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शिक्षा नीति को संकुल समंवयक धूमिल करने में लगे वहीं शिक्षक समुदाय में फर्जी डिग्रीयां चर्चा का विषय बना..


राजेश कुमार वर्मा
"जिस डाली पर बैठे उसी डाली को काटने" वाली कहावत को चरितार्थ कर रहें हैं संकुल सम्वंयक मीडिल स्कुल धुरलख के माननीय श्रवण कुमार शिक्षा मित्र ।
इनके अधीन कार्यरत स्कूलों के शिक्षक एंव शिक्षिकाएं शोषण दोहन का आरोप लगा रही है।बात यहां तक आ चुकी हैं जिसमें कहां जा रहा है की उक्त व्यक्ति का नियोजन जिस एम०ए० शिक्षा पर हुई उसे ही विभाग में अमान्य करार दिया गया फिर भी शिक्षा मित्र पद से प्रनोन्ती पाकर संकुल समंवयक के पद पर प्रनोन्ती पाऐं ।उक्त व्यक्ति की करतुती ने स्कूलों में कोहराम मचा रखा है।बात चर्चा में आ रहा है की उक्त संकुल समंवयक की प्रतिनियुक्ति तीन माह के लिए लोकसभा चुनाव २०१९ में समाहरणालय कर्मी के रुप में किया गया है बावजूद उक्त संकुल समंवयक स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाओं को विभागीय धौंस पट्टी देने का काम जारी रखे हुए है।हैरान होने वाली बात तो यह है की विधालयों के कनीय शिक्षकों की उपलव्धता के बावजूद भी वरीय शिक्षकों को तंगोतबाह किया जा रहा है।
हद से गुजरने के बाद बात खुलकर सामने आ रही है की उस व्यक्ति ने संकुल समंवयक के पद पर रहते हुए बगैर कोई विभागीय आदेश निर्देश एंव अवकाश लिए वर्ष २००३ से २००८ तक में कई डिग्रियां हासिल की गई।वहीं अमान्य डिग्री के आधार पर शिक्षा मित्र नियोजित उक्त व्यक्ति की करतुते प्राथमिक विद्यालय धुरलख कन्या विधालय में चर्चित है।उक्त व्यक्ति के नियोजन संवंधी सूचना हासिल करने के लिए शिक्षकों में अफरातफरी मची हुई हैं।
शिक्षा विभाग में जब नियुक्ति अवधि फर्जी ही होगी तो स्कूलों में शिक्षक एंव छात्र समुदाय तो परेशान होंगे ही वहीं सरकार की शिक्षा नीति और न्याय के साथ विकास करने की महत्वाकांक्षा भी धूमिल होगी।समय रहते मामले को सलटाया नहीं गया तो उक्त संकुल के अन्तर्गत स्कूलों के शिक्षकों के आक्रोश का सामना विभाग एंव प्रशासन को करना पड़ेगा।

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