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भगवान श्री कृष्ण, विष्णु के आठवें अवतार : पंकज शास्त्री



राजेश कुमार वर्मा


समस्तीपुर ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । भगवान श्री कृष्ण, विष्णु के आठवें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर माने जाते है। इनका जन्म द्वापर में हुआ। भगवान श्री कृषण जी अपने जन्म काल से ही ऐसी अद्भुत लीलाओं की रचना की जो कोई साधारण नहीं कर सकता था। कृष्ण के कई नाम उनके लीलाओं के आधार पर ही विख्यात है।
कृष्ण निष्काम कर्म योगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थित प्रज्ञ और दैवी संपदाओं से सुसज्जन महान पुरुष थे । इन्होंने अपने कर्मों से ऐसे उदाहरण पेश किए जो कि हर एक के लिए प्रेरणादाई है। साथ ही अर्जुन के जरिए गीता के माध्यम से पूरी दुनियां को जो संदेश दिए जिसे अपनाकर करोड़ों लोग जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो चुके है। श्री कृष्ण ने अपने जीवन काल में निष्ठा के कर्म भाव में अधिक जोड़ दिया। श्री गीता जी में कहा गया है श्री कृष्ण ने अर्जुन को मोह तोड़ने के लिए एसे रहस्य बताए जो उनके सिवाय कोई नहीं जानता था, इतना ही नहीं अर्जुन को जव अपने विराट रुप का दर्शन कराए। अर्जुन भयभीत होने लगा उन्होंने श्री कृष्ण के समक्ष हाथ जोर कर कहने लगा। हे अन्तर्यामी। यह योग्य ही है कि आपके नाम, गुण और प्रभाव के कीर्तन से जगत हर्षित हो रहा है और अनुराग को भी प्राप्त हो रहा है तथा भयभीत राक्षस लोग दिशाओं में भाग रहे है और सब सिद्धगण के समुदाय नमस्कार कर रहे है। आप आदि देव और सनातन पुरुष है। आप इस जगत के परम आश्रय और जानने वाले तथा जानने योग्य और परम धाम है। हे अनंत रूप। आप से यह जगत व्याप्त अर्थात परिपूर्ण है। आप ही जगत गुरु है। आपको बारंबार नमस्कार है, इसी तरह अर्जुन ने भगवान कृष्ण को जगत गुरु की उपाधि दी।
आज कृष्ण अर्जुन के बीच के संवाद श्री वेद व्यास जी द्वारा रचित श्री मद भागवत गीता जो आज विश्व में सबसे प्रसिद्ध माना जाता है। जिसे लोग अपनाकर अपने जीवन के कई कठिन पथ को सड़ल बना सकते है और इसके माध्यम से जीवन मरण के बंधन से मुक्त होना संभव है। गीता में कहीं गई भगवान श्री कृष्ण के शब्द को जान लेने से इस संसार में कुछ भी पाने कि इच्छा नहीं रह जाती।
उपरोक्त बातें दुरभाष के माध्यम से मधुबनी निवासी आचार्य पंकज झा शास्त्री ने हमारे पत्रकार को दिया ।

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