राजेश कुमार वर्मा
समस्तीपुर(मिथिला हिन्दी न्यूज) । वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार ,उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान पटना एंव उधोग विभाग बिहार सरकार के संयुक्त तत्वावधान में बिहार के शिल्प, वर्तमान व भविष्य पर परिसंवाद सह दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन पंकज कुमार सिंह उधोग निदेशक पटना (बिहार) ने दीप प्रज्वलित कर किया।
इस दो दिवसीय परिसंवाद कार्यक्रम को संवोधित करते हुए उधोग निदेशक पंकज कुमार सिंह ने उपस्थित किसानों को कहा की बिहार के शिल्प उनका वर्तमान व भविष्य की संभावनाओं पर सघन विचार विमर्श किया जाना जरूरी है।कला हमारे संस्कृति का आईना है।हम कहीं भी चले जाऐ हम अपने संस्कृति कला द्वारा वहां हम अपनी छाप जरूर छोड़ते हैं।संस्कृति का सीधा सरोकार लोक कला से है।चाहे वह शिल्प का कोई रचना ही क्यों ना हो ।कार्यशाला को वरिष्ठ कलाकार व समीक्षक श्याम शर्मा ने भी संवोधित किया।
वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार के सहायक निदेशक मधुबनी से आए मुकेश कुमार ने उपस्थित किसानों को संवोधित करते हुए कहा की मंत्रालय के अधीन कला के संवर्द्धन की योजनाओं को सुदूर देहात के लोक कलाकारों तक पहुंचाने की जरुरत है और समूहों से अपील की।
कार्यक्रम समारोह को उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान केन्द्र पटना के अशोक कुमार सिन्हा ने उपस्थित किसान शिल्पकार को संवोधित करते हुऐ कहा कि संस्थान द्वारा जिले में खासकर केन्द्र हस्तकला कलस्टर को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के उत्पाद बनाने के लिए हर तरह से मदद करने का आश्वासन दिया । श्री सिन्हा ने आगे कहा कि समस्तीपुर का नाम बांस कला के क्षेत्र में चिन्हित किया जा सके ।
उक्त कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से आऐ कलाकार व समीक्षक जयकृष्ण अग्रवाल, सुमन कुमार सिंह, मदन मीना, ने समस्तीपुर में बांस हस्तकला को विकसित होने की संभावनाओं पर अपने अपने विचार व्यक्त किया।समस्तीपुर जिला उधोग केंद्र महाप्रबंधक अलख सिन्हा , डीडीएम नाबार्ड जयंत विष्णु इत्यादि ने शिल्पकार कलाकारों को संवोधित करते हुए कहा कि कलाकारों को स्वरोजगार की सोच से कला को व्यवासायिक रूप देने की बातें की साथ ही अपील की ।उक्त कार्यक्रम में एलडीएम राजू चौधरी ने कहा कि कलाकारों को कला उत्पाद हेतू बैंकों से भरपूर सहयोग करने की अपील की।
सार संक्षेप में बेणू कला को राष्ट्रीय स्तर की पहचान बनाने के लिए अन्य राज्यों के कला का अध्ययन एंव तुलनात्मक गुणवत्ता देने हेतू व्यापार मेला को सेमिनार से जोड़ना है ताकि कला को वैश्विक ऊंचाई दी जा सके। इस मौके पर अमित मधुकर, कुन्दन कुमार , सुनील कु० कलाकार, ललन जी , रौशन इत्यादि सहित सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल थे।
समस्तीपुर(मिथिला हिन्दी न्यूज) । वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार ,उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान पटना एंव उधोग विभाग बिहार सरकार के संयुक्त तत्वावधान में बिहार के शिल्प, वर्तमान व भविष्य पर परिसंवाद सह दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन पंकज कुमार सिंह उधोग निदेशक पटना (बिहार) ने दीप प्रज्वलित कर किया।
इस दो दिवसीय परिसंवाद कार्यक्रम को संवोधित करते हुए उधोग निदेशक पंकज कुमार सिंह ने उपस्थित किसानों को कहा की बिहार के शिल्प उनका वर्तमान व भविष्य की संभावनाओं पर सघन विचार विमर्श किया जाना जरूरी है।कला हमारे संस्कृति का आईना है।हम कहीं भी चले जाऐ हम अपने संस्कृति कला द्वारा वहां हम अपनी छाप जरूर छोड़ते हैं।संस्कृति का सीधा सरोकार लोक कला से है।चाहे वह शिल्प का कोई रचना ही क्यों ना हो ।कार्यशाला को वरिष्ठ कलाकार व समीक्षक श्याम शर्मा ने भी संवोधित किया।
वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार के सहायक निदेशक मधुबनी से आए मुकेश कुमार ने उपस्थित किसानों को संवोधित करते हुए कहा की मंत्रालय के अधीन कला के संवर्द्धन की योजनाओं को सुदूर देहात के लोक कलाकारों तक पहुंचाने की जरुरत है और समूहों से अपील की।
कार्यक्रम समारोह को उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान केन्द्र पटना के अशोक कुमार सिन्हा ने उपस्थित किसान शिल्पकार को संवोधित करते हुऐ कहा कि संस्थान द्वारा जिले में खासकर केन्द्र हस्तकला कलस्टर को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के उत्पाद बनाने के लिए हर तरह से मदद करने का आश्वासन दिया । श्री सिन्हा ने आगे कहा कि समस्तीपुर का नाम बांस कला के क्षेत्र में चिन्हित किया जा सके ।
उक्त कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से आऐ कलाकार व समीक्षक जयकृष्ण अग्रवाल, सुमन कुमार सिंह, मदन मीना, ने समस्तीपुर में बांस हस्तकला को विकसित होने की संभावनाओं पर अपने अपने विचार व्यक्त किया।समस्तीपुर जिला उधोग केंद्र महाप्रबंधक अलख सिन्हा , डीडीएम नाबार्ड जयंत विष्णु इत्यादि ने शिल्पकार कलाकारों को संवोधित करते हुए कहा कि कलाकारों को स्वरोजगार की सोच से कला को व्यवासायिक रूप देने की बातें की साथ ही अपील की ।उक्त कार्यक्रम में एलडीएम राजू चौधरी ने कहा कि कलाकारों को कला उत्पाद हेतू बैंकों से भरपूर सहयोग करने की अपील की।
सार संक्षेप में बेणू कला को राष्ट्रीय स्तर की पहचान बनाने के लिए अन्य राज्यों के कला का अध्ययन एंव तुलनात्मक गुणवत्ता देने हेतू व्यापार मेला को सेमिनार से जोड़ना है ताकि कला को वैश्विक ऊंचाई दी जा सके। इस मौके पर अमित मधुकर, कुन्दन कुमार , सुनील कु० कलाकार, ललन जी , रौशन इत्यादि सहित सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल थे।