पप्पू कुमार पूर्वे
मधुबनी-अगर आप घूमने के शौकीन है और नई अनोखी,दुर्लभ चीज देखना चाहते है तो आपको विदेश जाने की जरूरत नही है !
lअपने देश मे ही कई ऐसी चीजे है जिसको देखकर आप दांतो तले उंगली दबा लेंगे , बशर्ते की उस जगह और दुर्लभ वस्तु के बारे मे आपको जानकारी हो !
बिहार के मधुबनी जिले के मंगरौनी ग्राम मे ऐसा ही अदभूत श्री श्री 1108 एकादश रुद्र महादेव मंदिर है जों मधुबनी स्टेशन से मात्र 3 किलोमीटर दुर है !
कांची पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जब यहाँ आये थे , तो एक ही शक्ति वेदी पर भगवान शंकर के ग्यारह अलौकिक रूप को देखकर भावबिहल हो गये और कह उठे की इस तरह का मंदिर विश्व मे एकमात्र है , जहाँ तांत्रिक विधि से शिव के ग्यारहो लिंग रूपो को स्थापित किया गया है !
मंदिर के उत्तराधिकारी पंडित आत्मानंद झा उत्साहपूर्वक बताते है कि इस मंदिर मे जगन्नाथ पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्छलानंद सरस्वती भी आये थे , यहाँ की छठा देखकर मंत्रमुग्ध हो गये और तुरंत पुजारी बाबा आत्माराम से महादेव की पूजा -अर्चना की इच्छा जाहिर की !
बाबा आत्माराम ने बताया है कि महादेव का मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' है लेकिन इस मंदिर के संस्थापक तांत्रिक पंडित मुणीश्वर झा ने इस पाँच अक्षर के मंत्र के स्थान पर ग्यारह अक्षर का मंत्र तैयार किया ! 'ॐ नमः शिवाय , ॐ एकादश रूद्राय' !यह मंत्र सुनकर शंकराचार्य ने कहा कि आज यदि गुरु शंकराचार्य रहते तो वें भी यही मंत्र जपते !
बाबा आत्माराम बताते है कि एक ही शक्ति बेदी पर स्थपित इन शिवलिंगो पर विभिन्न तरह की आकृति उभरती है , इन आकृतियों का बनना अभी भी जारी है !
बड़े उत्साह और आनन्दपूर्वक उन्होने, क्रमवार रूप से सभी शिवलिंगो के बारे मे जानकारी दी और उनमे उभरे चित्रो को बड़े ही तन्मयता के साथ दिखाया !
मधुबनी-अगर आप घूमने के शौकीन है और नई अनोखी,दुर्लभ चीज देखना चाहते है तो आपको विदेश जाने की जरूरत नही है !
lअपने देश मे ही कई ऐसी चीजे है जिसको देखकर आप दांतो तले उंगली दबा लेंगे , बशर्ते की उस जगह और दुर्लभ वस्तु के बारे मे आपको जानकारी हो !
बिहार के मधुबनी जिले के मंगरौनी ग्राम मे ऐसा ही अदभूत श्री श्री 1108 एकादश रुद्र महादेव मंदिर है जों मधुबनी स्टेशन से मात्र 3 किलोमीटर दुर है !
कांची पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जब यहाँ आये थे , तो एक ही शक्ति वेदी पर भगवान शंकर के ग्यारह अलौकिक रूप को देखकर भावबिहल हो गये और कह उठे की इस तरह का मंदिर विश्व मे एकमात्र है , जहाँ तांत्रिक विधि से शिव के ग्यारहो लिंग रूपो को स्थापित किया गया है !
मंदिर के उत्तराधिकारी पंडित आत्मानंद झा उत्साहपूर्वक बताते है कि इस मंदिर मे जगन्नाथ पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्छलानंद सरस्वती भी आये थे , यहाँ की छठा देखकर मंत्रमुग्ध हो गये और तुरंत पुजारी बाबा आत्माराम से महादेव की पूजा -अर्चना की इच्छा जाहिर की !
बाबा आत्माराम ने बताया है कि महादेव का मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' है लेकिन इस मंदिर के संस्थापक तांत्रिक पंडित मुणीश्वर झा ने इस पाँच अक्षर के मंत्र के स्थान पर ग्यारह अक्षर का मंत्र तैयार किया ! 'ॐ नमः शिवाय , ॐ एकादश रूद्राय' !यह मंत्र सुनकर शंकराचार्य ने कहा कि आज यदि गुरु शंकराचार्य रहते तो वें भी यही मंत्र जपते !
बाबा आत्माराम बताते है कि एक ही शक्ति बेदी पर स्थपित इन शिवलिंगो पर विभिन्न तरह की आकृति उभरती है , इन आकृतियों का बनना अभी भी जारी है !
बड़े उत्साह और आनन्दपूर्वक उन्होने, क्रमवार रूप से सभी शिवलिंगो के बारे मे जानकारी दी और उनमे उभरे चित्रो को बड़े ही तन्मयता के साथ दिखाया !