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नशे की लत से संभव है समाधान - डॉ॰ मनोज कुमार



शराबबंदी के बावजूद अन्य प्रकार के नशे से युवाओं और महिलाओं में आकर्षण बढ रहा,लक्षण और निवारण पढिए 


राजेश कुमार वर्मा

पटना ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । पटना के सुप्रसिद्ध डॉ॰ मनोज कुमार बिहार के जाने-माने मनोवैज्ञानिक है उन्होंने अपने लेख्य के माध्यम से जनमानस को नशे की लत से छुटकारा पाने की विधि प्रेस को दूरभाष से देते जनमानस के पटल पर छोड़ने का काम किया है । उन्होंने कहा है की दुनिया में हर किसी को एक नशा हैं। किसी को दौलत पाने का जूनून , कोई कम समय में बुलंदियो को छूना चाहता है। एग्जाम मे अच्छे मार्क्स की दरकार हो या रिश्ते में कसावटपन । इन सब दबावों से युवा मन इन तनावों और दबावों को निकालने के लिए कभी चाय-कांफी की चुस्कीयों का सहारा ले रहा । तो कभी चंद कशमकश से निपटने के लिए कभी सिगरेट के कश को खींच रहा । आजकल युवाओं में नशे की तरफ तेजी से बढ़ते हुए देखा जा रहा है।

महिलाएं भी बन रहीं आदी


युवा लङकियों की तुलना में संभ्रांत और मध्यम वर्ग की महिलाएं भी तेजी से नशे की गिरफ्त में शिकार हो रहीं।आजकल राजधानी पटना में गोगो जैसे पाबंदित सिगार इनके बीच प्रचलन में देखा जा रहा।ये सिगार में अक्सर कच्चे गांजे को तंबाकू में मिला कर इस्तेमाल धङल्ले से हो रहा।अधेङ उम्र की महिलाएं इनका उपयोग शौकिया तौर पर कर रही।कुछ महिलाएं सिर्फ पार्टियों में इसे पी रही तो कुछ का मानना हैं की इसके पीने से स्टेटस सिंबल उनका बढ रहा।भांग की गोली और शरबत भी इनके बीच प्रचलन में है। राजधानी पटना में कफ सिरप पीनेवाली महिलाओं की तादाद भी बढ रही।हालांकी कुछ कफ सिरप पर सूबे की सरकार ने बैन लगा रखी है परंतु अवैध रूप से यह ग्राहकों तक पहुँच रहा।मेरे द्वारा ईलाजरत कुछ महिला पेशेंट ऐसी भी मिली हैं जो विक्स आदि को रोटी में खाकर भी नशा कर रहीं।
स्कूल-कांलेज के युवा भी हो रहें प्रभावित ।
 आजकल बिहार में शराबबंदी के बावजूद युवक-युवतियों द्वारा अलग- अलग तरह का नशा इस्तेमाल किया जा रहा।
मसलन कॉकटेल-माकटेल से उलट अब लोग सामूहिक तरीके से नशे से जुङ रहे।
मर्दानगी व जिंदादिली का दिया जा रहा वास्ता।
ज्यादातर युवा ग्रुप में नशा अपनी जोश व इगो की रक्षा के लिए ले रहे हैं। युवतियां अपने व्यक्तिगत इच्छाओं व सामाजिक-पारिवारिक दबाव में सामंजस्य न बनाने की वजह से समूह में बैठकर नशा करती है।

युवाओं में नशे का हो रहा दुष्प्रभाव 


 आजकल युवाओं के बीच व्हाइटनर,कफ सीरप,पाईप तंबाकू, गांजा को सिगरेट में भर छल्ले बनाना, अफीम, भांग की गोली लेना इत्यादि का इस्तेमाल धङल्ले से हो रहा । शुरूआत समय में युवाओं के मजबूत रोग प्रतिरोधन क्षमता के आगे इस तरह के नशे का प्रभाव बहुत कम दिखता है। यह अपने जिद्द व हठ के रक्षा प्रक्रम के आगे किसी की भी नही सुनते।

पहचानिये नशे से पीङीत युवाओं को


जो युवा नशे की चपेट में होते हैं वह अक्सर बहुत तरह की समस्या से घिरे होते हैं।
इनमें शरीर में दर्द और मांसपेशी का जकङन आम होता है। देर तक यह शौच में बैठते हैं। भूख व नींद मानो कोसो दूर चला जाता है। शारीरिक कमजोरी व थकान आम बात हो जाती है। हर बार इन्हे नयापन चाहिए होता है। चाहे रिश्ते की बात ही क्यो न हो ।नशे से पीड़ित हमेशा आकांक्षाओं तले जीने को मजबूर होते हैं।

नशे के ज्यादा इस्तेमाल बनाये मनोरोगी 


जो युवा नशा ले रहे होते हैं वह पहले से या नशे की आदत की वजह से कुछ अन्य तरह के मानसिक समस्या से जकङने लगते हैं या पूरी तरह से मानसिक स्वास्थ्य को खोकर अधिक रूप से नशा पर निर्भर हो जीने लगते हैं।

जीवनशैली अस्त-व्यस्त


पटना व बिहार के सूदूर जिले से आ रहे स्कूल -कालेज के युवाओं को मैने देखा की उनकी हालत नशे के आचरण अपनाने पर बद से बदतर होती जा रही।
मसलन ध्यान में कमी,मन को एकाग्र करने की शक्ति कमना।शक की अधिकता।अजीब-अजीब ख्यालात आना।ऐसा लगना की मेरा कोई दुश्मन हैं और वह मुझे और मेरे परिवार को बर्बाद कर देगा।
कुछ मामलों में पाया गया की युवा ने खुद को असीम शक्ति का मालिक बना लिया है। अकेले में बात करना ।तन्हा जिंदगी गुजर करना व उनकी कान में किसी की आवाजे सुनायी देना।
यह सभी लक्षण किसी में एक साथ दिखना तो कुछ मामलों में पाया गया की धीरे यह सब उनमें पनप रहा होता है।
गौर करने वाली बात यह हो जाती हैं की पीड़ित को इसकी भनक नही लगती।
कुछ मामलों में परिवार संभालने की कोशिश भी करता है तो नशे के भंवरजाल में फंसा यूथ्स खुद को यहाँ से निकालने में स्वयं को अयोग्य मानने लगता है।

संभलने की क्यों हैं जरूरत 


अगर आप किसी न किसी नशे से पीड़ित हैं तो आपको यह चैक करना होगा की क्या आप खुद के लिए या परिवार के लिए किसी तरह का परेशानी का सबब तो नही पैदा कर रहे।आपके व्यवहार से पङोसीयो,कानून या सार्वजनिक नियमों की अवहेलना तो नही हो रही।सबसे जरूरी मसला इनसब के बावजूद कही आपका करियर ग्राफ नीचे तो नही जा रहा।

संभव हैं समाधान


किसी भी नशे से उबङना अब मुमकिन हो गया है। आपको आर्टीफिसीयल इच्छा शक्ति से नही बल्कि आप के मजबूत इरादे आपकी जरूर मदद कर सकते हैं। मनोवैज्ञानिक चिकित्सा इसके लिए वरदान साबित होती है। कुछ मामले में रक्तशोधन किया जाता है। जो लोग नशा पीङीत है उनके उपचार में चार पीलर काम करते हैं पहला आपका काउंसलर दुसरा परिवार तीसरा समय पर दी जाने वाली दवा और चौथा अहम खंभा नशा पीड़ित खुद है। जब चारो में उचित तालमेल होगा तो नशा पीड़ित जल्दी स्वास्थ्य लाभ करते हैं।याद रखें नशे से नफरत पाले इसके रोगियों से नही।इनको प्रेरित कर ही इस समस्या से छुटकारा दिलाना संभव है।
(लेखक डॉ॰ मनोज कुमार बिहार के जाने-माने मनोवैज्ञानिक है। इनका संपर्क नं 9835498113 है।

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