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साइबर बुलिंग के शिकार हो रहे हैं बच्चे :- डा० मनोज


  राजेश कुमार वर्मा
 पटना तकनीक का आविष्कार लोगों की सहूलियत के लिए गया है लेकिन अगर यही तकनीक आपके परेशानी का सबब बन जाये तो आप क्या करेंगे. बड़े तो बड़े अब बच्चे भी इस तकनीक को लेकर परेशान हो रहे हैं. शहर में साइबर बुलिंग के मामले देखने को मिल रहे हैं. यह मामले कक्षा आठवीं से लेकर दसवीं के कक्षा के बच्चों के बीच देखने के मिल रहा है. साइबर बुलिंग करने वाले कोई अजनबी नहीं बल्कि इन्हीं बच्चों के दोस्त और परिचित है. सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिये पहले बच्चों से दोस्ती फिर उन्हें उनसे जुड़ी बातों को बता कर धीरे-धीरे ब्लैकमेल करते हैं. बात न मानने पर उनकी फोटो और उन्हें लेकर अश्लील संदेश वायरल कर देते हैं. जिसकी वजह से बच्चे डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं.

क्या है साइबर बुलिंग

साइबर बुलिंग आनलाइन किया जानेवाला एक प्रकार का दादागिरि हैं जिसमें कुंठित मानसिकता के लोगों द्वारा बच्चों को व्यवहारिक रूप से सताया जाता है. इनमें बहुत सारे मामले ऐसे है जिसमें बच्चों को शर्मिंदा करने वाला व्यवहार भी किया जाता है. ज्यादातर वे बच्चे इसके शिकार हो रहे हैं जिनके माता-पिता दोनों वर्किंग हैं और घर पर नहीं होते. साइबर बुलिंग के सबसे अधिक मामले अपने दोस्तों और सगे संबंधियो से बच्चों को मिल रहे हैं.
साइबर बुलिंग करने वाले आपराधिक मानसिकता के होते हैं. साइबर बुलिंग एक प्रकार का इंटरनेट अपराध हैं जिसमें 20% बच्चे इसका शिकार हो रहे और 79 % बच्चे कभी न कभी इस समस्या से पीड़ित रहे। इसी प्रकार आज चार में से एक युवा साइबर हैरासमेंट का शिकार हो रहा है.कानून में आइपीसी की धारा 66-ए के बावजूद भी ये समस्या बढ़ रही है.

ये हैं लक्षण

ज्यादातर बच्चे जब इस समस्या से पीड़ित होते हैं तो वे किसी से बात करना नहीं चाहते, अकेले में रहना, तोड़-फोड़ , छोटे भाई-बहन के प्रति आक्रामक रवैया, जल्दी चिढ़ना, रात में नींद न आना और बार-बार किसी काम को करना व्यवहार आदि है.

अबतक 23 केसेज मिले

साइबर बुलिंग में 16 से 23 साल तक के युवाओं द्वारा आठवीं से दसवीं के बच्चे को प्रलोभन देते हैं. ये युवा बच्चों से मल्टी टास्क से जुड़े कुछ प्रश्नों को पूछते हैं जवाब देने पर जैसे एटिट्यूड मेनटेन,क्लास बंक कर खास जगह कैसे निकले ,उस एरिया में किस से मिलने पर उनका काम होगा शामिल होता है. यदि सवालों के जवाब नहीं दिये गये तो बहुत सारी इमोशनल अत्याचार किया जाता है. बच्चे इस तरह की समस्या से परेशान होकर अकेले रहने लग रहे.
ज्यादातर केसेज में देखा जा रहा की ऐसे अपराध प्रतिदिन हो रहे परंतु लोग इस समस्या से पीड़ित रहने के बावजूद सामने नहीं आते हैं. इस तरह की धमकी देने वाले लोग बच्चे और उनके परिजनों की पूरी हिस्ट्री जानते हैं नतीजतन बच्चे में डर समा जाता है.

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स्कूली बच्चों में साइबर बुलिंग का मामला देखने को मिल रहा है. ज्यादातर अभिभावक बच्चों के बदले बर्ताव को लेकर चिंतित होने पर हमारे पास आते हैं. काउंसेलिंग के दौरान बच्चों से पता चलता है किस तरह से उनसे मेंटली परेशान किया जा रहा है. वर्किंग पैरेंट्स के बच्चों में ये मामले ज्यादा देखे जा रहे हैं. ऐसे में माता-पिता को सजग होने की आवश्यकता है.

सम्प्रेषण:- डॉ मनोज कुमार, मनोवैज्ञानिक

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