राजेश कुमार वर्मा
समस्तीपुर(मिथिला हिन्दी न्यूज)। पूर्व मध्य रेल मंडल समस्तीपुर के एससी/एसटी रेलवे कर्मचारी एसो० के मण्डल मंत्री लालबाबू राम ने बजट को रेल के क्षेत्र में काफी अहितकर साबित करार दिया है। श्री राम ने कहा की जिस प्रकार सरकार पीपीपी मॉडल की आड़ लेकर रेल को बेचने का कुत्सित प्रयास कर रही है, वह न केवल रेल, अपितु देश के लिए भी दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे पहले भी कई रेलवे स्टेशनों को निजी एजेंसियों के हवाले किया जा चुका है एवं कई रेल कारखानों को निगम की संज्ञा देकर सरकार, जिस प्रकार निजीकरण को बढ़ावा दे रही है, उससे रेलकर्मी भी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
ज्ञात हो की अभी देश में रेल ही एक ऐसा महकमा है जो की शिक्षित युवाओं को सबसे ज्यादा सरकारी नौकरी प्रदान कर रही है, लेकिन जिस रफ्तार से सरकार भारत के सबसे बड़े और विश्व के तीसरे बड़े परिवहन व्यव्यस्था को निजी क्षेत्रों के हवाले कर रही है, भारतीय युवाओं को अब नौकरी के लिए ठेकेदारों पर आश्रित होना पड़ेगा। ज्ञात हो की अभी पूरे देश में रेल से जुड़े संगठन निजीकरण के विरोध में आंदोलन भी कर रहे हैं, ऐसे समय में वित्तमंत्री की ये घोषणा की सरकार देश में पहली बार निजी ट्रेनों का संचालन शुरू कर रही है, यही साबित कर रही है की मौजूदा सरकार को अब रेलकर्मियों की कार्यक्षमता पर भरोसा नहीं रह गया है। वैसे रेल से इतर, गरीबों, दलितों और शिक्षित युवाओं के लिए बजट को सराहनीय कहा जा सकता है।
समस्तीपुर(मिथिला हिन्दी न्यूज)। पूर्व मध्य रेल मंडल समस्तीपुर के एससी/एसटी रेलवे कर्मचारी एसो० के मण्डल मंत्री लालबाबू राम ने बजट को रेल के क्षेत्र में काफी अहितकर साबित करार दिया है। श्री राम ने कहा की जिस प्रकार सरकार पीपीपी मॉडल की आड़ लेकर रेल को बेचने का कुत्सित प्रयास कर रही है, वह न केवल रेल, अपितु देश के लिए भी दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे पहले भी कई रेलवे स्टेशनों को निजी एजेंसियों के हवाले किया जा चुका है एवं कई रेल कारखानों को निगम की संज्ञा देकर सरकार, जिस प्रकार निजीकरण को बढ़ावा दे रही है, उससे रेलकर्मी भी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
ज्ञात हो की अभी देश में रेल ही एक ऐसा महकमा है जो की शिक्षित युवाओं को सबसे ज्यादा सरकारी नौकरी प्रदान कर रही है, लेकिन जिस रफ्तार से सरकार भारत के सबसे बड़े और विश्व के तीसरे बड़े परिवहन व्यव्यस्था को निजी क्षेत्रों के हवाले कर रही है, भारतीय युवाओं को अब नौकरी के लिए ठेकेदारों पर आश्रित होना पड़ेगा। ज्ञात हो की अभी पूरे देश में रेल से जुड़े संगठन निजीकरण के विरोध में आंदोलन भी कर रहे हैं, ऐसे समय में वित्तमंत्री की ये घोषणा की सरकार देश में पहली बार निजी ट्रेनों का संचालन शुरू कर रही है, यही साबित कर रही है की मौजूदा सरकार को अब रेलकर्मियों की कार्यक्षमता पर भरोसा नहीं रह गया है। वैसे रेल से इतर, गरीबों, दलितों और शिक्षित युवाओं के लिए बजट को सराहनीय कहा जा सकता है।