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दुखी मन से उम्मीद की किरण के साथ "ताजपुर की चिट्ठी"



राजेश कुमार वर्मा
 सामरिक दृष्टि एवं महत्व से परिपूर्ण लेकिन सरकार, जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारियों के सौतेलापूर्ण व्यवहार के कारण विकास की रौशनी से कोसों दूर बदहाली एवं कुव्यवस्था के कागार पर आज ताजपुर खड़ा है।
    अंग्रेज जमाने का अनुमंडल का दर्जा छीना जा चुका है। 1972 के आसपास स्व० कर्पूरी ठाकुर का विधान सभा क्षेत्र का दर्जा साजिश के तहत छीना गया, वर्तमान राज्य सभा सांसद रामनाथ ठाकुर भी अन्य जनप्रतिनिधियों की तरह चुप बैठे हैं। स्व० ललित नारायण मिश्र के रेलमंत्रीत्व काल में कर्पूरीग्राम-ताजपुर-पातेपुर-महुँआ-हाजीपुर रेल लाईन का प्रस्ताव एवं सर्वे के बाद भी योजना ठंढ़े वस्ते में पड़ा है। सारी तैयारी पूरी करने के बाद नगर पंचायत का दर्जा नहीं दिया गया। किसानों के हित में स्व० ठाकुर के समय शुरू किया गया जमुआरी नदी परियोजना अधूरा पड़ा है। ताजपुर का छड़़, चप्पल आदि फैक्ट्री वर्षों पहले दम तोड़ चुका। कई आँफिस यहाँ से हटा लिया गया है। किसान-मजदूरों का सहारा मोतीपुर सब्जीमंडी में आजतक बिजली, शौचालय, पानी आदि नहीं पहुँच पाया। बाजार क्षेत्र में नाला आजतक नहीं बन पाया। दरगाह रोड, शंकर टाँकीज रोड, रजबा रोड समेत अन्य कई सड़के चलने लायक नहीं,बेहतर शिक्षा, चिकित्सा,बिजली के साधन का आभाव, वर्तमान 7 निश्चय योजना, मनरेगा, जनवितरण प्रणाली आदि अनगिनत समस्याएं यहाँ मौजूद है।
    क्या मंत्री, सांसद, विधायक के स्वागत एवं सम्मान समारोह के नाम पर खुश होकर बंदर की तरह उछलने- कुदने वाले, उनके समक्ष इन समस्याओं को उठाने का हिमाकत करेंगे ताकि फिर से ताजपुर की खोई गरिमा वापस लौट सके। 

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