राजेश कुमार वर्मा
जिंदगी में जो उतार-चढाव अल्का जी ने देखा ।शायद वही उनके जूनून का साथी बनता गया। एक समय था जब उनको टीबी की बीमारी हो गयी। मुझे जब पता चला तो मैने अपनी बाइक पर उन्हें एन.एम .सी .एच ,राजकीय टीबी सेंटर ले जाया करता।उनके हौसले तब भी उतने मजबूत थे जितने की आज।
जो लोग अपनी तमाम व्यस्ताओं के बावजूद खुशियो को ढूँढ लेते हैं। उनकी जिंदगी के मायने औरो से अलग होते हैं।
जिंदगी जीने का नाम।
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जो लोग अपनी जिंदगी में सकारात्मक भावनाएँ भरते हैं उनको दुःख में भी सुख का एहसास होता है। टूट चुके उम्मीदें भी जुङकर व्यक्ति में विश्वास जगाता है। आशा जगाता है। जीने की हौसला देता है। उपलब्धि पर गर्व करना सिखाता है।
नकारात्मक विचारो से रहें दूर।
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तमाम तरह की बुराईयों से भी अगर आप घिरे हो फिर भी किसी के लिए नफरत,गुस्सा न रखना आपके पुरुषार्थ को बढाता है।
संबंधो में मिश्रि घोलना।
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अगर आप विपरीत परिस्थिति में घिरे जी रहे फिर भी यदि आप नये संबंध बढाते जाते हैं। तो आपके हार के बाद जीत की बारी आ ही जाती है।
स्पष्ट करें जीवन उदेश्य ।
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जब आपका सबकुछ खत्म हो जाये फिर भी आपको अपने जिंदगी के मायने तलाशने चाहिए ।सकारात्मक इरादे से तय जीवन लक्ष्य सफलताओं के दरवाजे खोलता है।
खुद को स्वीकार करें।
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आप चाहे जैसे हैं और जिस परिस्थितियों में हो खुद को स्वीकार करें।अपनी कमियों कॊ स्वीकृत करें।अच्छे अनुभवों को महसूस कर पुराने दुःखदायी पलो कॊ भूलने की कोशिश करें।जितना आप खुद को स्वीकार करते जायेंगे आपकी खुशी उतनी ही मात्रा में लौटती जायेगी।
तभी शीशे की ग्लास में शरबत लिए अल्का आंटी ने कहा लो बेटा कुछ पी लो।मैने अभिभूत नजरों से उनकी ओर देखा।
---लेखक डॉ॰ मनोज कुमार प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक है।
इनका संपर्क नं-9835498113 है।
डॉ॰ मनोज कुमार
कमरे में हल्की-हल्की रोशनी फैली हुयी और मध्यम-मध्यम हवाएँ अल्का जी के सिर के आंचल को उङा रही थी। छज्जूबाग,पटना के मध्यमवर्गीय परिवार का यह घर कुछ मामलों में अलग सा दिख रहा।आस-पास के इलाके में बङे-बङे इमारतें थी। सामने पटना नगर निगम की ओर से लगाया हुआ एक प्याउं ।जो की आते जाते लोगों की प्यास इस दोपहरी में बुझा रहा था।मैं डाकबंगला की तरफ से आ रहा था।42 डिग्री के तापमान सहते हुए गला सूख सा रहा था। सामने जब अलका जी का नेम प्लेट देखा तो थोङा सूकून सा मिला।मुझे इनके यहाँ ही आना था ।अभिनव इन्हीं का गोद लिया बेटा है। पिछले दिनों सिविल सेवा पास करनेवाले में मेरा दोस्त भी शामिल रहा है।56 वर्षीय अल्का जी का सफर इतना आसान न था। कारगील युद्ध में अपने शहीद पति की याद में पेंशन पर जीते हुए ।पटना के अखबारों से जुङी रही।आश्रय गृह में सेवाएं दी।बच्चों को पढाया।एक दिन पोलियोग्रस्त अभिनव 11साल की उम्र में इन्हें मिला।तब से अबतक इन्हीं की बदौलत ये कामयाबी मेरे दोस्त कॊ मिली थी।मानसिक स्वास्थ्य पर कार्य करने की वजह से मै समाजिक कार्यो में काफी हिस्सेदारी निभाता रहा। अभिनव को पढने की भूख थी इसलिए मेरी मुलाकात एन सिन्हा इंस्टिट्यूट, पटना में हुयी थी।जिंदगी में जो उतार-चढाव अल्का जी ने देखा ।शायद वही उनके जूनून का साथी बनता गया। एक समय था जब उनको टीबी की बीमारी हो गयी। मुझे जब पता चला तो मैने अपनी बाइक पर उन्हें एन.एम .सी .एच ,राजकीय टीबी सेंटर ले जाया करता।उनके हौसले तब भी उतने मजबूत थे जितने की आज।
जो लोग अपनी तमाम व्यस्ताओं के बावजूद खुशियो को ढूँढ लेते हैं। उनकी जिंदगी के मायने औरो से अलग होते हैं।
जिंदगी जीने का नाम।
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जो लोग अपनी जिंदगी में सकारात्मक भावनाएँ भरते हैं उनको दुःख में भी सुख का एहसास होता है। टूट चुके उम्मीदें भी जुङकर व्यक्ति में विश्वास जगाता है। आशा जगाता है। जीने की हौसला देता है। उपलब्धि पर गर्व करना सिखाता है।
नकारात्मक विचारो से रहें दूर।
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तमाम तरह की बुराईयों से भी अगर आप घिरे हो फिर भी किसी के लिए नफरत,गुस्सा न रखना आपके पुरुषार्थ को बढाता है।
संबंधो में मिश्रि घोलना।
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अगर आप विपरीत परिस्थिति में घिरे जी रहे फिर भी यदि आप नये संबंध बढाते जाते हैं। तो आपके हार के बाद जीत की बारी आ ही जाती है।
स्पष्ट करें जीवन उदेश्य ।
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जब आपका सबकुछ खत्म हो जाये फिर भी आपको अपने जिंदगी के मायने तलाशने चाहिए ।सकारात्मक इरादे से तय जीवन लक्ष्य सफलताओं के दरवाजे खोलता है।
खुद को स्वीकार करें।
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आप चाहे जैसे हैं और जिस परिस्थितियों में हो खुद को स्वीकार करें।अपनी कमियों कॊ स्वीकृत करें।अच्छे अनुभवों को महसूस कर पुराने दुःखदायी पलो कॊ भूलने की कोशिश करें।जितना आप खुद को स्वीकार करते जायेंगे आपकी खुशी उतनी ही मात्रा में लौटती जायेगी।
तभी शीशे की ग्लास में शरबत लिए अल्का आंटी ने कहा लो बेटा कुछ पी लो।मैने अभिभूत नजरों से उनकी ओर देखा।
---लेखक डॉ॰ मनोज कुमार प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक है।
इनका संपर्क नं-9835498113 है।