अपराध के खबरें

मीडिया को चकमा देते वर्तमान में पुलिस अधिकारी शराब माफियाओं को दे रखें है संरक्षण

 राजेश कुमार वर्मा/सुदर्शन कु० चौधरी

 समस्तीपुर ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । वर्तमान समय में बिहार में नीतीश कुमार की सरकार शराबबंदी कानून लागू कर रखी हैं ।वहीं शराब माफियाओं द्वारा अवैधानिक तरिके से शराबके खेप मंगाया जा रहा है और खरीद बिक्री भी चोरी छीपे किया जा रहा है । पुलिस पदाधिकारियों के द्वारा भी रोजाना वाहनों से शराब बरामद करते हुऐ जब्त किया जाता है। अब यह कौन साबित करेगा कि बिहार राज्य के जिले के प्रखंडों एंव गांवों से पुलिस द्वारा पुरी की पुरी भरी हुई ट्रक पकड़ते तो है , लेकिन मीडिया एवं सम्बन्धित पदाधिकारी को , नाम मात्र के बताया जाता हैं। आखिर में और शराब कहां गई ऐ जांच का विषय बन जाता है । इधर सूत्र बताते है की जब दिन में शराब की बड़ी खेप पकड़ी जाती है तो उसे तबतक दबाऐ रखते हैं जबतक की हिसाब किताब ना बैठा लें ।वहीं जब रात की बेला में पकड़ते है तो अंधेरे का लाभ शराब माफियाओं को मिल जाता है । पुलिसकर्मियों एंव पुलिस पदाधिकारियों की मिलीभगत दिन में जब्त किये गए शराब को रातों रात थाने से चौकीदार और थाने के दलाल की मिली भगत से आधे से उपर शराब को गायब कर दिया जाता है । इस बात को स्थानीय लोगों द्वारा देखा भी जाता है और इस बात की जानकारी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ माने जाने वाले पत्रकार बन्धु को होने के बाबजूद भी हमारे पत्रकार बंधु भी वही सुनते हैं ,जो फोन पर थानेदार या पुलिस पदाधिकारी द्वारा बता दिया जाता है । वहीं बाते आंख मूंद कर उनके स्पोर्ट में न्यूज़ भी बना देते हैं , एक बार ऐ भी नहीं सोचते है की किसी भी घटना का प्रत्यक्ष गवाह होता है उनसे भी जानकारी लेना मुनासिब नहीं समझते है । बताते है की जब भी पुलिस द्वारा कोई अबैध समान को जप्त किया जाता है तो कोई न कोई प्रत्यक्ष दर्शी को लिखित गवाह के रूप में अवश्य रखते हैं, क्या वह प्रत्यक्ष दर्शी है या थानेदार द्वारा बनावटी गवाह । सूचना के अनुसार जितना माल पकड़ाता है वर्तमान समय मे थानेदार उतना बताते नही, फिर उनका कुछेक पत्रकारों द्वारा स्पोर्ट क्यों किया जाता हैं...?? लोगों का कहना हुआ की हमारे समझ से आज कुछेक पत्रकार थाने के दलाल का काम भ कुछ बन्धु करने लगे है । इसलिए बिना बैरिकेट लगाए पुलिस पदाधिकारी एवं कर्मियों द्वारा जहां मन होता है वाहन चेकिंग के नाम पे 5000-1000 लूट कर चलते बनते है जनता का रक्षक पत्रकार इसपे कोई ध्यान नही देते है ना ही पूछते है कि क्या बैरिकेडिंग लगा कर चेक करना है या ऐसी ही चेकिंग लूट अभियान चलाया गया है। 

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