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श्री सद्गुरु कबीर के मूर्ति का अनावरण के साथ ही सत्संग समारोह का किया गया आयोजन




राजेश कुमार वर्मा/धर्मविजय गुप्ता

समस्तीपुर( मिथिला हिन्दी न्यूज) । सतमलपुर कबीर मठ बलाही के महंथ श्री कमलेस्वर दास जी महराज के द्वारा मुर्ति का अनावरण एबं सत्संग समारोह का आयोजन किया गया ।जहां मंच संचालन बिहारी दास जी महाराज विश्व कबीर विचार मंच के महासचिव ने किया।
समस्तीपुर जिले के वारिसनगर प्रखंड अंतर्गत सतमलपुर पंचायत में अवस्थित कबीर मठ बलाही में श्री सतगुरु महाराज कबीर के मूर्ति का अनावरण सात मठ के महंथो के कर कमलों द्वारा किया गया । जिसमें महंथ श्री कैलाश साहेब जी सतमलपुर ढाब मठ, महंथ बिहारी साहेब सलौना बेगसराय,महंथ सुन्दर साहेब फत्तेहपुर समस्तीपुर,महंथ दुखहरण साहेव बड़ौदा गुजरात, महंथ आनन्द साहेब वाराणशी उत्तरप्रदेश ,महंथ रामानंद साहेव बाढ़ पटना,महंथ प्रेम साहेब राजगीर, उपस्थित रहे।वहीं इस समारोह में देश के विभिन्न भागों से संतों एवं महात्माओं का धर्मस्थल पर आना जाना लगा रहा ।आपको बताते चलें कि सद्गुरु कबीर के मूर्ति का अनावरण के साथ साथ कबीर मठ परिसर में निम्नलिखित कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया । जिसमें दिंनांक 06/07/2019 शनिवार शाम 7 वर्षीय 9:00 बजे तक सत्संग भजन एवं दिनांक 7/7/ 2019 रविवार प्रातकाल 7:00 बजे से 9:00 बजे तक मूर्ति का अनावरण,अपराह्न 12:00 बजे से 4:00 बजे पूर्वाहन तक विभिन्न संतों के द्वारा सत्संग एवं भजन किया जा रहा है भजनोप्रांत संध्या 4:00 बजे से 7:00 बजे भोजन प्रसाद के साथ साथ रात्रि 7:00 बजे से भजन एवं प्रवचन किया जाएगा । इसका समापन दिनांक 8/07/ 2019 सोमवार विदाई समारोह के साथ संपन्न हो जाएगा ।संत कबीर दास के बारे में महात्माओं का कहना है कि संत कबीर दास का नाम साहित्य जगत में विशेष स्थान रखता है। उनका सूफियाना अंदाज और रूढ़िवादियों के खिलाफ कट्टर रवैया उन्हें दूसरों से अलग बनाता है। वे एक मशहूर कवि व संत के रूप में प्रसिद्ध हुए थे।
कबीर दास के जन्म के बारे में लोगों का बताना है कि उनका जन्म सन् 1398 में हुआ था। वहीं कुछ इतिहासकारों के मुताबित कबीर दास का जन्म सन् 1440 में हुआ था।
ब्राह्मण के घर जन्में थे कबीर,कबीर दास के जन्म एवं जाति में भी विभिन्न मत है। शिक्षाविदों के अनुसार कबीर दास वाराणसी में एक ब्राह्मण के घर जन्में थे। जबकि बाद में उनकी परवरिश एक मुस्लिम परिवार में हुई।कबीर को तालाब किनारे छोड़ा था।बताया जाता है कि संत कबीरदास को शिशु अवस्था में उनकी मां ने लोक लाज के डर से उन्हें छोड़ दिया था। क्योंकि कबीर की मां एक विधवा ब्राह्मणी थीं। कबीर की मां ने उन्हें एक तालाब के किनारे छोड़ा था।जुलाहे दंपत्ति ने किया पालन पोषण।कहते हैं कि उसी तालाब के किनारे से गुजर रहे एक जुलाहे दंपत्ति को पानी में बहती एक टोकरी में शिशु दिखा। वो बालक कबीर दास थे। जुलाहा दंपत्ति नीरू व रीमा ने शिशु को टोकरी से निकालकर अपने पास रख लिया, व उसका पालन-पोषण कियाजीवन- यापन के लिए किया जुलाहे का कार्य।
संत कबीर दास एक मुस्लिम परिवार में पले-बढे़। उन्होंने जीवन चलाने के लिए अपने माता-पिता के पैतृक व्यवससय बुनाई को अपनाया। वह जूल्हा बनकर कपड़ों की बुनाई करते थे।बिना शिक्षा भी कहलाएं ज्ञानी।
कबीर दास ने स्कूली शिक्षा भले ही कम ग्रहण की हो, लेकिन उनके विचार काफी प्रभावशाली थे। उन्होंने अपने व्यवहारिक ज्ञान के आधार पर कई कविताओं व लेखों की रचना की। उन्हें उस युग का महानायक भी कहा जाता है।
बचपन से ही पसंद थी साधुओं की संगति।संत कबीर दास का लालन-पालन भले ही मुस्लिम परिवार में हुआ, लेकिन उनकी प्रवृत्ति बचपन से ही साधुओं की थी। वे भक्ति में हमेशा डूबे रहते थे। वे हिंदू भक्ति गुरू रामानंद से काफी प्रभावित थे।
पैरों के नीचे आकर ग्रहण की सीख।बताया जाता है कि कबीर दास वाराणसी के पंचगंगा घाट की सीढ़ियों पर लेट गए। जब स्वामी रामनंद आए तो उन्होंने गलती से कबीर पर पैर रख दिया व राम-राम कहने लगे। राम के इस शब्द को ही गुरु वाणी मान कबीर दास ने स्वामी रामानंद को अपना गुरु माना।
इस तरह से लोगों का बिभिन प्रकार का मत सामने आता है आपको बताते चलें कि जिले में यह पहले मठ है जहां सद्गुरु कवि की मूर्ति को स्थापित किया गया इसके मुख्य आयोजक कबीर मठ के महंत श्री कमलेस्वर साहेब जी रहे एवं इस आयोजन की अध्यक्षता बिहारी दास जी सलौना बेगूसराय विश्व कबीर विचार मंच के सचिव के द्वारा किया गया। इस आयोजन के मुख्य अतिथि चेतन दास जी गुजरात, दुखहरण साहेब गुजरात, रामपाल जी शिक्षक सेवानिवृत्त ,रामानंद साहेब बाढ़ पटना, आनंद साहेब, सतगुरु साहिब ककोलत, वही भजन उपदेशक राजकुमार जी, चेतन साहिब जी,उमेश साहेब जी काशी, महंत श्री नारायण दास शास्त्री खगड़िया, मनोज दास जी मृदुल शास्त्री वाराणसी, शामिल रहे। वही इस आयोजन में दुर देहात गांव से आए हुए डॉक्टर गंगा प्रसाद आजाद सतमलपुरी , भूत पूर्व मुखिया दिनेश्वर राय, प्रियव्रत नारायण सिंह, फलदार राय, जयलाल राय,अमरेंद्र प्रसाद सिंह, शशि भूषण सिंह, डॉक्टर राम लखन महतो,सुनील प्रसाद सिंह,पंचायत समिति सद्स्य भोला प्रसाद सिंह,तिल्केश्वर महतो,सहित सैकरो लोग उपस्थित रहे।

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