सावन के महीने में लोग अक्सर शिव के किसी ऐसे मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा करना शुभ समझते हैं जहाँ पूजन से उनकी मनोकामना पूरी होती हो। मिथिलांचल के पुपरी में नागेश्वरनाथ का मंदिर ऐसा ही स्थल है जहाँ साल भर शिव भक्तों का आना-जाना लगा रहता है।कहते हैं यंहा के लोग कि लगभग 60 वर्ष पूर्व यहां एक खेल का मैदान था। कुछ बच्चे मैदान में खेल रहे थे कि छोटा सा कंचा पेड के नीचे एक दरार में फंस गया। बच्चे ज्यों ज्यों इस कंचे को निकालने की कोशिश करते , यह और नीचे गहरे चला जाता। बच्चों ने खुरपी लाकर वहां से कंचा निकालना चाहा तो अंदर से पत्थर टकराने की आवाज आयी। उस आवाज की दिशा में खोदते हुए बच्चों ने जब अच्छी खासी मिट्टी निकाल ली , तो वहां एक शिवलिंग मिला । इसे संयोग ही कह सकते हैं कि जिस बच्चे को यह मिला , उसका नाम नागेश्वर था । खबर पूरे इलाके तक आग की तरह फैली , सबने इनके लिए एक मंदिर का निर्माण किया। इस तरह यह माना जाने लगा कि इस स्थान पर बाबा नागेश्वर नाथ के रूप में शंकर भगवान ने स्वयं को यहां स्थापित किया है , तो इसकी महत्ता निर्विवाद होनी ही थी। माना जाता है कि बाबा नागेश्वर नाथ के दर्शन और पूजन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।सावन के महीने में शिव शंकर की भक्ति में रमे शिव भक्तों की भक्ति यहां नेपाल के साथ मिथिलांचल के आने जाने वाले देखते ही बनती है। लाल पीले परिधान में कहीं कांवर लेकर जाते, तो कहीं बोल बम की जयकार लगाते ओम नम: शिवाय का जाप के साथ जलाभिषेक करते पूरे दिन विभिन्न नदी घाटों से जल लेकर पहुंचते है और बाबा नागेश्वर नाथ महादेव का जलाभिषेक करते हैं।