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बिहार झारखण्ड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव यूनियन इकाई समस्तीपुर के साथ 10 केन्द्रीय ट्रेड यूनियन तथा विभिन्न जनसंघठनो के द्वारा श्रम संसाधन विभाग कार्यालय पर प्रतिरोध प्रदर्शन किया गया


राजेश कुमार वर्मा

समस्तीपुर ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । बिहार झारखण्ड सेल्स रिप्रजेंटेटीवस यूनियन इकाई समस्तीपुर के साथ १० केन्द्रीय ट्रेड यूनियन तथा विभिन्न जनसंघठनो के द्वारा आज दिंनाक ०२ अगस्त को श्रम संसाधन विभाग समस्तीपुर कार्यालय पर प्रतिरोध प्रदर्शन किया गया तथा भारत सरकार के श्रम मंत्री श्री संतोष गांगवार को जिला श्रम कार्यालय के माध्यम से स्मार पत्र दिया गया तथा माँग करते हैं की अविलंव मजदूर बिरोधी नितियों को वापस लिया जाय l
दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों तथा श्रमिकों एवं कर्मचारियों के स्वतंत्र फेडरेशन तथा संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने , विगत दिनों में उनके द्वारा दर्ज की गई कड़ी आपत्तियों के बावजूद, केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों के प्रस्तावित संहिताकरण के कड़ी निंदा की है।
ज्ञात रहे , संविधान के समवर्ती सूची में प्रदत्त राज्यों के क्षेत्राधिकार को अनदेखी करते हुए केंद्र सरकार ने असंवैधानिक तरीके से बजट भाषण में ही विभिन्न श्रम कानूनों को संहिताबद्ध करने के उनके इरादे एवं मंशा को उजागर कर दी थी।
अब, सरकार ने 'कोड ऑन वेजेज बिल' एवं हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड बिल २०१९ को लोकसभा में पेश किया है , जिसमें दोनों बिलों के मसौदा के विभिन्न प्रावधानों पर, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा उठाए गए सभी विरोध को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है।
सरकार द्वारा किए गए दावे के विपरीत, इस प्रस्तावित कोड के कारण मौजूदा कानूनों से मिलने वाले लाभों से, श्रमिकों के वंचित होने की की घटनाओं में वृद्धि होगी, क्योंकि कानूनों की प्रयोज्यता के लिए श्रमिकों की संख्या को बढ़ाकर श्रमिकों के बड़े हिस्सा को कानून के दायरे से बाहर रखा जाएगा।
प्रस्तावित 'कोड ऑन वेजेज बिल' में १५ वें भारतीय श्रम सम्मेलन के अनुसार मजदूरी गणना के सहमत फार्मूले तथा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को इनकार कर श्रम मंत्री ने एकतरफा रूप से राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन ४६२८ रुपये प्रतिमाह, की घोषणा की है, जबकि सातवां केंद्रीय वेतन आयोग न्यूनतम मजदूरी के रूप में, १जनवरी, २०१६ से प्रभावी, १८००० रुपये. प्रति माह की सिफारिश की है।
प्रस्तावित हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड बिल २०१९, मौजूदा १३ श्रम कानूनों को निरस्त करेगा, जो विक्रय प्रोत्साहन कर्मचारी, खान, बीड़ी, निर्माण, पत्रकारों और समाचार पत्रों के कर्मचारियों आदि के सेवा शर्तों को संबोधित करने और विनियमित करने के लिए अधिनियमित किए गए थे । साथ ही इस कोड की प्रयोज्यता न्यूनतम दस मजदूरों के लिए है, इस प्रकार ९० प्रतिशत कार्यबल जो असंगठित क्षेत्र ,अनौपचारिक अर्थव्यवस्था क्षेत्र, गृह आधारित क्षेत्र तथा अनुबंध और आउटसोर्स क्षेत्र से हैं, कोड के दायरे से बाहर हो जाएगा। इन सभी १३ श्रम कानूनों को को निरस्त करके, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड बिल २०१९ में चयनात्मक तरीके से केवल उन्हीं प्रावधानों को बरकरार रखा गया है ,जो नियोक्ताओं के लिए लाभप्रद थे । सरकार अपने कॉर्पोरेट आकाओं की सेवाओं की प्रक्रिया में श्रमिकों के अधिकारों और सुरक्षा से संबंधित सभी प्रावधानों में भारी कटौती करना चाहती है। स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित मामलों में, संहिता में प्रावधानों को इस तरह से रखा गया है कि, श्रमिक और उनके यूनियन न तो उचित प्रवर्तन के लिए अपने अधिकारों का दावा कर सकते हैं और न ही बुनियादी स्वास्थ्य और सुरक्षा के उल्लंघन के लिए नियोक्ताओं की जवाबदेही स्थापित कर सकते हैं, जबकि कार्यस्थलों पर दुर्घटना के कारण जानमाल की हानि या शारीरिक अक्षमता एक आम घटना है।
    इन सबके अलावा, केंद्र सरकार ने संसद में अपने बहुमत का फायदा उठाते हुए कुख्यात मोटर वाहन विधेयक पारित किया, यह स्पष्ट संकेत देता है कि, भाजपा सरकार “सबका साथ, सबका विकास” की घोषणाओं के बावजूद आने वाले दिनों में कैसे काम करेगी .?
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने सरकार के ऐसे मजदूर विरोधी कदमों की निंदा करते हुए , ०२ अगस्त १९ को देशव्यापी संयुक्त विरोध के साथ अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों के सभी मानदंडों की अनदेखी करते हुए प्रस्तावित सभी मजदूर विरोधी कानून को वापस लेने की मांग की है। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने संसद के सभी सदस्यों, मेहनतकश जनता, और देश के सच्चे देशभक्त नागरिक से भी आह्वान किया कि वे केंद्र सरकार की इन अलोकतांत्रिक तरीकों का विरोध करें, जिसके माध्यम से सरकार त्रिपक्षीयवाद और सामान्य विधायी प्रक्रिया को दरकिनार कर मजदूर विरोधी कानून लागू करना चाहता है। 

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