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सदर अस्पताल समस्तीपुर में डॉक्टरों की कमी के कारण आए हुए मरीजों में बढ़ती परेशानी कुछ डॉक्टरों पर मरीजों की पड़ी मार सदर अस्पताल अपने आप पर आंसू बहाने को मजबूर

राजेश कुमार वर्मा

समस्तीपुर जिला अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार एंव कार्यशैली के कारण चर्चित हो रहा है।आपको बताते है कि समस्तीपुर जिले में संचालित सदर अस्पताल के कर्मचारियों एंव पदाधिकारी चिकित्सकों की कार्यशैली के कारण इन दिनों काफी चर्चा का विषय बनता जा रहा है ।सदर अस्पताल अपने आप पर आंसू बहाने पर मजबूर हो गया है।इसका मुख्य कारण है डॉक्टरों का समय पर नहीं उपस्थित होना वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों की कमी के कारण दूरदराज के क्षेत्रों से आए हुए मरीजों के अभिभावकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है जिसके वजह से 8:00 बजे से ओपीडी के खुलने का समय है जिसे जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित किया गया है लेकिन 11:00 बजे तक भी डॉक्टरों की उपस्थिति नहीं हो पाती है कुछ एक डॉक्टर अपने अपने कर्तव्य के प्रति समय पर नजर आते हैं भी तो उनपर मरीजों की मार पड़ जाती हैं जिसके कारण बेचैन हो जाते है।ओपीडी में सामान्य चिकित्सक , नेत्र चिकित्सक ,हड्डी रोग विशेषज्ञ, टीवी ,कुष्ठ रोग ,प्रसूति, एवं अंत्तपरीक्षण विकलांगता इत्यादि विभागीय चिकित्सक नियुक्त हैं लेकिन गूंगे एवं बहरे मरीजों की जांच हेतु डॉक्टरों की कमी है जिससे मुख बधिर की जांच हेतु डॉक्टर के नहीं रहने के कारण आए हुए आगंतुकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जिसके वजह से बिना जांच कराए ही अपने घर मरीजों को निराश लौटना पड़ता है। जानकारी के अनुसार बताया जाता है कि जब मीडिया दर्शन एंव न्यूज नेशन २४ चैनल के जिलाप्रतिनिधि द्वारा सदर अस्पताल के वाहृय रोगी कल्याण विभाग सदर अस्पताल समस्तीपुर का दौरा किया गया तो वहां सामान्य चिकित्सक के रूम नंबर 14 बंद पाई गई पूछे जाने पर बताया गया कि डॉक्टर साहब छुट्टी पर हैं वही आयुष चिकित्सा कक्ष में मरीजों के भीड़ देखी गई एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सा कक्ष में भी काफी भीड़ देखी गई वहीं हड्डी रोग विशेषज्ञ नदारद पाऐ गए दंत चिकित्सक उपस्थित पाऐ गए जबकि हमारे संवाददाता द्वारा परिसर में जमी भीड़ की जानकारी ली गई तो पता चला कि शनिवार एवं रविवार बंद होने की वजह से आज भीड़ ज्यादा हो गई सामान्य चिकित्सक के नहीं रहने के कारण मरीजों को होने वाले डॉक्टरों की देखरेख सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है वहीं उपाधीक्षक श्री शाही द्वारा आपातकालीन चिकित्सक के तौर पर डीके शर्मा नियुक्त कार्यालय में मरीजों के इलाज करते देखे गए।जिसके द्वारा मरीजों आपातकालीन चिकित्सा के साथ ही ओपीडी के सामान्य मरीजों की जांच देखरेख की जा रही है।ताजुब्ब की बात है कि रोजाना जिला अस्पताल में पूरे जिले से हजारों मरीजों के साथ परिजनों का आना जाना लगा रहता है लेकिन डॉक्टरों की कमी एवं उसके साथ ही समय पर नहीं आने के कारण मरीजों के साथ आए हुए अभिभावकों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है जिसके वजह से थक हारकर वापस निराश लौटना पड़ता है, वहीं आपातकालीन में आए हुए गंभीर मरीजों के पुलिस सहायता उपलब्ध कराने हेतु चिकित्सक एवं उसके अधीनस्थ कर्मियों द्वारा अवैध वसूली भी की जाती है नहीं दिऐ जाने पर गंभीर मरीजों का ब्यान भी दर्ज नहीं हो पाता है।स्थानीय पुलिस को सूचना भेजे जाने के एवज में रकम की मांग की जाती है अन्यथा संबंधित क्षेत्र के थाने के नाम कांटेक्ट फॉर लोकल पुलिस स्टेशन लिखकर मरीजों के अभिभावकों को पुर्जा थमा दी जाती है लेकिन नगर थाना को सूचना तक देना मुनासिब नहीं समझते हैं।जिससे की घायल मरीज का ब्यान लेकर स्थानीय थाने द्वारा संबंधित थाने को स्थानांतरित किया जा सके। वो कार्य भी नहीं किया जाता है।जिससे घायल मरीज के अभिभावकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। 

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