राजेश कुमार वर्मा
सीता के अति महान पावन चरित्र के कारण ही राम राज्य की स्थापना संभव हो सकी। उक्त बातें कहीं यती स्थान सूर्य पुर एवं मरिचा पंचायत के काली स्थान में विश्व हिंदू परिषद द्वारा सोमवार को आयोजित जानकी नवमी समारोह को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने। वक्ताओं ने स्पष्ट किया किराम द्वारा भगवती सीता की ली गई अग्नि परीक्षा की अज्ञानी लोग निंदा किया करते हैं। लेकिन मिथिला की महान बेटी सीता ने अपने पावन चरित्र को संपूर्ण संसार में सूर्य के समान देदीप्यमान साबित करने के लिए अपनी इच्छा से अग्नि परीक्षा उत्तीर्ण कर नारी चरित्र को उज्जवल करते हुए मानवता और संसार के कल्याण के लिए महान पाति व्रत्य की स्थापना की थी। महान संत अत्रि ऋषि की महा पतिव्रता पत्नी भगवती अनुसूया ने सीता के महान पावन चरित्र से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हुए कहा था , सुनु सीता , तव नाम सुमिरि, नारि पति व्रत करहिं। तुमहिं, परम प्रिय राम, कहेउ कथा संसार हित। वक्ताओं ने बताया सच तो यह है कि सीता ने राष्ट्रीय एकता के लिए स्वयं अपने जीवन को त्याग तपस्या के द्वारा भारत को महान बनाने का महान लक्ष्य सिद्ध किया था। इस प्रकार मिथिला की महान बेटी भगवती सीता ने राष्ट्रीय एकता और अखंडता की स्थापना में अपने पावन चरित्र के द्वारा महान योगदान दिया है। समारोह को प्रोफेसर अवधेश कुमार झा, पूर्व सर मनोज कुमार झा, प्रोफ़ेसर जनार्दन चौधरी, अंजनी कुमार झा, मुखिया फूलन कुमार सिंह, उदय कुमार चौधरी, विश्व हिंदू परिषद के महासचिव दीप नारायण चौधरी, डॉ उदय शर्मा, कृष्ण नंदन शर्मा आदि ने संबोधित किया। इस अवसर पर रामचरितमानस का नवाह परायण रामायण पाठ, कीर्तन भजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।
सीता के अति महान पावन चरित्र के कारण ही राम राज्य की स्थापना संभव हो सकी। उक्त बातें कहीं यती स्थान सूर्य पुर एवं मरिचा पंचायत के काली स्थान में विश्व हिंदू परिषद द्वारा सोमवार को आयोजित जानकी नवमी समारोह को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने। वक्ताओं ने स्पष्ट किया किराम द्वारा भगवती सीता की ली गई अग्नि परीक्षा की अज्ञानी लोग निंदा किया करते हैं। लेकिन मिथिला की महान बेटी सीता ने अपने पावन चरित्र को संपूर्ण संसार में सूर्य के समान देदीप्यमान साबित करने के लिए अपनी इच्छा से अग्नि परीक्षा उत्तीर्ण कर नारी चरित्र को उज्जवल करते हुए मानवता और संसार के कल्याण के लिए महान पाति व्रत्य की स्थापना की थी। महान संत अत्रि ऋषि की महा पतिव्रता पत्नी भगवती अनुसूया ने सीता के महान पावन चरित्र से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हुए कहा था , सुनु सीता , तव नाम सुमिरि, नारि पति व्रत करहिं। तुमहिं, परम प्रिय राम, कहेउ कथा संसार हित। वक्ताओं ने बताया सच तो यह है कि सीता ने राष्ट्रीय एकता के लिए स्वयं अपने जीवन को त्याग तपस्या के द्वारा भारत को महान बनाने का महान लक्ष्य सिद्ध किया था। इस प्रकार मिथिला की महान बेटी भगवती सीता ने राष्ट्रीय एकता और अखंडता की स्थापना में अपने पावन चरित्र के द्वारा महान योगदान दिया है। समारोह को प्रोफेसर अवधेश कुमार झा, पूर्व सर मनोज कुमार झा, प्रोफ़ेसर जनार्दन चौधरी, अंजनी कुमार झा, मुखिया फूलन कुमार सिंह, उदय कुमार चौधरी, विश्व हिंदू परिषद के महासचिव दीप नारायण चौधरी, डॉ उदय शर्मा, कृष्ण नंदन शर्मा आदि ने संबोधित किया। इस अवसर पर रामचरितमानस का नवाह परायण रामायण पाठ, कीर्तन भजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।