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देश आर्थिक तंगी में आया कैसे और इसका निदान क्या होगा..???

राजेश  कुमार वर्मा/योगेन्द्र प्र० सिंह"अधिवक्ता"


 नई दिल्ली/पटना ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । अर्थ संकट कोई एक - दो दिन में उत्पन्न नहीं हो जाता । इसके लिए बहुत समय लगा होगा अब तक सरकार क्या कर रही थी । सरकार के अधिकारियों को थिंक टैंक को और अर्थशास्त्रियों को अब तक यह बात पता कैसे नहीं चली और चला तो इन्होंने कौन से कदम उठाए यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है । आरबीआई से पैसा निकाला जाना और वह भी थोड़ा बहुत नहीं इतनी बड़ी मात्रा में देश आर्थिक तंगी में आया कैसे दरअसल यही सबसे बड़ी तकनीकी गलती है कर्ज से भीख मांग कर खाने से घर बहुत दिन तक नहीं चलता उसके लिए आवक और जावक का संतुलन बराबर होना चाहिए अगर नहीं है तो बहुत बड़ी तकनीकी गलती है । यह बात बहुत दिनों से बहुत से विद्वानों के द्वारा बार बार चेताया जा रहा था लेकिन सरकार को अहंकारवश मोदी को अहंकारवश समझ में नहीं आ रहा था दूसरी सबसे बड़ी खराबी है इस सरकार की की यह लोग दूसरे की गलती के संबंध में खूब हल्ला मचाते हैं लेकिन अपनी गलती छिपाने की बराबर कोशिश करते रहते हैं आरटीआई एक्ट को इन्हीं कारणों से कमजोर किया गया ताकि सही सूचना देने के लिए बाध्य ना होना पड़े दरअसल यह सरकार सवर्ण द्रोही है और इसका बड़े पैमाने पर धन सवर्णों से टैक्स छीन कर पिछड़ों और एससी एसटी एक्ट पर खर्च हो जाता है और इस खर्चे को लगातार बढ़ाया जा रहा है यह बोझ भी देश पर बहुत बढ़ चुका है इसके अलावा सभी रिटायर्ड नेता भी पेंशन लेते हैं साथ ही नए लोगों को भी देना पड़ता है यह बोझ भी लगातार बढ़ता जा रहा है बार-बार आयोग बनाकर कर्मचारियों और अधिकारियों की तनख्वाह हजारों रुपए बढ़ा दी जाती है । उसी जगह में जो दैनिक वेतन भोगी है और मानदेय कर्मचारी हैं जैसे आंगनबाड़ी आदि उनका जमकर सरकार शोषण करती है क्या आप इन सब चीजों को भी सोशल मीडिया पर उठाते हैं इन सब का भी गुणगान करते हैं ऐसी सरकार से तत्काल त्यागपत्र मांगा जाना चाहिए था । जब सरकार हर मामले में फेल हो रही थी एक कश्मीर मामले को छोड़कर तो इतनी बड़ी गलती का अभी तक पता कैसे नहीं चला और पता चला तो क्या कदम उठाए गए क्या यही कदम उठाया जा सकता था कि आरबीआई का जमा धन ले लिया जाए यह केवल ऐसी स्थिति में लिया जाना चाहिए था जब देश कोई बहुत बड़े प्राकृतिक आपदाई संकट में होता या फिर देश में युद्ध की स्थिति होती लेकिन इन स्थितियों के आए बिना इस तरीके का गणित कदम उठाना देश के साथ विश्वासघात है ऐसा होने पर भी जो लोग सरकार का समर्थन कर रहे हैं वह सभी सरकार के साथ-साथ देशद्रोह का कार्य कर रहे हैं । 

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