राजेश कुमार वर्मा / नवीन परमार
पटना ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति की सूचि से विलोपित करने की माँग को लेकर वनवासी कल्याण आश्रम ने बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को एक ज्ञापन सौंपा । वनवासी कल्याण आश्रम, पटना महानगर के प्रांत मंत्री अरविन्द खंडेलवाल ने मीडिया को बताया कि भारत के संविधान के अंतर्गत अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियाँ अधिनियम १९७६ द्वारा संशोधित आदेश, १९५० की अनुसूची के भाग ०३ में बिहार से सम्बंधित मद २२ के जैसी वह अधिनियम के हिंदी पाठ में हैं. अंग्रेजी भाषा में लोहरा को हिंदी में लोहार पढ़ा गया है । जबकि “लोहरा” जाति पहले से ही अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में है । इनकी आबादी बिहार के कई जिलों में है ।जिसके कारण बिहार सरकार कंफ्यूजन में है।
वहीं वनवासी कल्याण आश्रम, पटना महानगर के अध्यक्ष रविन्द्र प्रियदर्शनी इस मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि बिहार की सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा विगत १९ जून के एक पत्र को निर्गत कर लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र और सम्बंधित सुविधा देने का आदेश दिया गया है । इससे राष्ट्रपति के आदेश के विरुद्ध लोहरा या लोहारा और लोहार जाति के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी है । बिहार में लोहार जाति पहले से अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल है । लोहार जाति नगरीय जाति है और लोहारा जाति वनवासी जाति है ।
वनवासी कल्याण आश्रम, पटना महानगर के सचिव आशुतोष कुमार ने बताया कि सरकार के इस गलत निर्णय को तत्काल वापस लिया जाए और सामान्य प्रशासन विभाग पर कार्यवाही करे ।
उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने वनवासी कल्याण आश्रम के शिष्टमंडल को आश्वाशन देते हुए कहा कि सरकार इस मुद्दे पर विचार – विमर्श करेगी । जो भी न्यायसंगत होगा वह कार्यवाही की जायेगी ।
प्रतिनिधित्व मंडल में विशाल एवं संजीव कर्ण ने कहा कि अगर जल्द – से – जल्द इस मुद्दे का हल नहीं निकाला गया तो वनवासी कल्याण आश्रम न्यायालय के शरण में जाने को मजबूर होगी ।
पटना ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति की सूचि से विलोपित करने की माँग को लेकर वनवासी कल्याण आश्रम ने बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को एक ज्ञापन सौंपा । वनवासी कल्याण आश्रम, पटना महानगर के प्रांत मंत्री अरविन्द खंडेलवाल ने मीडिया को बताया कि भारत के संविधान के अंतर्गत अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियाँ अधिनियम १९७६ द्वारा संशोधित आदेश, १९५० की अनुसूची के भाग ०३ में बिहार से सम्बंधित मद २२ के जैसी वह अधिनियम के हिंदी पाठ में हैं. अंग्रेजी भाषा में लोहरा को हिंदी में लोहार पढ़ा गया है । जबकि “लोहरा” जाति पहले से ही अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में है । इनकी आबादी बिहार के कई जिलों में है ।जिसके कारण बिहार सरकार कंफ्यूजन में है।
वहीं वनवासी कल्याण आश्रम, पटना महानगर के अध्यक्ष रविन्द्र प्रियदर्शनी इस मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि बिहार की सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा विगत १९ जून के एक पत्र को निर्गत कर लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र और सम्बंधित सुविधा देने का आदेश दिया गया है । इससे राष्ट्रपति के आदेश के विरुद्ध लोहरा या लोहारा और लोहार जाति के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी है । बिहार में लोहार जाति पहले से अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल है । लोहार जाति नगरीय जाति है और लोहारा जाति वनवासी जाति है ।
वनवासी कल्याण आश्रम, पटना महानगर के सचिव आशुतोष कुमार ने बताया कि सरकार के इस गलत निर्णय को तत्काल वापस लिया जाए और सामान्य प्रशासन विभाग पर कार्यवाही करे ।
उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने वनवासी कल्याण आश्रम के शिष्टमंडल को आश्वाशन देते हुए कहा कि सरकार इस मुद्दे पर विचार – विमर्श करेगी । जो भी न्यायसंगत होगा वह कार्यवाही की जायेगी ।
प्रतिनिधित्व मंडल में विशाल एवं संजीव कर्ण ने कहा कि अगर जल्द – से – जल्द इस मुद्दे का हल नहीं निकाला गया तो वनवासी कल्याण आश्रम न्यायालय के शरण में जाने को मजबूर होगी ।