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संस्कारों के जङ से जुङने से मिलती हैं बङी उपलब्धि

राजेश कुमार वर्मा
परिवार की जङे जितनी गहरी हो खुशियाँ उतने दामन में आती है। जब वो आंठवी में पढ रही थी। तब उनके
 दादा एक एक्सीडेन्ट में चलने फिरने के काबिल नही रहे। शालिनी ने तब अपने परिवार में बङे-बुजुर्ग की चलने की तकलीफ दूर करने की सोची।मोडीफाईड वाकर विथ एडजेस्टेबल लेग्स की डिजाइन खुद की,और बचत के पैसे से वो दादाजी के लिए वह पैर बना दिया जिसे लेकर उनके बुजुर्ग दादा सीढीयों पर चढ-उतर सकते हैं।
दो-दो बार राष्ट्रपति सम्मान, साउथ कोरिया व वैज्ञानिक अवार्ड से सम्मानित इस बालिका को आर्शीवाद देने मैं आज इनके घर गया था।
मौका था मेरे अजिज मित्र व बोलो जिंदगी चैनल हेड श्री राकेश कुमार सोनू का बेहद चर्चित शो में बतौर अतिथि शामिल होने का । यह शो बेहद पारिवारिक उपलब्धि जो की समाज में बदलाव के बावजूद जो लोग अपने पारिवारिक जङों से जुङकर कामयाब होते हैं उनको साप्ताहिक रूप से सम्मानित भी करता है। इस मौके पर मेरे साथ थी पूरे भारत को साइकिल से करीब छः महीने में भ्रमण करने वाली विदुषी व सशक्त महिला सुश्री तब्बसुम अली और जानेमाने पत्रकार व छायाकार श्री प्रीतम। 

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