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संसद में कुकुरमुत्ते की तरह खुल रहे कोचिंग संस्थानों को लेकर राज्य सभा सांसद रामनाथ ठाकुर ने सदन का ध्यान आकर्षित कराया

राजेश कुमार वर्मा

समस्तीपुर(मिथिला हिन्दी न्यूज) समस्तीपुर निवासी पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर के पुत्र एंव राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर ने देश में कुकुरमुत्ते की तरह खोले जा रहे कोचिंग संस्थानों पर नियमन की मांग मंगलवार को राज्यसभा में शुन्यकाल के दौरान उठाया। राज्य सभा में जदयू के सांसद रामनाथ ठाकुर ने कहा की भारी भरकम फीस लेनेवाले इन कोचिंग संस्थानों में विधार्थियों की सुविधाओं और सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते है।
   श्री ठाकुर ने कहा कि आज गांव के गली - गली मुहल्ले टोले में कोचिंग संस्थान बेधड़क खूल रहे है।यह एक तरह का व्यवसाय बन गया है।एन० एस० ओ ० के आंकड़े के अनुसार कोचिंग संस्थानों की संख्या सात करोड़ से भी कहीं ज्यादा है , जिनमें २५ प्रति शत से अधिक छात्र- छायाएं पढ़ाई कर रहे है।
     श्री ठाकुर ने आगे कहा की भारी भरकम फीस लेने वाले इन कोचिंग संस्थानों में विधार्थियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते है।अगर विधार्थी बीच में कोचिंग संस्थान छोड़ता है तो उसे शेष फीस भी वापस नहीं की जाती है।देश की इतनी बड़ी आबादी के हितों के साथ इस तरह से खिलबाड़ करने की छुट नहीं दी जा सकती है।दूसरी तरफ इन कोचिंग संस्थान के संचालकों द्वारा मनमानी फीस वसूली की जाती हैऔर उसपर कम टैक्स राजस्व दिया जाता है।कोचिंग संस्थान से जुड़े सभी विषयों को समाहित करते हुऐ एक व्यापक विधान विनियम बनाया जाऐ ताकी छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ या अन्याय ना हो।
  जदयू सांसद रामनाथ ठाकुर ने होमियोपैथी मेडिकल साइंस की विधा है और ऐ बीमारियों को लक्षण के आधार पर सुधारने का काम करती है ।इस बिल का समर्थन करते हुए सदन को कहा की जो कागजी है उनपर लगाम लगाने का काम किया जाऐ और जो कॉलेज होम्योपैथी के है, उनको प्रशासनिक व्यवस्था के द्वारा अच्छे वातावरण में बनाने का काम करें और अच्छे प्रोफेसरों को उनमें लाने का काम किया जाऐ ।जिससे लोग उनसे प्रभावित हो और अच्छे ज्ञान हासिल कर सके।सदन से विनती करते हुए कहा की सरकार गरीब लोगों के लिए होम्योपैथी दवा सुलभ और सरल रुप में उपलब्ध कराएं ।इसमें गरीब का हित ज्यादा होगा।जो भ्रष्टाचार के मामले में है उनफर समय सीमा के अन्दर कार्यवाई होनी चाहिए ।उन्होंने आगे कहा की हिन्दुस्तान में जितने होम्योपैथी कॉलेज है ,उन कॉलेजों की संख्या कितनी है इसे कभी सदन जानने की कोशिश की है या नहीं की है ।उनमें कितने प्रोफेसर्स है ,वे उनमें किस विधि से नियुक्त हुऐ और वे काम कर रहे है या नहीं कर रहे है.? होम्योपैथी में जो शोध हो रहा हैं उस शोध में कितने लोग आऐ है और उस शोध से कितने लोगों को फायदा पहुंचा है।इसकी निगरानी की है या नहीं की है। इसकी जानकारी सदन को है की नहीं ऐ जानना चाहता हूं इसी के साथ सदन द्वारा पारित बिल का समर्थन किया।

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