडिया दर्शन एंंव मिथिला हिंंदी न्यूज को दिऐ शिकायत पत्र में बताया है की पटना उच्च न्यायालय के आदेशानुसार पीएलभी को भुगतान करते हुऐ पुनः प्रतिनियुक्ति पर विचार करने हेतू आदेश निर्देश निर्गत किया गया था।इस संदर्भ में बताया जाता हैं की सभी पीएलभी को कार्य करवाया गया लेकिन बिना मानदेय भुगतान किऐ ही बेवजह काम से हटा दिया गया जबकि हमलोगों की प्रतिनियुक्ति रद्द करने का आदेश नालसा एंव बालसा से नहीं दिया गया ।इन्होंने कहां है की समस्तीपुर जिला विधिक सेवा प्राधिकारण द्वारा मनमानी करते हुऐ हमलोगों को हटाया गया।आगे कहां है की ऑफिस जाने पर किसी भी पीएलभी को सम्मान नहीं दिया जाता है।उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार ९० दिनों में पीएलभी को भुगतान देने का आदेश निर्देश दिया गया उसके बावजूद भी आजतक भुगतान नहीं किया गया है।मालूम हो की मौखिक आदेश सराहनीय माननीय जस्टिस शिवाजी पाण्डेय के द्वारा १०.१२.२०१८ के द्वारा आदेश जारी किया गया जिसमें कहां गया की याचिकाकर्ताओं के लिए वकील के परामर्श से सीखा और राज्य के लिए वकील से सीखा।
आगे लिखा है कि वर्तमान लिखित याचिका में याचिकाकर्ता दावा कर रहे हैं कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में उनके द्वारा किऐ गए कार्यों के लिए उनके मानदेय का भुगतान किया जाता है,जो इन्हें भुगतान नहीं किया गया है और उसके लिए उन्होंने एक प्रतिनिधित्व भरा है (अनुबंध-11श्रृंखला)उसी के भुगतान के लिए प्रार्थना है।बता दे कि याचिकाकर्ताओं ने संयुक्त रुप में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष द्वारा विचार किया और इस आदेश की एक प्रति प्राप्त होने/प्राप्त होने की तिथि से तीन महीने की अवधि के भीतर कानून के अनुसार निर्णय लिया।
हालांकि ,यह स्पष्ट किया जाता है कि यह न्यायालय मामले की योग्यता के आधार पर गठित /व्यक्त नहीं किया गया है।उपरोक्त टिप्पणियों और निर्देशों के साथ इस रिट याचिका का निपटान किया जाता है। पुनर्विचार किया जाऐ। उक्त आशय की सूचना विधिक सेवा प्राधिकरण पटना से पत्रांक २३६/२२.१.१९ द्वारा समस्तीपुर भेजा गया।
      इस संवंध में पीड़ित पीएलभी ने जिला एंव सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से भी गुहार लगाते हुऐ आवेदन देते हुए कहां की मानदेय भुगतान करने का आदेश माननीय उच्च न्यायालय पटना में रिट याचिका C.W.J.C. NO. 21061/2014 में भुगतान करने के साथ ही "पारा लीगल भोलेन्टियर" के पद पर प्रतिनियुक्ति पर पुनः विचार करने का आदेश निर्देश माननीय जस्टिस शिवाजी पाण्डेय द्वारा दिया गया जिसके अन्तर्गत Annexure -11 पर विचार करना शामिल है उसकी अवहेलना की जा रही है ।आगे कहां की कार्यालय में जाने पर सभी पीएलभी के साथ बदसलूकी व किसी भी तरह के मुकदमें में फंसा देने की धमकी दिया जाता हैं ।यहां तक सुनने में आया है कि वहां नियुक्त कर्मियों द्वारा कहां जाता हैं कि पदाधिकारी हमें क्या कर लेगा वो आज हैं कल चले जाएंगे ,कार्यालय तो हमलोगों से ही चलता है।खूलेआम कहते है की जहां जाना है जाओ मानदेय नहीं मिलेगा।ताज्जूब की बात है कि पीएलभी के द्वारा विधिक जागरूकता शिविर के माध्यम से प्रचार प्रसार जोर शोर से करवाया जाता है।उसके माध्यम से कहां जाता है की "सभी को न्याय, सभी को सम्मान" पर यहां ठीक उसके विपरीत कार्य किया जा रहा है।ग्यात हो की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के आदेशानुसार प्रतिनियुक्त पीएलभी को न्याय नहीं मिल रहा है तो आम जन को न्याय दिलाना एक छलावा/ढ़कोसला और जनता को बेवकूफ बनाने वाली बात है।जिसका ताजा मिशाल समस्तीपुर डी०एल० एस० ए० के कर्मचारी गण कर रहे है।इस परिस्थिति में कार्यालय के कर्मचारी गण से जनता क्या उम्मीद कर सकती है। ऐ आज बुद्धिजीवियों के बीच चर्चित हो रहा है। इसके बावजूद भी आज मानदेय भुगतान करने को पटना विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा भेेंंजे पत्र की अवधि तीन महीने पूरे होने को आया लेकिन हमलोगों को अभी तक भुगतान नहीं दिया गया है।कहना पड़ता है कि न्यायालय में लोग न्याय की आश लिए आते है लेकिन आज हमलोग के परिवार भुखमरी के कगार पर है फिर भी न्यायालय के आदेश पर विभिन्न थानों एंव ग्राम पंचायत कचहरी क्लिनिक में काम पुरी करने एंव हटाऐ जाने के बावजूद भी उच्चन्यायालय के आदेश पर भी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पीएलभी के मानदेय भुगतान नहीं किया जाना कहां तक न्यायोचित है।सर्वोच्च न्यायमूर्ति एंव जिला न्यायाधीश के लिए सोचनीय विषय बन रहा है। इस विषय पर विस्तृत जानकारी के लिए जब जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पदाधिकारी एंव कर्मचारियों से कार्यालय में सम्पर्क किया तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव राजीव रंजन सहाय ने बताया की सभी पीएलभी की मानदेय भुगतान अवधि की जांच रिपोर्ट दैनिक प्रतिनियुक्ति की तैयार की जा रही है जांचोपरांत सभी पीएलभी को मानदेय दैनिक कार्य नियुक्ति सूची अवधि के आधार पर भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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