राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/मधुबनी ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । ज्योतिष पंकज झा शास्त्री जी के अनुसार इस बार मिथिला क्षेत्रीय पंचांग के अनुसार इस बार पितृ पक्ष 14 सितंबर से 28 सितंबर तक चलेगी। कई क्षेत्रों के पंचांग 13 सितंबर को बता रहा है। जिस कारण पंचंगकारों में एकमत नही देखी जा रही है। वैसे मिथिला में उदित काल के तिथि को माना जाता है जिस कारण पितृ पक्ष का प्रारम्भ 14 सितंबर 2019 से है अगस्तमुनी का आर्ग 14 सितंबर को दिया जाएगा।
पितरों के निमित्त सभी क्रियाएं जनेऊ दाएं कंधे पर रख कर और दक्षिण भिमुख होकर की जाती है तर्पण काले तिल मिश्रित जल से किया जाता है श्राद्ध का भोजन दूध ,चावल, शक्कर और घी से बने प्रदार्थ का होता है। कुश के आसन पर बैठकर कुत्ता और कौए के लिए भोजन रखे। इसके बाद पितरों का स्मरण करते हुए निम्न मंत्र का तीन बार जाप करे-ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महा योगीभ्य एवक च नमः
स्वधाये नित्य में भवन्तु ते।
तादुपरांत तीन तीन आहुतियां-
आग्नेय काव्यवाहनाय स्वाहा
सोमाय पितृभते स्वाहा
वैवस्ताय स्वाहा।
इतना करना भी यदि संभव न हो तो जल पात्र में कालातिल डालकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके तर्पण करे और ब्राम्हण को फल मिष्ठान या संभव अनुसार भोजन कराकर दक्षिणा दें।
ध्यान रहे श्राद्ध के दिन एक समय भोजन, भूमि शयन एवं ब्रम्हचर्य का पालन आवश्य करना चाहिए।
अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर पितृ पक्ष कहलाता है।
वैसे तो श्राद्ध मृत्यु वाले दिन को किया जाता है किन्तु पूर्णिमा का श्राद्ध नाना नानी के लिए चतुर्दशी को अकाल मृत्य वाले के लिए तथा अमावस्या का श्राद्ध अज्ञात तिथि वालों के लिए होता है, साधवा स्त्री की मृत्य किसी भी तिथि में हो पितृ पक्ष में उनका श्राद्ध नवमी को ही करना चाहिए। पितृ पक्ष के प्रथम दिन यानी पूर्णिमा को अगस्तमुनि के लिए अर्घदान होता है। कई लोग अपने पितरों को जल सिर्फ उस तिथि तक देकर छोर देते है जबकि हो सके तो जीवन भर अपने पितरों के निमित्त जल अर्पण करना चाहिए या फिर कमसे कम पूरे पितर पक्ष जल अर्पण कुश से करना चाहिएये कुश अगर उपलब्ध न हो सके तो पीतल के वस्तु से जल अर्पण करना चाहिए।
वैसे अपने अपने क्षेत्रीय मतों या परंपरा के अनुसार शब्दों में अंतर हो सकता है अतः अपने क्षेत्र के पंडित या विद्वानगण से परामर्श जरूर लें।
पूर्णिमा तिथि आरंभ 13 सितंबर 2019 शुक्रवार को प्रातः 06:46 के बाद।
पूर्णिमा तिथि समाप्त 14 सितंबर को दिन 8:51तक।
इसके बाद प्रतिपदा तिथि आरंभ।
पंकज झा शास्त्री
दरभंगा/मधुबनी ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । ज्योतिष पंकज झा शास्त्री जी के अनुसार इस बार मिथिला क्षेत्रीय पंचांग के अनुसार इस बार पितृ पक्ष 14 सितंबर से 28 सितंबर तक चलेगी। कई क्षेत्रों के पंचांग 13 सितंबर को बता रहा है। जिस कारण पंचंगकारों में एकमत नही देखी जा रही है। वैसे मिथिला में उदित काल के तिथि को माना जाता है जिस कारण पितृ पक्ष का प्रारम्भ 14 सितंबर 2019 से है अगस्तमुनी का आर्ग 14 सितंबर को दिया जाएगा।
पितरों के निमित्त सभी क्रियाएं जनेऊ दाएं कंधे पर रख कर और दक्षिण भिमुख होकर की जाती है तर्पण काले तिल मिश्रित जल से किया जाता है श्राद्ध का भोजन दूध ,चावल, शक्कर और घी से बने प्रदार्थ का होता है। कुश के आसन पर बैठकर कुत्ता और कौए के लिए भोजन रखे। इसके बाद पितरों का स्मरण करते हुए निम्न मंत्र का तीन बार जाप करे-ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महा योगीभ्य एवक च नमः
स्वधाये नित्य में भवन्तु ते।
तादुपरांत तीन तीन आहुतियां-
आग्नेय काव्यवाहनाय स्वाहा
सोमाय पितृभते स्वाहा
वैवस्ताय स्वाहा।
इतना करना भी यदि संभव न हो तो जल पात्र में कालातिल डालकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके तर्पण करे और ब्राम्हण को फल मिष्ठान या संभव अनुसार भोजन कराकर दक्षिणा दें।
ध्यान रहे श्राद्ध के दिन एक समय भोजन, भूमि शयन एवं ब्रम्हचर्य का पालन आवश्य करना चाहिए।
अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर पितृ पक्ष कहलाता है।
वैसे तो श्राद्ध मृत्यु वाले दिन को किया जाता है किन्तु पूर्णिमा का श्राद्ध नाना नानी के लिए चतुर्दशी को अकाल मृत्य वाले के लिए तथा अमावस्या का श्राद्ध अज्ञात तिथि वालों के लिए होता है, साधवा स्त्री की मृत्य किसी भी तिथि में हो पितृ पक्ष में उनका श्राद्ध नवमी को ही करना चाहिए। पितृ पक्ष के प्रथम दिन यानी पूर्णिमा को अगस्तमुनि के लिए अर्घदान होता है। कई लोग अपने पितरों को जल सिर्फ उस तिथि तक देकर छोर देते है जबकि हो सके तो जीवन भर अपने पितरों के निमित्त जल अर्पण करना चाहिए या फिर कमसे कम पूरे पितर पक्ष जल अर्पण कुश से करना चाहिएये कुश अगर उपलब्ध न हो सके तो पीतल के वस्तु से जल अर्पण करना चाहिए।
वैसे अपने अपने क्षेत्रीय मतों या परंपरा के अनुसार शब्दों में अंतर हो सकता है अतः अपने क्षेत्र के पंडित या विद्वानगण से परामर्श जरूर लें।
पूर्णिमा तिथि आरंभ 13 सितंबर 2019 शुक्रवार को प्रातः 06:46 के बाद।
पूर्णिमा तिथि समाप्त 14 सितंबर को दिन 8:51तक।
इसके बाद प्रतिपदा तिथि आरंभ।
पंकज झा शास्त्री