राजेश कुमार वर्मा/पंकज शास्त्री
दरभंगा /मधुबनी ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । कृष्ण जन्माष्टमी भारत में लगभग सभी जगह मनाया जाता है। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्र मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
इस वार लोग तिथि और नक्षत्र को लेकर असमंजस में है कि 23 अगस्त को मनाया जाय जन्माष्टमी या 24 अगस्त को ..?
दरअसल अगर भाद्र पद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को देखे तो 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना चाहिए जबकी कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मनाने की परंपरा का पालन उनके जन्म स्थली मथुरा में है। यही कारण है कि लोग दुविधा में है। वैसे मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार भाद्र मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 22 अगस्त 2019 गुरुवार को रात 03:22 के बाद प्रारंभ हो जाता है और 23 अगस्त शुक्रवार रात 03:26 तक रहता है। रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त शुक्रवार को रात 12:19 के बाद प्रारंभ होता है और रोहिणी नक्षत्र 24 अगस्त शनिवार को रात 12:38 तक रहता है। जबकि कुछ विद्वानों का मानना है कि रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त को रात 11:56 में लग जाता है।
ऐसा वक्त जब अष्टमी तिथि और रोहणी नक्षत्र एक साथ हो तो और अति उत्तम होता है ऐसे में रात्रि निशित काल में अष्टमी तिथि और रोहणी नक्षत्र एक साथ 23 अगस्त शुक्रवार को ही बन रही है अतः कृष्ण जन्म अष्टमी 23 अगस्त 2019 शुक्रवार को ही मनाना चाहिए।
हालांकि कई जानकारों का मानने का तर्क अलग से से रहे है जन्म अष्टमी के दिन व्रत करने वाले पारण अष्टमी तिथि और रोहणी नक्षत्र के उतरने के बाद ही करें तो उचित होगा। यदि अधिक देर उपवास रखना संभव न हो तो फलाहार कर सकते है।
दरभंगा /मधुबनी ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । कृष्ण जन्माष्टमी भारत में लगभग सभी जगह मनाया जाता है। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्र मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
इस वार लोग तिथि और नक्षत्र को लेकर असमंजस में है कि 23 अगस्त को मनाया जाय जन्माष्टमी या 24 अगस्त को ..?
दरअसल अगर भाद्र पद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को देखे तो 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना चाहिए जबकी कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मनाने की परंपरा का पालन उनके जन्म स्थली मथुरा में है। यही कारण है कि लोग दुविधा में है। वैसे मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार भाद्र मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 22 अगस्त 2019 गुरुवार को रात 03:22 के बाद प्रारंभ हो जाता है और 23 अगस्त शुक्रवार रात 03:26 तक रहता है। रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त शुक्रवार को रात 12:19 के बाद प्रारंभ होता है और रोहिणी नक्षत्र 24 अगस्त शनिवार को रात 12:38 तक रहता है। जबकि कुछ विद्वानों का मानना है कि रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त को रात 11:56 में लग जाता है।
ऐसा वक्त जब अष्टमी तिथि और रोहणी नक्षत्र एक साथ हो तो और अति उत्तम होता है ऐसे में रात्रि निशित काल में अष्टमी तिथि और रोहणी नक्षत्र एक साथ 23 अगस्त शुक्रवार को ही बन रही है अतः कृष्ण जन्म अष्टमी 23 अगस्त 2019 शुक्रवार को ही मनाना चाहिए।
हालांकि कई जानकारों का मानने का तर्क अलग से से रहे है जन्म अष्टमी के दिन व्रत करने वाले पारण अष्टमी तिथि और रोहणी नक्षत्र के उतरने के बाद ही करें तो उचित होगा। यदि अधिक देर उपवास रखना संभव न हो तो फलाहार कर सकते है।