राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/मधुबनी (मिथिला हिन्दी न्यूज, बिहार ) । ज्योतिष पंकज झा शास्त्री के अनुसार भाद्र मास शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को मनाए जाने वाला पर्व अनंत चतुर्दशी इस बार 12 सितंबर 2019, गुरुवार के दिन होगी। खास बात यह है कि इस दिन गुरुवार का दिन है और गुरुवार भगवान विष्णु का दिन माना गया है और अनंत भगवान, भगवान विष्णु का ही स्वरूप है। अनन्त पूजा के बारे में भविष्य पुराण में भी वर्णन किया गया है। अनंत पूजा करने से पाप के क्षय और सुख की उपलब्धि हेतु किया जाता है।
पाट का डोरा या जनेऊ के अनंत बनाए हुए, पूजा करने के बाद, स्त्री बांए बाजू पर और पुरुष दाएं बाजू पर बांधते है।
इस पूजा को कम से कम 14 वर्ष ही करना चाहिए, मिथिला में कई जगह इस पूजा को आजीवन किया जाता है जो और भी अति शुभ है।
एक कथा के अनुसार पांडव जब सब कुछ यहां तक की अपना राज्य भी जब जुआ में हार कर अज्ञात वास में थे तब एक दिन युधिष्ठिर अपने दुख स्थिति के कारण चिंतित थे, अनायास श्री कृष्ण के उपस्थिति को देख युधिष्ठिर कृष्ण से विनय पूर्वक कहने लगे कि हम बहुत भयंकर विपत्ति में है, प्रभु आप ही अब कष्ट का निवारण कर सकते है। भगवान श्री कृष्ण ने तब उत्तर दिए कि आप अनंत चतुर्दशी व्रत कीजिए जिससे आपके कष्टों का निदान हो सकता है। भगवान के मुंह से विधान सुनकर उसी अनुसार युधिष्ठिर ने भगवान अनंत का पूजा, व्रत किए। जिसके बाद फिर से युधिष्ठिर को अपना पुराना साम्राज्य प्राप्त हुआ।
चतुर्दशी तिथि आरंभ 11 सितंबर को रात्रि 4:51 बजे
12 सितंबर को समस्त
चतुर्दशी तिथि समाप्त 12 सितंबर को प्रातः 6:46 बजे तक।
पूजा मुहूर्त 12 सितंबर गुरुबार को प्रातः 5:50 से 8:55 तक इसके बाद 10:29 से 11:59 तक अति शुभ है।
नोट-अपने अपने क्षेत्रीय पंचांग अनुसार समय सारणी में कुछ अंतर हो सकता है।
पंकज झा शास्त्री
दरभंगा/मधुबनी (मिथिला हिन्दी न्यूज, बिहार ) । ज्योतिष पंकज झा शास्त्री के अनुसार भाद्र मास शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को मनाए जाने वाला पर्व अनंत चतुर्दशी इस बार 12 सितंबर 2019, गुरुवार के दिन होगी। खास बात यह है कि इस दिन गुरुवार का दिन है और गुरुवार भगवान विष्णु का दिन माना गया है और अनंत भगवान, भगवान विष्णु का ही स्वरूप है। अनन्त पूजा के बारे में भविष्य पुराण में भी वर्णन किया गया है। अनंत पूजा करने से पाप के क्षय और सुख की उपलब्धि हेतु किया जाता है।
पाट का डोरा या जनेऊ के अनंत बनाए हुए, पूजा करने के बाद, स्त्री बांए बाजू पर और पुरुष दाएं बाजू पर बांधते है।
इस पूजा को कम से कम 14 वर्ष ही करना चाहिए, मिथिला में कई जगह इस पूजा को आजीवन किया जाता है जो और भी अति शुभ है।
एक कथा के अनुसार पांडव जब सब कुछ यहां तक की अपना राज्य भी जब जुआ में हार कर अज्ञात वास में थे तब एक दिन युधिष्ठिर अपने दुख स्थिति के कारण चिंतित थे, अनायास श्री कृष्ण के उपस्थिति को देख युधिष्ठिर कृष्ण से विनय पूर्वक कहने लगे कि हम बहुत भयंकर विपत्ति में है, प्रभु आप ही अब कष्ट का निवारण कर सकते है। भगवान श्री कृष्ण ने तब उत्तर दिए कि आप अनंत चतुर्दशी व्रत कीजिए जिससे आपके कष्टों का निदान हो सकता है। भगवान के मुंह से विधान सुनकर उसी अनुसार युधिष्ठिर ने भगवान अनंत का पूजा, व्रत किए। जिसके बाद फिर से युधिष्ठिर को अपना पुराना साम्राज्य प्राप्त हुआ।
चतुर्दशी तिथि आरंभ 11 सितंबर को रात्रि 4:51 बजे
12 सितंबर को समस्त
चतुर्दशी तिथि समाप्त 12 सितंबर को प्रातः 6:46 बजे तक।
पूजा मुहूर्त 12 सितंबर गुरुबार को प्रातः 5:50 से 8:55 तक इसके बाद 10:29 से 11:59 तक अति शुभ है।
नोट-अपने अपने क्षेत्रीय पंचांग अनुसार समय सारणी में कुछ अंतर हो सकता है।
पंकज झा शास्त्री