अपराध के खबरें

आदित्य अमन की कविता ' मेरी मां '




मुझे याद है वो हर एक पल ,
जब मेरी मॉं ने मुझसे छिपाया था ,
खुद बासी खाना खाकर भी .
मुझे अच्छा भोजन कराया था ।

वे किस्मत वाले होते हैं ,
जिन्हें मॉं का आंचल मिलता हैं .
वे सचमुच निराले होते हैं.
जिन्हें मॉं के प्यार का सागर मिलता है ।

धिक्कार हैं उन बेटों पर ,
जो मॉं को वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं
अरे ! जिसने उसे चलना सिखलाया ,
वे उसी को भूल जाते हैं ।

ऐसी गलती कभी ना करना ,
वरना बड़ा पछताओगे ,
एक समय ऐसा भी आएगा ,
जब तुम खुद को वृद्धाश्रम में पाओगे ।

मॉं - बाप की सेवा करना खूशी से ,
वरना बड़ा पछताओगे ,
स्वर्ग नसीब ना होगा तुम्हें ,
तुम सीधे नरक को जाओगे ।

मॉं के शीतल चरणों में हीं ,
मैने पाया चारों धामों को मॉं
 से ही सीखा है मैने ,सारे अच्छे कामों को ।
     

आदित्य अमन
संत मैरिज स्कूल
समस्तीपुर

पब्लिस :- राजेश कुमार वर्मा 

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