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आयकर - जीएसटी (वाणिज्य कर ) की चोरी व्यवसायियों द्वारा किया जा रहा धड़ल्ले से वरीय प्रशासनिक अधिकारी मौन


राजेश कुमार वर्मा

समस्तीपुर ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । बिहार राज्य के जिले में संचालित व्यवसायियों द्वारा खुलेआम सरकार को आयकर एंव वाणिज्यकर ( जीएसटी ) राजस्व की राशि के रूप में मिलने वाली लाखों करोड़ों रुपए का चूना बेखौफ होकर लगाने का काम किया जा रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा वस्तु एंव सेवा कर को एक समान कई राज्यों में लागू किया गया वहीं आयकर रिटर्न फाइल करने एंव छूट की राशि को भी बढाने का काम किया इसलिए कि कर के रूप में मिलने वाली राजस्व की चोरी पर रोक लग सके और उपभोक्ताओं को सामान सस्ता मिल सके। लेकिन हो इसका उल्टा रहा है ।
बताया जाता है की बिना पूर्जा ( बिल ) का सामान बाजार के दुकानों में धड़ल्ले से खरीद - बिक्री की जा रही है। जिसके कारण उपभोक्ताओं से वसूली की गई जीएसटी व्यवसायी के पॉकेट में सीधे सीधे तौर पर जा रहा है।इतना ही नहीं बड़े बड़े थौक विक्रेताओं के द्वारा बिना पूर्जा पर कच्चा धंधा खरीद-बिक्री करने की बात भी सुना जा रहा है। दूसरी ओर सरकार वाणिज्यकर अधिकारियों को बिना वरीय अधिकारियों की अनुमति के बिना व्यवसाय या व्यवसाय स्थल की जांच नहीं कर सकते हैं। इसी का फायदा दूकानदार वगैरह ज्यादातर उठाने की कोशिश कर रहे है और जीएसटी के रुप में मिलने वाली राजस्व की राशि की चूना धड़ल्ले से सरकार को लगा रहे है। बताते है कि शहर में बिना जीएसटी निबंधन लिए हुऐ सैकड़ों दुकानदार लाखों लाख रुपये के कारोबार कर रहे है लेकिन सरकार को मिलने वाली राजस्व की राशि शुन्य है। टीवी , रेफ्रिजरेटर, कुर्सी - टेबुल प्लास्टिक एंव फर्नीचर का सामान, जेनरल यूज का सामान, किराने की वस्तु , रेडिमेड कपड़ा , बिस्कुट , चाकलेट, टॉफी , अगरबती , कम्प्यूटर पार्ट पूर्जा ,सेनेटरी, प्लाई ऊड, हार्डवेयर, टाईल्स , गिट्टी - बालू , सीमेंट , दवा व्यवसायियों द्वारा खुलेआम बिना पूर्जा की खरीद - बिक्री किया जा रहा है । जिससे सरकार को लाखों रुपए का राजस्व का चूना प्रत्येक साल लग रहा है ।जिसपर किसी भी राजनेताओं या वरीय अधिकारियों सहित जिला प्रशासन का ध्यान नहीं है। जिससे ऐसा लगता है की सरकार या सरकारी तंत्र भी इन्हीं व्यवसायियों के साथ मिलकर राजस्व की ह्रास करने में लगे हुए हैं।इसकी अगर उच्चस्तरीय कमिटी द्वारा बिहार के सभी जिलों सहित फैक्ट्रियों में खरीद - बिक्री की जांच एंव स्टॉक पंजी की जांच की जाऐ तो लाखों ही नहीं करोड़ों रूपये की राजस्व के रुप में मिलने वाली राशियों के गबन करने का मामला प्रकाश में आ सकता है। 

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