राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/मधुबनी ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । एक अध्यन से और भू- स्तर- शास्त्र के अनुसार, इस सृष्टि की उत्पति ईसवी सन प्रारंभ होने के 195883100 वर्ष पूर्व हुई थी, इस अनुसार देखा जाय तो सृष्टि की रचना हुए (वर्तमान सन 1993 ईसवी तक)195885093 वर्ष व्यतीत हो चुके है।
भारतीय ज्योतिष और पौराणिक काल गणना के अनुसार,43,20,000 वर्षों का एक महा युग होता है। एक महा युग के अन्तर्गत सत्ययुग, त्रेता युग, द्वापर युग तथा कलयुग -ये चार युग होते है। सत्य युग की आयु 17,28,000 वर्ष, त्रेता युग की 12,96,000 वर्ष, द्वापर युग की 8,64,000 वर्ष तथा कलियुग की 4,32,000 वर्ष मानी गई है। एक चतुर्युगी अर्थात महा युग जब एक हजार बीत जाता है, तब उसे ब्रम्हा की आयु का 1 दिन माना जाता है। इसी हिसाब से ब्रम्हा की आयु 100 वर्ष की होती है। ब्रम्हा की आयु के 100 वर्ष बीत जाने पर एक कल्प का अंत होकर महा प्रलय होती है,तत्पश्चात पुनः नवीन-सृष्टि का उदय होता है। यह क्रम निरंतर चलता रहता है। वर्तमान कल्प में ब्रम्हा की आयु के 50 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं तथा 51 वें दिन के प्रारंभ से अबतक 13 घटी,42 पल,03 विपल एवं 43 प्रति पल का समय बीत चुका है। उपरोक्त बातें ज्योतिष पंकज झा शास्त्री जी का कहना है ।
दरभंगा/मधुबनी ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । एक अध्यन से और भू- स्तर- शास्त्र के अनुसार, इस सृष्टि की उत्पति ईसवी सन प्रारंभ होने के 195883100 वर्ष पूर्व हुई थी, इस अनुसार देखा जाय तो सृष्टि की रचना हुए (वर्तमान सन 1993 ईसवी तक)195885093 वर्ष व्यतीत हो चुके है।
भारतीय ज्योतिष और पौराणिक काल गणना के अनुसार,43,20,000 वर्षों का एक महा युग होता है। एक महा युग के अन्तर्गत सत्ययुग, त्रेता युग, द्वापर युग तथा कलयुग -ये चार युग होते है। सत्य युग की आयु 17,28,000 वर्ष, त्रेता युग की 12,96,000 वर्ष, द्वापर युग की 8,64,000 वर्ष तथा कलियुग की 4,32,000 वर्ष मानी गई है। एक चतुर्युगी अर्थात महा युग जब एक हजार बीत जाता है, तब उसे ब्रम्हा की आयु का 1 दिन माना जाता है। इसी हिसाब से ब्रम्हा की आयु 100 वर्ष की होती है। ब्रम्हा की आयु के 100 वर्ष बीत जाने पर एक कल्प का अंत होकर महा प्रलय होती है,तत्पश्चात पुनः नवीन-सृष्टि का उदय होता है। यह क्रम निरंतर चलता रहता है। वर्तमान कल्प में ब्रम्हा की आयु के 50 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं तथा 51 वें दिन के प्रारंभ से अबतक 13 घटी,42 पल,03 विपल एवं 43 प्रति पल का समय बीत चुका है। उपरोक्त बातें ज्योतिष पंकज झा शास्त्री जी का कहना है ।