राजेश कुमार वर्मा
समस्तीपुर मोरवा उत्तरी पंचायत में अवस्थित प्रखंड मुख्यालय मोरवा के परिसर में वर्षों से तैयार जलमीनार होने के कारण यहां नल जल योजना से एक भी काम नही हुआ है। लाखों कीमत से निर्मित यह जलमीनार सफेद हाथी बनकर रह गया है। संपूर्ण मोरवा उत्तरी पंचायत में इस जलमीनार की पाईप लाईन बिछी तो है, परन्तु कई जगह पाईप क्षतिग्रस्त हो गयी है। फलस्वरूप हजारों लीटर पानी सड़क पर बह जाते हैं, जिसे देखने वाला भी कोई नही है। गर्मी के मौसम में भूजलस्तर काफी नीचे हो गया है। इस कारण संपूर्ण पंचायत में चापाकल फेल हो गया है। यहां के ग्रामीण केवल इस जलमीनार के भरोसे ही हैं। जलमीनार के आपरेटर द्वारा कभी भी समय पर पानी सप्लाई नही किया जाता है। पूछने पर हमेशा कोई न कोई तकनीकी खराबी बताकर अपना पल्ला झार लिया जाता है। प्रखंड परिसर में बीडीओ आवास के सामने, प्रखंड नाजिर के आवास के सामने एवं अन्य जगहों पर नलकूप में टोटी नही लगे होने के कारण सारा पानी यू ही बहकर बर्बाद होता रहता है। इसे भी देखने वाला कोई नही है। लाखों की लागत से तैयार यह जलमीनार प्रखंड के लिए शोभा की बस्तु बनकर रह गया है। शिक्षक कृष्ण कन्हैया मिश्र का कहना है कि क्षेत्र का भूजलस्तर काफी नीचे गिर गया है। इस काण विद्यालय में छात्रों के सामने भी जल संकट की समस्या उत्पन्न हो गयी है। वार्ड सदस्य कृष्ण कुमार झा का कहना है कि लोगों को पानी पीने के लिए ही भीषण रूप से जल संकट है, फिर किसानों को पशुओं के लिए पानी कहां से मिलेगा। जबकि यहां अधिकांश किसान पशुपालक हैं। पंचायत में जलमीनार होते हुए भी पानी नही मिलने को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ रहा है। कई लोगों ने इस जल संकट को लेकर बीडीओ से शिकायत की है। इस संबंध में बीडीओ शिवशंकर राय ने बताया कि बराबर यहां कोई न कोई तकनीकी खराबी होती रहती है। इसके लिए वरीय अधिकारियाें को लिखित सूचना दी गई है। जल्द हीे समस्या का निदान किया जायेगा।
समस्तीपुर मोरवा उत्तरी पंचायत में अवस्थित प्रखंड मुख्यालय मोरवा के परिसर में वर्षों से तैयार जलमीनार होने के कारण यहां नल जल योजना से एक भी काम नही हुआ है। लाखों कीमत से निर्मित यह जलमीनार सफेद हाथी बनकर रह गया है। संपूर्ण मोरवा उत्तरी पंचायत में इस जलमीनार की पाईप लाईन बिछी तो है, परन्तु कई जगह पाईप क्षतिग्रस्त हो गयी है। फलस्वरूप हजारों लीटर पानी सड़क पर बह जाते हैं, जिसे देखने वाला भी कोई नही है। गर्मी के मौसम में भूजलस्तर काफी नीचे हो गया है। इस कारण संपूर्ण पंचायत में चापाकल फेल हो गया है। यहां के ग्रामीण केवल इस जलमीनार के भरोसे ही हैं। जलमीनार के आपरेटर द्वारा कभी भी समय पर पानी सप्लाई नही किया जाता है। पूछने पर हमेशा कोई न कोई तकनीकी खराबी बताकर अपना पल्ला झार लिया जाता है। प्रखंड परिसर में बीडीओ आवास के सामने, प्रखंड नाजिर के आवास के सामने एवं अन्य जगहों पर नलकूप में टोटी नही लगे होने के कारण सारा पानी यू ही बहकर बर्बाद होता रहता है। इसे भी देखने वाला कोई नही है। लाखों की लागत से तैयार यह जलमीनार प्रखंड के लिए शोभा की बस्तु बनकर रह गया है। शिक्षक कृष्ण कन्हैया मिश्र का कहना है कि क्षेत्र का भूजलस्तर काफी नीचे गिर गया है। इस काण विद्यालय में छात्रों के सामने भी जल संकट की समस्या उत्पन्न हो गयी है। वार्ड सदस्य कृष्ण कुमार झा का कहना है कि लोगों को पानी पीने के लिए ही भीषण रूप से जल संकट है, फिर किसानों को पशुओं के लिए पानी कहां से मिलेगा। जबकि यहां अधिकांश किसान पशुपालक हैं। पंचायत में जलमीनार होते हुए भी पानी नही मिलने को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ रहा है। कई लोगों ने इस जल संकट को लेकर बीडीओ से शिकायत की है। इस संबंध में बीडीओ शिवशंकर राय ने बताया कि बराबर यहां कोई न कोई तकनीकी खराबी होती रहती है। इसके लिए वरीय अधिकारियाें को लिखित सूचना दी गई है। जल्द हीे समस्या का निदान किया जायेगा।