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बेणू शिल्पकारों का दो दिवसीय परिसंवाद कार्यशाला सम्पन्न

राजेश कुमार वर्मा

समस्तीपुर( मिथिला हिन्दी न्यूज)।बेणू शिल्पकारों का दो दिवसीय परिसंवाद कार्यशाला हुआ सम्पन्न। भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय और उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के तत्वावधान में बिहार के शिल्प वर्तमान एंव भविष्य विषय पर चल रही दो दिवसीय संवाद सह कार्यशाला का समापन हुआ।
कार्यशाला के दुसरे दिन देश के जाने माने शिल्प विषेशज्ञ एंव छोटा उदयपुर, बड़ोदरा के आदिवासी अकादमी के निदेशक डॉ० मदन मीणा ने कलाकारों को संवोधित करते हुए कहा की शिल्प लोक से जुड़ा है और लोक बाजार में उसके लिए उज्जवल भविष्य है, बशर्ते शिल्पकार अपने बच्चों को डिजाइनर बनने के लिए प्रेरित करें।उन्होंने आगे कहा की बाजारीकरण के आज के दौर में शिल्प को अपने विकास और विस्तार के लिए नवीन डिजाइन और नये प्रयोग का होना जरूरी है।श्री मीणा ने आगे कहा कि यह जरुरी है की कलाकार नये बाजार की तरफ उन्मुख हो और नये खरीदारों को जोड़ने में इंटरनेट की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती हैं।
कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स लखनऊ के पूर्व प्राचार्य जयकृष्ण अग्रवाल ने कलाकारों को संवोधित करते हुए कहा कि बिहार की जमीन लोक शिल्प के अत्यंत ही उर्वरक है।इसलिए यह जरुरी है कि लोकशिल्पों का सही तरीक़े से प्रचार प्रसार किया जा सके और यह सरकार की जिम्मेवारी है।
उन्होंने आगे कहा कि बाजार के हिसाब से शिल्प कला में परिवर्तन अवश्यंभावी है,लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि उस शिल्प कला मूल ही न समाप्त हो जाऐ।
इस कार्यशाला की शुरुआत उधोग निदेशक बिहार पंकज कुमार सिंह के कर कमलों से हुई।कार्यशाला में आमंत्रित शिल्पियों को संबोधित करते हुए उपस्थित कलाकारों को कहा कि शिल्पकारों के विकास के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयासों की चर्चा की और कहा कि शिल्पी अगर स्वयं को उधमी बनने की दिशा में कोशिश करे तो सरकार उन्हें हरसंभव सहायता मुहैया कराने के लिए तत्पर है।उद्योग निदेशक की बातों को ही उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान डिप्टी डेवलपमेंट ऑफिसर अशोक कुमार सिन्हा ने संवोधित करते हुए कहा कि सरकार स्टार्टअप योजना के तहत हर शिल्पी को पच्चीस लाख रूपये दे सकती हैं बशर्ते की वह जरूरी पात्रताओं को पुरा कर सके।कार्यशाला के प्रथम दिन बेणू शिल्पियों को संबोधित करते हुए दिल्ली के जाने माने कला लेखक सुमन कुमार सिंह ने कलाकारों से कहा की बिहार में बांस किसानों की खेती का आवश्यक हिस्सा माना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में हमने उसकी अपेक्षा की है।इसमें प्लास्टिक ने काफी नकारात्मक भूमिका निभाई जिसने बांस के उत्पादों को समाज से लगभग बाहर ही निकाल दिया है और बेणू शिल्प कर्मियों के समक्ष रोजगार की संकट उत्पन्न होने लगा है।इसलिए यह जरूरी हैं की हम एक बार फिर अपने जड़ों की तरफ वापस लौटे, स्वरोजगारोन्मुखी बने एंव समाज अपनी शिल्पियों के प्रति सजग और जागरूक रहे। उक्त कार्यक्रम में शिल्प कलाकारों को कार्यालय विकास आयुक्त वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार मधुबनी के सहायक निदेशक मुकेश कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि वस्त्र मंत्रालय के द्वारा शिल्पियों के विकास के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी ।आगे कहा कि शिल्प कला के विकास की आवश्यकताओं के भद्देनजर सरकार अनेक स्कीम चला रही हैं और पूर्व से भी चल रही हैं।उसके लिए लोन की भी व्यवस्था की गई है, चाहे वह स्टार्टअप स्कीम के तहत हो या मुद्रा लोन हो।नये बजट में भी शिल्पियों के लिए काफी व्यवस्थाएं है।शिल्पकारों को इसका लाभ उठाना चाहिए।
इस मौके पर उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान की तरफ से साकेत चौधरी ने भी शिल्पियों को संस्थान की तरफ से किए जा रहे क्रियाकलापों की विस्तृत जानकारी स्थानीय शिल्पकारों को दी।शिल्पकारों ने इस मौके पर बेणू शिल्पकारों ने अपने बांस से बने कलाकृतियों एंव शिल्प की एक प्रदशर्नी भी लगाई ।होटल कैलाश इन्टरनेशनल में चल रही इस कार्यक्रम में जिला उधोग केंद्र के महाप्रबंधक अलख कुमार सिन्हा, स्थानीय उधमी कुंदन कुमार राय , स्थानीय प्रशिक्षक रंजीत कुमार, मिथिला कलाकार राजकुमार लाल , जाने माने मूर्तिकार सन्यासी रेड दिल्ली के कला शोधार्थी सुनील कुमार समेत समस्तीपुर के अनेक गणमान्य एंव पत्रकार जनों ने अपनी उपस्थिति दर्ज किया।कार्यक्रम का सारा दारोमदार कलस्टर एक्सक्यूटिब हेमंत कुमार एंव कमलदेव पाठक ने उठाया । 

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