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एग्रीकल्चर अनुसंधान संस्थान पुसा के छठे रिसर्च काउंसिल खरीफ सभा की बैठक आयोजित किया गया

राजेश कुमार वर्मा
समस्तीपुर छठे रिसर्च काउंसिल खरीफ सभा के अंतिम दिन की बैठक कुलपति डा० रमेश चंद्र श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई।जिसमें वाह्य विशेषज्ञ के तौर पर डा० के०पी० त्रिपाठी और डा० एस०के० पाण्डेय ने शिरकत की। उक्त बैठक में पैंतीस नये विश्वविद्यालय से पोषित अनुसंधान प्रोजेक्ट की स्वीकृति दी गई और पुराने अनुसंधान प्रोजेक्टों की समीक्षा की गई।*
   *डा० श्रीवास्तव की अध्यक्षता में रिसर्च काउंसिल ने खरीफ मक्का पर टिलेज और भूइमेंटस मैनेजमेंट की नई तकनीक को रिलीज के लिए अनुशंसित किया।इस तकनीक का विकास डा० मृत्युंजय कुमार के साथ सहयोगी वैज्ञानिकों ने की।*
  *रिसर्च काउंसिल ने धान के दो संकर प्रभेद एराइज तेज गोल्ड और एराइज ६१२९ गोल्ड को रिलीज के लिए राज्य सरकार को अनुशंसित किया।ऐ दोनों फसल एराइज तेज गोल्ड ११५ से १२० दिन में तैयार होने वाले प्रभेद है जिसकी उपज अन्य संकर धानों से लगभग २५ प्रतिशत अधिक है।इसका चावल महीन दाना वाला है।इसी तरह एराइज ६१२९ गोल्ड लगभग १३० दिनों में तैयार होने वाला प्रभेद है जिसकी उपज अन्य संकर धानों से बेहतर है।इसका चावल लम्बा दाना वाला है।*
   *इसके साथ ही डा० श्रीवास्तव ने मत्स्य बंधूओं को भी रिलीज किया।मत्स्य बंधू गरीब मछुआरों के लिए एक सोलर चालित रेफ्रिजरेटेड ठेला है जिसमें मछली लगभग सात दिनों तक ताजा बनी रहतीहै।इसमें ३०-३५ किलो तक मछली रखी जा सकती हैं।*
  *राज्य सरकार की ओर से मत्स्य बीज की खरीद के आर्डर पहले ही दिए जा चुके है।*
  *समापन समारोह में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए डा० श्रीवास्तव ने कहा कि अनुसंधान में इनोवेटिव विचार की आवश्यकता है।*
  *उन्होंने आगे कहां कि वैज्ञानिकों को चाहिए कि वे आम तौर पर चल रहे अनुसंधान से हटकर कुछ अलग सोचें।*
   *उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में देश का विकास कृषि के विकास के बगैर अधुरा होगा।कृषि के विकास के लिए वैज्ञानिकों को विश्व स्तर के अनुसंधान को ध्यान में रखकर विभिन्न तकनीकों और प्रभेदों का विकास करने की जरुरत है।*
   *उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को किसानों से बात कर उनकी समस्याओं को जानने की जरुरत है और उसी से उन्हें नये अनुसंधान के विचार प्राप्त होंगे।*
  *रिसर्च काउंसिल की बैठक में निदेशक अनुसंधान डा०मिथिलेश कुमार , सहायक निदेशक डा० एन० के० सिंह , निदेशक शिक्षा डा० एल०एन०झा सहित अन्य वैज्ञानिक और कर्मचारी भी शामिल हुऐं।

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