राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/मधुबनी ( मिथिला हिन्दी न्यूज़) । हरितालिका व्रत ( तीज ) व गणेश चतुर्थी पर्व मिथिला क्षेत्रीय पंचांग के अनुसार इस बार २ सितंबर २०१९ सोमवार को मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यता के अनुसार भाद्र मास शुक्ल पक्ष तृतीया को हरीतालिका व्रत हस्त नक्षत्र में मनाया जाता है जबकि भाद्र मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी को गणेश चतुर्थी व्रत किया जाता है।
यह स्पष्ट है कि तृतीया तिथि मुहूर्त (२ घटी अर्थात ४८ मिनट=१ मुहूर्त) भी हो तो भी यही तिथि मान्य है कारण द्वितीय तिथि पितामह ब्रम्हा जी का है और चतुर्थी गौरी पुत्र गणेश की तिथि है अतः द्वितीय युक्त तृतीया तिथि निषेध है और तृतीया से युक्त चतुर्थी श्रेष्ठ योग है। गौरी और गणेश का सम्मिलन उत्तम माना गया है। अतः हरि तालिका व्रत २ सितंबर को ही रखा जाएगा। और यह अति उत्तम भी है। इसी दिन गणेश चतुर्थी भी है।
खास बात यह है कि इस दिन सोमवार है और यह दिन भगवान शंकर का है और यह दिन चंद्रमा का भी है। एक कथा के अनुसार माता पार्वती, शिव को प्राप्त करने हेतु हरितलिका व्रत की।
हरितालिका व्रत एवं पूजा, पति पत्नि दोनों साथ मिलकर करें तो और भी अति उत्तम है।
इस दिन गणेश चतुर्थी भी है साथ ही चतुर्थ चन्द्र पूजन (चौरचन) एक कथा अनुसार श्री गणेश जी प्रसन्न मुद्रा में आकाश मार्ग से भ्रमण कर रहे थे तभी चंद्रमा श्री गणेश जी के भारी भरकम शरीर देख कर हंस दिए इस पर गणेश जी को क्रोध आया और उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिए कि आपको अपने सुंदरता पर घमंड है तो जाइए आज से आपको कोई नही देखेगा और आप अपने प्रकाश से मध्यम रहेंगे। यह सुन चंद्रमा हतप्रभ होने लगे और उनका प्रकाश छिन्न होने लगा। चंद्रमा का यह स्थिति देख सभी देवता चिंतित होने लगे। तभी सभी देवता ने एक उपाय सुझाया जिससे श्राप से चंद्रमा को मुक्ति मिल सकती थी। देवताओं के बताए गए उपाय के अनुसार चंद्रमा अपने हाथ में फल, फूल, लड्डू लेकर श्री गणेश जी से व्याकुल मुद्रा में स्तुति करने लगें जिस पर गणेश जी प्रसन्न हुए और चंद्रमा को वर मांगने को कहा। चंद्रमा ने श्राप मुक्त कर देने की विनती श्री गणेश जी से करने लगे। इस पर गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप मुक्त कर दिए। किन्तु यह भी कहे कि जो भाद्र मास के शुक्ल पक्ष चौथ में आपको देखेगा उसको मिथ्या कलंक लगेगा। जो मास के प्रारम्भ से ही आपको देखेगा उसको मिथ्या कलंक नही लगेगा इसके बाद भाद्र शुक्ल चतुर्थी को विधि पुर्वक पूजा करके हाथ में फल फूल लड्डू या श्रद्दा अनुसार पकवान लेकर दर्शन करेगा उसको मिथ्या कलंक नहीं लगेगा।
हम सभी को बल बुद्धि, ऋद्धि सिद्धि के देवता श्री गणेश की पूजा अर्चना करनी चाहिए, साथ ही चंद्रमा की पूजा भी अति आवश्यक और महत्वपूर्ण है।
मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार-
तृतीया तिथि प्रारम्भ १ सितंबर २०१९ रविवार दिन ११:२९ के बाद।
तृतीया तिथि समाप्त २ सितंबर २०१९ सोमवार दिन के ९:०७ तक, इसके बाद चौथ तिथि प्रारम्भ।
चौथ तिथि समाप्त ३ सितंबर २०१९मंगलवार प्रातः०६:५७तक।
२ सितंबर को चंद्रमा कन्या राशि में।
२ सितंबर को संयुक्त तिथि मान्य है जिस कारण हरितलिका व्रत और गणेश चतुर्थी दोनों इसी दिन है।
नोट- अपने अपने क्षेत्रीय पंचांग अनुसार समय सारणी में अंतर हो सकता है।
पंकज झा शास्त्री , 9576281913