राजेश कुमार वर्मा
समाज से नशा मिटायें : डॉ० मनोज कुमार पटना ।सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक चिकित्सक डॉ० मनोज कुमार ने मिथिला हिन्दी न्यूज प्रतिनिधि को एक भेंट में कहाँ की
"नशा लेनेवाले से घृणा नही नशीले पदार्थों से बनायें दूरी।"
आज अंतराष्ट्रीय औषध दुरूपयोग व इसके अवैध कारोबार विरोध दिवस पर यह नारा मेरे द्वारा दिया गया।विश्व में आज नशा और इसके अवैध बिजनेस के विरोध के रूप में समाज को आगे आने की दरकार है। अंतर्राष्ट्रीय संगठन इस अवसर को न्याय के लिए स्वास्थ्य, स्वास्थ्य के लिए न्याय विषयक पर जोर दे रहा।पूरा विश्व सचेत हो चुका है। खासतौर से हमारे समाज के बच्चे भी किसी न किसी नशे की चपेट में है।
लोगों को स्वास्थ्य के प्रति न्याय की दरकार
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अब समय आ गया हैं कि लोग नशा का त्याग करें और अपने स्वास्थ्य के साथ न्याय करें।अब हमारे युवाओं के बीच भी नशा लेने का प्रचलन बढ रहा।देशी-विदेशी शराब,गांजा-भांग व अन्य तरह के नशे चोरी-छिपे लिए जा रहे। गांव व शहर में महिलाओं द्वारा भी बहुत तरह के नशे लिए जा रहा।पटना व इसके आस-पास भी परंपरागत नशे का कारोबार फल-फूल रहा।
बढ रहे मामले।
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भारत सरकार का नेशनल ड्रग्स डिपेनडेंस सेंटर (एम्स,दिल्ली)की जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी2019 तक विभिन्न नशा लेने या उसकी गिरफ्त में आने वाले लोगों पर शोध किया गया।जिसके आंकड़े चौकाने वाले थे। अध्ययन के हिसाब से भारत में 10 वर्ष तक के करीब 16करोङ लोग विभिन्न तरह के नशे ले रहें।इसी प्रकार 3.1करोङ लोग गांजे का सेवन कर रहें।जो सभी उम्र के हैं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक ओपियाड 2.06 प्रतिशत लोग ले रहें।अबतक नशा से बचने के लिए 0.55फीसदी ही लोग नशामुक्ति की शरण में हैं। जो काफी चिंताजनक है। इस रिपोर्ट पर गौर करें तो पता चलता हैं कि अभी 85 लाख लोग इंजेक्शन द्वारा नशा अपने शरीर में उतार रहें।
बिहार भी अछूता नही।
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विभिन्न तरह के नशा लेनेवाले में बिहार समेत पंजाब,आसाम,दिल्ली, हरियाणा, मणिपुर, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, मिजोरम में नशे का प्रभाव बढ रहा।
पहचाने नशा लेनेवाले को।
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नशा लेने वाले की पहचान करना समूचे समाज की नैतिक जिम्मेदारी है। ज्यादातर नशा लेनेवाले अकेला रहना चाहता है। वह अपने आप में सिमटा-सिकुङा सा डरा या किसी को डराने वाला रोल में होता है। ऐसे लोग अपनी समस्याएं जगजाहिर नही होने देते।इनके भूख व प्यास में जबरदस्त कमी देखी जाती है।
संभव हैं समाधान ।
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जबतक समाज में नशा लेनेवाले से नफरत होगी तबतक वो लोग नशे को छोङने में असुरक्षित महसूसेगें।अब समय आ गया हैं की नशा लेनेवाले वाले को बीमार की तरह देखा जाये।जरूरत इस बात की हैं की परिवार का सकारात्मक सहयोग इन्हें मिले ताकी इनमें नशा छोङने में सहूलियत हो ।
------डॉ॰ मनोज कुमार,बिहार के ख्याति प्राप्त मनोवैज्ञानिक
हैं। इनका संपर्क नं 9835498113 हैं।
समाज से नशा मिटायें : डॉ० मनोज कुमार पटना ।सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक चिकित्सक डॉ० मनोज कुमार ने मिथिला हिन्दी न्यूज प्रतिनिधि को एक भेंट में कहाँ की
"नशा लेनेवाले से घृणा नही नशीले पदार्थों से बनायें दूरी।"
आज अंतराष्ट्रीय औषध दुरूपयोग व इसके अवैध कारोबार विरोध दिवस पर यह नारा मेरे द्वारा दिया गया।विश्व में आज नशा और इसके अवैध बिजनेस के विरोध के रूप में समाज को आगे आने की दरकार है। अंतर्राष्ट्रीय संगठन इस अवसर को न्याय के लिए स्वास्थ्य, स्वास्थ्य के लिए न्याय विषयक पर जोर दे रहा।पूरा विश्व सचेत हो चुका है। खासतौर से हमारे समाज के बच्चे भी किसी न किसी नशे की चपेट में है।
लोगों को स्वास्थ्य के प्रति न्याय की दरकार
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अब समय आ गया हैं कि लोग नशा का त्याग करें और अपने स्वास्थ्य के साथ न्याय करें।अब हमारे युवाओं के बीच भी नशा लेने का प्रचलन बढ रहा।देशी-विदेशी शराब,गांजा-भांग व अन्य तरह के नशे चोरी-छिपे लिए जा रहे। गांव व शहर में महिलाओं द्वारा भी बहुत तरह के नशे लिए जा रहा।पटना व इसके आस-पास भी परंपरागत नशे का कारोबार फल-फूल रहा।
बढ रहे मामले।
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भारत सरकार का नेशनल ड्रग्स डिपेनडेंस सेंटर (एम्स,दिल्ली)की जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी2019 तक विभिन्न नशा लेने या उसकी गिरफ्त में आने वाले लोगों पर शोध किया गया।जिसके आंकड़े चौकाने वाले थे। अध्ययन के हिसाब से भारत में 10 वर्ष तक के करीब 16करोङ लोग विभिन्न तरह के नशे ले रहें।इसी प्रकार 3.1करोङ लोग गांजे का सेवन कर रहें।जो सभी उम्र के हैं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक ओपियाड 2.06 प्रतिशत लोग ले रहें।अबतक नशा से बचने के लिए 0.55फीसदी ही लोग नशामुक्ति की शरण में हैं। जो काफी चिंताजनक है। इस रिपोर्ट पर गौर करें तो पता चलता हैं कि अभी 85 लाख लोग इंजेक्शन द्वारा नशा अपने शरीर में उतार रहें।
बिहार भी अछूता नही।
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विभिन्न तरह के नशा लेनेवाले में बिहार समेत पंजाब,आसाम,दिल्ली, हरियाणा, मणिपुर, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, मिजोरम में नशे का प्रभाव बढ रहा।
पहचाने नशा लेनेवाले को।
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नशा लेने वाले की पहचान करना समूचे समाज की नैतिक जिम्मेदारी है। ज्यादातर नशा लेनेवाले अकेला रहना चाहता है। वह अपने आप में सिमटा-सिकुङा सा डरा या किसी को डराने वाला रोल में होता है। ऐसे लोग अपनी समस्याएं जगजाहिर नही होने देते।इनके भूख व प्यास में जबरदस्त कमी देखी जाती है।
संभव हैं समाधान ।
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जबतक समाज में नशा लेनेवाले से नफरत होगी तबतक वो लोग नशे को छोङने में असुरक्षित महसूसेगें।अब समय आ गया हैं की नशा लेनेवाले वाले को बीमार की तरह देखा जाये।जरूरत इस बात की हैं की परिवार का सकारात्मक सहयोग इन्हें मिले ताकी इनमें नशा छोङने में सहूलियत हो ।
------डॉ॰ मनोज कुमार,बिहार के ख्याति प्राप्त मनोवैज्ञानिक
हैं। इनका संपर्क नं 9835498113 हैं।