कई बार पुलिस-प्रशासन से सीधी लड़ाई लड़ चुकी हैं
पुलिस लाठीचार्ज में घायल भी हुई,कई मुकदमें झेल रही हैं .
एमए,बीएड करके,निजी विद्यालय के प्रिंसिपल भी हैं
राजेश कुमार वर्मा
समस्तीपुर (मिथिला हिन्दी न्यूज ) । 22 अगस्त 2019 समस्तीपुर जिले के ताजपुर प्रखण्डान्तर्गत
रहिमाबाद पंचायत के बहादुरनगर में खानदानी बसे दलित भूमिहीनों को उजारने आये सीओ प्रकाश कुमार सिन्हा के नेतृत्व में सैकड़ों पुलिस से जमकर लड़ी और पुलिस को ट्रैक्टर, जेसीबी लेकर लौटने पर मजबूर कर देने को लेकर एक बार फिर चर्चा में आई महिला नेत्री बंदना सिंह।
राजनीति शास्त्र से एमए बीएड कर एक निजी विद्यालय की प्रिंसिपल के रूप में कार्य कर अपने परिवार की भरण-पोषण करने के साथ दलित, गरीब, बंचितों एवं महिला हित की लड़ाई में हमेशा अग्रणी मोर्चे पर डटे रहना उनकी आदत में सुमार हो गया है। वे अपने छात्र जीवन तकरीबन 1992 से ही छात्र संगठन आइसा से जुड़कर सड़क पर संघर्ष चलाकर आंदोलन को आवेग देती आ रही हैं। यही कारण है कि इनपर दलित, गरीब, बंचित एवं अक्लियत समुदाय इनके के एक आवाज पर दौड़े-दौड़े चले आते हैं। इनका आंदोलन पुलिस- प्रशासन के लिए कई बार सिरदर्द साबित हुआ है।परिणामस्वरूप पुलिस प्रशासन के कोपभाजन का शिकार इन्हें कई बार होना पड़ा है। बिजली सुधार आंदोलन समेत अन्य कई आंदोलनों में पुलिस लाठीचार्ज में घायल होने, कई फर्जी मुकदमा के अभियुक्त बनाये जाने के बाद भी संघर्ष के मैदान में डटी है। करीब 3-4 साल पहले भी बहादुरनगर दलित बस्ती को खाली कराने आये डीसीएलआर,सीओ, थानाध्यक्षों समेत सैकड़ों पुलिस से महिलाओं को साथ लेकर सामने की लड़ाई में पुलिस बल को भागने पर मजबूर कर चुकी हैं। सरकारी जमीन पर कब्जाधारी दबंग मनोज सिंह के ईशारे पर बुधवार को सीओ प्रकाश कुमार सिंहा के साथ बड़ी संख्या में उपस्थित पुलिस बल से जोरदार भीरंत के बाद पुलिस को वापस होना पड़ा हलांकि झड़प में दो महिलाओं सुनीता देवी एवं रधिया देवी घायल हो गई। इन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। सीओ पर एफआईआर की मांग पर रात्री में ही भाकपा माले ने बंदना सिंह के नेतृत्व में प्रतिरोध मार्च निकाला। माले कार्यकर्ता अपने घायल महिला साथी के ईलाज के स्थान को भी घेराबंदी कर रखा था। मौके पर कई बार भीरंत भी हुआ। रात्री करीब 9-30 बजे जिला के वरीय पदाधिकारी के निर्देश पर ताजपुर थानाध्यक्ष दलबल के साथ आकर तत्काल मुहल्ला खाली कराने पर रोक लगाने, इसे लेकर 28 अगस्त को ताजपुर थाना पर एसडीओ, सीओ, थानाध्यक्ष, पीड़ित परिवार एवं माले कार्यकर्ताओं की बैठक करने के घोषणा के बाद मामला का पटाक्षेप हो गया।