राजेश कुमार वर्मा/मनीष कुमार
समस्तीपुर ( मिथिला हिन्दी न्यूज 27 अगस्त 19 ) समस्तीपुर जिला के मोहनपुर रोड स्थित युएन पैलेस में प्रकृति और हम विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अभय कुमार सिंह ने तथा मंच संचालन अमन कुमार झा तथा रजनीश कुमार ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया।
आयोजित इस परिचर्चा मे वक्ता के रूप मे भाग लेने वालों मे डॉ॰ शंभु कुमार सिंह, श्री कुमार कौस्तूभ, श्री राजेश कुमार सुमन, श्री कुंदन कुमार रॉय उपस्थित रहे। आयोजित इस परिचर्चा मे वक्ताओं को सुनने के लिए स्थानीय लोगों की भीड़ जुट गयी। आयोजित इस परिचर्चा को लेकर युवाओं मे गजब का उत्साह देखने को मिला। परिचर्चा की शुरूआत डॉक्टर शंभु कुमार सिंह ने किया।
परिचर्चा में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि, प्रकृति है तो हम हैं, प्रकृति की रक्षा करना हमारा धर्म है। इसलिए हमे चाहिए कि हम प्रकृति की रक्षा हेतु अपने आस पास पेड़ लगाएं और उसकी रक्षा करें। इस प्रकार की उपाय किए जाने से ही हम अपनी प्रकृति और अपने पर्यावरण की रक्षा कर सकेंगे। परिचर्चा को आगे बढाते हुए श्री कुमार कौस्तूभ ने कहा कि, प्रकृति के साथ हमारे द्वारा किए गये दुर्व्यवहार का नतीजा है, कि आज पुरी पृथ्वी पर तपिश बढ गयी है। लोग अनकही अनसुनी बिमारियों की चपेट मे आकर मर रहे हैं। यह सिर्फ और सिर्फ प्रकृति के साथ की जा रही अत्याचार का नतीजा है।
एक समय था कि हमारी आंखे पक्षियों की चहचहाहट सुनकर खुल जाती थी, लेकिन हमारे द्वारा प्रदुषण को दिए गए बढावा के कारण इस पृथ्वी पर से सारे पशु पक्षी हमाप्त होते जा रहे हैं। पहले की तरह हमारे आस पास कौआ, मैना, गौरैया, टिड्ढा, गिद्ध, चील बाज, मधुमक्खी आदि दिखाई तक नही दे रहे हैं। ग्लोबल वर्मिंग के कारण ही आज हमारे घर के आसपास उगने वाले पौधे जिनमे पपीता का पेड़, जामुन का पेड़, तुलसी का पेड़, पुरी तरह से गायब है।
एक जमाना वह भी था जब हम अपने घर के किसी कोने मे लगे मधुमक्खी के छाता से मधु निकाल कर रोटी, चावल के साथ मिलाकर पुरी चाव के साथ खाते थे। लेकिन आज वही मधुमक्खी हमलोगों से कोसो दुर है। पहले मधुमक्खी स्वयं हमारे घर आती थी, लेकिन आज मधुमक्खी को अपने घर मे बुलाने के लिए तरह तरह का प्रलोभन देना पड़ रहा है।
आज मुफ्त मे मिलने वाला शुद्ध मधु हमे उंची दामो मे कुछ कंपनियों से खरीद कर खाना पर रहा है, जो कि मधु के नाम पर केवल चीनी और केमिकल मात्र है। इसलिए हमे चाहिए कि हम अपने प्रकृति की रक्षा करें, ताकि हमारा यह प्रकृति पूर्व की तरह सुरक्षित हो जाए। इस परिचर्चा को राजेश कुमार सुमन, कुंदन कुमार रॉय, अभय कुमार सिंह, गुंजन मिश्रा, बबलु कुमार, बिनोद सहनी आदि लोगों ने भी संबोधित किया। इस सभा मे विद्याकर झा, अमन कुमार झा, रजनीश कुमार, चंदन कुमार, ओम प्रकाश खेमका, मनीष यादव, राजीव रंजन मिश्रा, राजु यादव, सहित सैकड़ो लोग उपस्थित थे।