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चार लाख लोगों के अरमानों पर रिटेंडर का अड़ंगा

 विमल किशोर सिंह
सीतामढ़ी-पूर्वी चंपारण को जोड़ने वाली लालबकैया नदी के फुलवरिया घाट पर एक दशकों में नाव दुर्घटना में दो दर्जन लोगो की हुई मौत के बाद भी सड़क पुल का निर्माण छह वर्ष में भी पूरा नहीं होने से करीब चार लाख की आबादी प्रभावित है।वर्ष -2016 में ही पुल निर्माण कर जनता को समर्पित करने की योजना बनी थी जो दिवा स्वप्न बनकर रह गया है। मिली जानकारी के अनुसार इंडो नेपाल बॉर्डर रोड प्रोजेक्ट योजना के तहत फुलवरिया घाट पर सड़क पुल निर्माण के साथ ही सीतामढ़ी जिले के मेजरगंज प्रखंड के बहेरा गाँव तक सड़क निर्माण का टेंडर करीब 66 करोड़ में वर्ष 2012 में आरपी इंफ़्रा प्रोजेक्ट,सिलीगुड़ी को मिला था तब फरवरी 2013 में कम्पनी ने घाट पर भूमि पूजन कर पुल निर्माण का कार्य प्रारंभ किया लेकिन कुछ कानूनी अड़चनों में फुल निर्माण का मामला उलझ गया और करीब एक-डेढ़ बर्ष के बाद पुनः निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ तबतक समानों की कीमतों में उछाल आ गयी।आरपी कम्पनी ने रेट रिवाइज करवाने की पुरजोर कोशिश की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली तब उन्होंने मात्र पीलर तक का काम करवाकर काम को रोक दिया फलतः बाद में उन्हें पथ निर्माण विभाग ने रिसाइन(अनुबंध समाप्त) कर बर्ष-2017 में रिटेंडर किया लेकिन अबतक टेंडर डिसाइड नहीं हुआ है। पथ निर्माण विभाग, सीतामढ़ी के कार्यपालक अभियंता राजकुमार ने बताया कि पूर्व के 120 मीटर लंबे पुल अब 166 मीटर लम्बाई में तब्दील हो चुकी है साथ ही बहेड़ा तक सड़क का निर्माण होना है जिसकी लागत करीब 116 करोड़ हो गयी इस आलोक में रिटेंडररिंग भी हो चुकी है। लोस चुनाव सम्पन्न हो चुका है जल्द ही टेंडर डिसाइड होगा यदि सबकुछ ठीक रहा तो, अन्यथा पुनः रिटेंडर किया जाएगा तभी पुल निर्माण पूरा करने के साथ बहेड़ा तक सड़क का निर्माण कार्य पूरा हो सकेगा। दो माह बाद लालबकैया नदी उफान पर होगी और फिर चार-पांच माह तक लोग फुलवरिया घाट पर जान जोखिम में डालकर नाव की सवारी करके ही चंपारण-सीतामढ़ी आ जा सकेंगे।बहरहाल बर्ष-2019 में सड़क पुल का निर्माण दिवा स्वप्न जैसा है।सरकार, विभाग के साथ जनप्रतिनिधि गंभीर हुए तो शायद बर्ष-2020 में इस क्षेत्र के लोगों को सड़क पुल नसीब हो सकेगा ।

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